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छत्तीसगढ़ का सीएम कौन? जवाब​ आदिवासी या ओबीसी या महिला सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम… क्या होगी रणनीति?

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सुरेश महापात्र।

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम से स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत हासिल है। पार्टी का मुख्यमंत्री फेस कोई भी नहीं था। पूरे प्रचार के दौरान मोदी की गारंटी और कमल निशान के साथ भाजपा ने चुनाव लड़ा। जीत हासिल करने के बाद अब सवाल यह है कि भाजपा किसे छत्तीसगढ़ में किसे अपना सीएम फेस बनाएगी। आज या कल यह फैसला होना तय है। सीजीइम्पेक्ट ने कुछ अनुमानों के आधार पर पाठकों के सामने स्थिति रखने की कोशिश की है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास पहला विकल्प पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के तौर पर है। वे यहां लगातार 15 बरस तक सरकार चलाते रहे हैं। 2018 के चुनाव में बुरी हार के बाद 2023 में अंतत: भाजपा उनकी सलाह पर टिकट बांटे और अपनी वापसी की है।

इनके खिलाफ एक बात जा रही है कि अब इनकी उम्र हो चली है। दूसरी बात यह है कि बीते पांच बरस में छत्तीसगढ़ में ओबीसी और आदिवासी विमर्श के केंद्र में है। तो रमन सिंह सामान्य वर्ग को पुन: सत्ता का मुखिया बनाने से 2024 के लिए खतरा पैदा ना हो जाए? ऐसे में पार्टी की कोशिश होगी कि ये छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता का मार्गदर्शन करें।

बस्तर से दो चेहरे दिखाई दे रहे हैं एक है पूर्व मंत्री केदार कश्यप जो नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल कर अपनी पराजय का बदला ले लिया है। युवा हैं और बस्तर में भाजपा के खेवनहार बलिराम कश्यप के पुत्र भी हैं। बस्तर की एक सभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने बलिदादा का ​जिक्र करते अपने अनुभव साझा कर चुके हैं। ऐसे में आदिवासी चेहरे के तौर पर केदार भी एक विकल्प हो सकते हैं। केदार के पक्ष में यह भी बात है कि वे लगातार 15 बरस तक डा. रमन सिंह के मंत्रिमंडल के सदस्य रहे।

बस्तर से ही दूसरा नाम है सुश्री लता उसेंडी का ये कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र से पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष और मंत्री मोहन मरकाम को पराजित कर अपनी वापसी की है। ऐन चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है ऐसे में महिला और आदिवासी दोनों के तौर पर भाजपा की प्रयोगशाला में सबसे बड़ा चेहरा लता उसेंडी बन सकती हैं। इनके खिलाफ एक बात यही है कि अगले बरस होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण के हिसाब से बस्तर में वे एक मजबूत दावेदार भी हैं। केंद्र में सरकार बनने के बाद भी उन्हें मंत्री पद देकर अगले 20 साल के लिए बस्तर को एक बड़ा चेहरा वह भी आदिवासी महिला के तौर पर खड़ा करने का अवसर भाजपा के पास है।

उत्तर छत्तीसगढ़ से आदिवासी चेहरा पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और राम विचार नेताम भी हैं। दोनों सांसद हैं। आदिवासी चेहरा के तौर पर छत्तीसगढ़ में नेतृत्व का अनुभव भी है। भाजपा के मंथन में उनके नाम पर भी विचार होने के संकेत हैं। इसके अलावा उत्तर छत्तीसगढ़ से सांसद गोमती साय के नाम की भी चर्चा है। ये भी महिला है और आदिवासी भी सरगुजा इलाके में आदिवासी क्षेत्र में भाजपा की एक तरफा जीत के बाद आदिवासी चेहरा निश्चित तौर पर केंद्र में हो सकता है। आदिवासी चेहरे के साथ एक और खतरा है जिसे देखते हुए भाजपा के नेतृत्व की चिंता स्वाभाविक है कि यदि जरूरत पड़ने में चेहरा बदलने की नौबत आई तो पार्टी के सामने आदिवासी क्षेत्र में संकट उत्पन्न हो सकता है।

एक चर्चा यह भी है कि महिला सीएम और दो डिप्टी सीएम के कान्सेप्ट पर भी विचार किया जा सकता है। इस सूत्र के आधार पर सत्ता का विकेंद्रीकरण और संतुलन स्वाभाविक तौर पर स्थापित किया जा सकता है। अब भाजपा एक भी ऐसी चूक करने को तैयार नहीं होगी कि इसके सामने 2018 वाली चुनौती उभर सके।

इसके बाद ओबीसी वर्ग से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव सबसे बड़ा चेहरा हैं। सांसद भी हैं। अनुभव की कमी नहीं है। ऐसे में पार्टी यदि ओबीसी वर्ग को साधने के लिहाज से विचार करेगी तो डा. रमन के विश्वासपात्र अरूण साव को सीएम की कुर्सी हासिल हो सकती है। रायगढ़ से पहली बार विधायक निर्वाचित हुए ओमप्रकाश चौधरी को लेकर भी जनमानस में कयास है। इन सभी कयासों पर विराम लगाते चौधरी ने साफ कर दिया है। छत्तीसगढ़ में उनसे वरिष्ठ बहुत से नेता हैं उनके पास अनुभव भी है। जिसमें उन्होंने पूर्व सीएम डा. रमन, विष्णुदेव साय, अरूण साव, बृजमोहन अग्रवाल के नाम का​ जिक्र किया है।

छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने बताया कि सभी विधायकों से एक बार चर्चा की जाएगी। केंद्रीय संगठन पर्यवेक्षक तय करेगा । पर्यवेक्षक यहां आएंगे विधायकों से मुलाकात करेंगे, उनसे रायशुमारी की जाएगी इसके बाद विधायकों का सुझाव केंद्रीय संगठन को भेजा जाता है और केंद्रीय स्तर पर तय किया जाता है कि छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री कौन होगा।

छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, यहां भाजपा प्रभारी नितिन नबीन और केंद्रीय मंत्री मनसुख मां​डविया की राय सबसे महत्वपूर्ण होगी। ये तीनों दिग्गज सोमवार को विधायकों से चर्चा के बाद दिल्ली जा चुके हैं। आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से रायशुमारी के बाद ही पिटारे से जो नाम निकलेगा वही नया मुख्यमंत्री होगा।

 

 

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