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छत्तीसगढ़ लीग में स्लॉग ओव्हर की बैटिंग करते कांग्रेस की मुसीबत और धारदार बालिंग कर रही भाजपा की फांस…

सुरेश महापात्र। दबी जुबां से… बमुश्किल आठ माह बाद छत्तीसगढ़ में पांचवी बार विधानसभा चुनाव का ऐलान हो जाएगा। यानी कांग्रेस सरकार के लिए नया जनादेश पाने के लिए स्लाग ओव्हर का खेल ही बचा है। ऐसे समय में छत्तीसगढ़ की पिच पर विपक्ष की ओर से जबरदस्त बाउंसर और यार्कर गेंद फेंके जा रहे हैं। ईडी और आईटी की फिल्डिंग सजी हुई हैं। कांग्रेस की ओर से विकेट कीपर कप्तान भूपेश बघेल फिलहाल मैदान में डटे हुए हैं। ओपनर बल्लेबाज टीएस सिंहदेव पवेलियन लौट चुके हैं और वे बीच—बीच

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आप यूं समझें कि “अभिव्यक्ति” की राह निर्बाध करने का क़ानून है…

सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ में मीडिया से जुड़े सभी तरह के लोगों की सुरक्षा के लिए बनाया गया क़ानून पास हो गया है। इस क़ानून के पास होते ही हिंदुस्तान में छत्तीसगढ़ ऐसा दूसरा राज्य हो गया है जहां पत्रकारिता की राह को निर्बाध करने की कोशिश की गई है। संविधान की धारा 19(अ) में अभिव्यक्ति की आज़ादी दर्ज है। संविधान की मूल भावना के अनुरूप अभिव्यक्ति के लिए राह तो तैयार कर दी गई पर इसमें आने वाली बाधाओं को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। विशेषकर हिंदुस्तान

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तो क्या यह मान लें कि राजपत्र की अधिसूचना के बहाने भाजपा के खिलाफ अपना पहला पत्ता खेल दिया है CM भूपेश ने…!

सुरेश महापात्र। छत्तीसगढ़ में इन दिनों सरकार के एक कानूनी नोटिफिकेशन को लेकर जमकर चर्चा है। बीते 28 दिसंबर को राज्य सरकार ने एकअधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित कर प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल खराब करने वालों को लेकर बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत प्रदेश के सभी 31 जिलों के कलेक्टरों को 1 जनवरी से 31 मार्च तक ऐसे मामलों में सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एनएसए के तहत मामला पंजीबद्ध करवाने और कार्रवाई का अधिकार प्रदान किया है। राजपत्र में कानून को आगामी तीन माह तक के लिए इस तरह से

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बीते 22 बरस और छत्तीसगढ़ के तीन चेहरे… कौन कितना प्रभावकारी…

दिवाकर मुक्तिबोध। बाइस वर्ष के छत्तीसगढ़ में  विधानसभा के नये चुनाव अगले साल दिसंबर में होंगे। राज्य का वह पांचवा चुनाव होगा। वर्ष  2000 के नवंबर में मध्यप्रदेश से पृथक होने के बाद बहुमत के आधार पर पहली सरकार कांग्रेस की बनी। अजीत जोगी नामित मुख्यमंत्री बने। जोगी सरकार का करीब तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद नये छत्तीसगढ़ की पहली विधानसभा के लिए चुनाव  2003 दिसंबर में हुए। फिर 2008 , 2013 व 2018 के चुनाव के बाद अब पांचवें की प्रतीक्षा है। इस बीच यानी दो

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ट्विटर से समझें सोशल मीडिया प्लेटफार्म की हकीकत… मस्क की नई पालिसी ने सब कुछ खोल दिया है…

विशेष टिप्पणी / सुरेश महापात्र। बीते करीब दो—तीन महीनों से सोशल मीडिया के सबसे महंगे प्लेटफार्म​ ट्विटर को लेकर दुनिया भर में चर्चा है। कोई भी ऐसी मीडिया नहीं है जहां इसकी चर्चा ना हो रही हो। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने ट्विटर को 44 बिलियन डॉलर में खरीदने के बाद उसका आधिपत्य भी हासिल कर लिया है। एलन मस्क ना केवल दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति हैं बल्कि उनके अपने ट्विट्स पर मिलने वाले हिट्स इस बात को साबित करते हैं कि उनकी पहुंच कहां तक

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घट गया राज्य पुरस्कारों का महत्व… इन पुरस्कारों की यदि गरिमा स्थापित करनी हो तो प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन करने होंगे…

दिवाकर मुक्तिबोध। आगामी एक नवंबर को नये राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ के 22 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे। प्रत्येक वर्ष राज्योत्सव में सांस्कृतिक आयोजनों के अलावा किसी न किसी रूप में राज्य के विकास में विशेष योगदान देने वाले विद्वानों को राज्य अलंकरण से पुरस्कृत किया जाता है। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल में 16 पुरस्कार दिए जाते थे जो भाजपा के पंद्रह वर्षों के शासन में बढकर बाइस हुए और अब कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में इनकी संख्या बढाकर 36 कर दी गई हैं। यानी

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कांग्रेस के सबसे तेज धर्नुधर भूपेश को ‘अभिमन्यू’ की तरह घेरने की रणनीति का हिस्सा तो नहीं है ये ‘ईडी’ वाले छापे?

सुरेश महापात्र। हाल ही में कलेक्टर कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी जिला अधिकारियों को साफ शब्दों में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का संकेत दिया था। इस कांफ्रेंस के दो दिन के बाद ही ईडी ने प्रदेश में छापा मारकर यह जता दिया कि पुराने मामलों की जांच अभी पूरी नहीं हुई है।  अब सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि आखिर केंद्रीय एजेंसियों तक खबरें किनके माध्यम से पहुंचाई जा रही हैं। कहीं 2023 से पहले कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ छत्तीसगढ़ के धर्नुधर भूपेश बघेल

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सबसे खराब दौर में कांग्रेस… हताशा व अविश्वास की परिणति आंतरिक संघर्ष…

दिवाकर मुक्तिबोध। बडी दिक्कत में है कांग्रेस। 137 साल पुरानी पार्टी और उसका नेतृत्व कभी इतना असहाय, इतना निराश नजर नहीं आया था जितना इन दिनों दिखाई दे रहा है। हालांकि उस दौर में भी पार्टी ने अनेक आंतरिक संकटों का सामना किया था, तरह तरह की चुनौतियां झेलीं थीं,  दर्जनों असंतुष्ट बडे नेता पार्टी छोडकर चले गए , इनमें से कुछ ने अपनी-अपनी कांग्रेस बना लीं लेकिन कांग्रेस की आत्मा अपने मूल शरीर में कायम रही। अब यही आत्मा मृतप्राय शरीर की दारूण स्थिति देखकर छटपटा रही है और

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अ—घोषित तौर पर घोषित कांग्रेस का #मुखौटा… तो क्या #हाईकमान के नाम ‘खड़उ’ के सहारे कांग्रेस ही नई रणनीति…

विशेष टिप्पणी। सुरेश महापात्र। हिंदुस्तान की राजनीति में सत्ता प्रमुख के लिए मुखौटा शब्द का इस्तेमाल पहली बार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के गोविंदाचार्य ने 16 सितंबर सन 1997 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार अटल बिहारी बाजपेई के लिए किया था। 6 अक्टूबर 1997 को संघ के विचारक भानुप्रताप शुक्ल ने एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था ‘वाजपेयी मुखौटा हैं, गोविंदाचार्य!’ तब से ही हिंदुस्तान की राजनीति में अक्सर संगठन और सत्ता के प्रमुखों के चेहरों में लगाए गए मुखौटों को लेकर चर्चा आम बात रही है। फिलहाल भारतीय जनता

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तो क्या छत्तीसगढ़ में भाजपा ने अपनी रणनीति का ऐलान कर दिया है… आदिवासी नहीं अब ओबीसी वोटबैंक लक्ष्य…

सुरेश महापात्र। त्वरित टिप्पणी। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने विश्व आदिवासी दिवस के दिन अपने संगठन का सबसे बड़ा बदलाव कर दिया है। अब प्रदेश में संगठन की कमान आदिवासी के स्थान पर पिछड़ा वर्ग के हाथ सौंप दी गई है। विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ में भाजपा के संगठन प्रमुख की भूमिका में थे। उनकी जगह पर बिलासपुर से सांसद अरूण साव को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया है। विष्णु देव साय भले ही आदिवासी वर्ग से आते हैं पर संगठन की भाषा में वे पूर्व मुख्यमंत्री डा.

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