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Editorial

चुनाव विष्लेशण : अब की बार 400 पार का नारा और मोदी – गारंटी कितनी असरदार…

दिवाकर मुक्तिबोध। अठारहवीं लोकसभा के पहले चरण के मतदान के  लिए अब चंद घंटे ही शेष हैं। 19 अप्रैल को21 राज्यों के 102 सीटों पर मतदान  होगा। ये चुनाव पिछले तमाम  चुनावों की तुलना में अधिक संघर्षपूर्ण एवं आत्मकेन्द्रित होने के साथ ही देश की राजनीति की नई दिशा भी तय करते नजर आएंगे। इस बार के चुनाव मुख्यतः ईडी की अति सक्रियता, दुर्भावना के साथ विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस को सभी तरफ से घेरने की क़वायद, एक मुख्यमंत्री को चुनाव  प्रचार के मौलिक अधिकार से  वंचित रखने की कोशिश तथा भाजपा

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ElectionState News

पहले चरण में धर्म की भूमिका : चुनाव में साधु-संतों की कवायद… कवर्धा बना केंद्र!

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में जिन 20 सीटों पर मतदान होगा उनमें दुर्ग संभाग की हाई प्रोफाइल सीट कवर्धा भी शामिल है. यहां से  राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री और चार बार के विधायक मोहम्मद अकबर चुनाव लड़ रहे हैं. अकबर एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी हैं जिन्हें कांग्रेस ने टिकिट दी है जबकि भाजपा ने इस समुदाय से अपनी पार्टी के किसी भी नेता को चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया. मोहम्मद अकबर ने 2018 के चुनाव में भाजपा के अशोक साहू को 59 हजार से

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विधानसभा चुनाव में सांसद और केंद्रीय मंत्रियो को उतारना, नया नहीं है भाजपा का दांव…

दिवाकर मुक्तिबोध। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी हाल ही में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने लड़ाकों की दूसरी सूची जारी की. इस सूची में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात संसद सदस्यों को मैदान में उतारा गया है.चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का,कुछ न कुछ अप्रत्याशित करने की भाजपा नेतृत्व की परम्परा रही है लिहाज़ा अब उसके ऐसे कदम आश्चर्यचकित नहीं करते. मध्यप्रदेश में 25 सितंबर को जारी की गई सूची में तीन केंद्रीय मंत्रियों क्रमशः नरेन्द्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते,प्रहलादसिंह पटेल तथा चार सांसदों

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EditorialMuddaState News

वायदें जो किस्मत बदल दे… ध्यान रहे मतदाता किसी पार्टी के पक्ष में फैसला देने के पूर्व आंख मूंदकर भरोसा करने बजाए जमीनी हकीकत पर भी विचार करता है…

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव में वोटों के संघर्ष के पूर्व राजनीतिक दलों के घोषणा  पत्रों में चुनावी वायदों की जो बहार आएगी, वह देखने लायक रहेगी. जनता से किए जाने वाले वायदे भी बड़ी जीत का कारण बन सकते हैं, यह कांग्रेस के पिछले जन संकल्प-पत्र से जाहिर है. छत्तीसगढ़ के 2018 के चौथे चुनाव में मतदाताओं ने कांग्रेस के कुछ प्रमुख वायदों पर भरोसा करते हुए भाजपा की पंद्रह वर्षीय सत्ता का अंत कर दिया तथा राज्य की कमान कांग्रेस की सौंप दी. छत्तीसगढ़ के इतिहास

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AAJ-KALEditorialPolitics

तो क्या आईना दिखा रहे हैं डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव…?

दिवाकर मुक्तिबोध. छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के पिछले साढ़े चार वर्षों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद यदि दूसरा कोई नेता या मंत्री विभिन्न कारणों से सर्वाधिक सुर्खियों में रहा है तो वे टी एस सिंहदेव हैं, सरकार के वरिष्ठ मंत्री और अब डिप्टी सीएम जिन्हें यह कुर्सी तब मिली जब राज्य विधानसभा चुनाव के लिए महज तीन चार माह ही शेष रह गए थे। 17 दिसंबर 2018 को भूपेश बघेल के सरकार की कमान संभालने के पहले और बाद में प्रदेश की राजनीति में यह खबर तैरती रही कि

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बदल रही है छत्तीसगढ़ की राजनीति

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले कुछ समय से जो घटनाक्रम चल रहा है, वह इस बात का संकेत है कि प्रदेश की दो बड़ी राजनीतिक ताकतें आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जोरदार युद्धाभ्यास कर रही हैं। उनकी तैयारियां बताती हैं कि तीन महीने बाद होने वाला पांचवां चुनाव यकीनन पिछले चार के मुकाबले अधिक संघर्षपूर्ण और दिलचस्प होगा।  2018 के चुनाव में कांग्रेस ने भारी भरकम विजय पायी थी। उसे अगले चुनाव में भी बरकरार रखना एक बड़ी चुनौती है जिसका दबाव उस पर है। 90 सीटों की

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डिप्टी बनने क्यों राजी हुए सिंहदेव! …तब वे सत्ता संघर्ष में कमजोर पड़ गए थे…

राजनीतिक विश्लेषण। दिवाकर मुक्तिबोध। वायदे के अनुसार जिसे अब सिंहदेव मीडिया की हवा बताते हैं, उन्हें जून 2021 में मुख्यमंत्री बना दिया जाना था लेकिन उस दौर के सत्ता संघर्ष में सिंहदेव कमजोर पड़ गए… छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में हाल ही में हुए बदलाव पर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने भले ही आलोचना की हो लेकिन मुद्दे की बात यह है कि वह पुनः हताशा की शिकार हो गई है। दरअसल कांग्रेस संगठन व सत्ता के बीच पिछले कुछ समय से जो अंदरूनी खींचतान चल रही थी, उसे देखते

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भाजपा की नयी कवायद पुराने हटेंगे नये आएंगे…

दिवाकर मुक्तिबोध। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इसी वर्ष नवंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के संदर्भ में काफी समय से यह चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी अधिकांश सीटों पर नये चेहरों को मौका देगी। विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 90 है और वर्तमान में भाजपा के केवल 14 विधायक हैं। इन 14 विधायकों में हर किसी को पुन: टिकिट मिल ही जाएगी ,कहना मुश्किल है। यानी इनमें से भी कुछ का पत्ता कटने की संभावना है। शेष 86 सीटों में अधिकांशतः नये चेहरे होंगे अलबत्ता उन प्रत्याशियों पर पुनः दांव

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Articles By Namesafarnama

मिलना एक महान रचनाकार से…

एक मार्च को शैलेन्द्र नगर में विनोद जी के घर में उनसे मुलाकात हुई। उनका चेहरा देखा तो अनायास मुझे 60-62 वर्ष पूर्व के वे विनोद जी याद आ गए जिन्हें मैं राजनांदगांव के दिग्विजय कॉलेज परिसर के अपने मकान की विशाल खिड़की के पाटे पर बैठकर अपने घर की ओर पैदल आते देखा करता था। उन दिनों वे जबलपुर के कृषि महाविद्यालय के छात्र थे और जैसा कि उन्होंने अनेक बार अपने संस्मरणों में जिक्र किया है, वे नये-नये युवा कवि थे, कविताएं लिख रहे थे। छुट्टियों में जब

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Editorial

बीते 22 बरस और छत्तीसगढ़ के तीन चेहरे… कौन कितना प्रभावकारी…

दिवाकर मुक्तिबोध। बाइस वर्ष के छत्तीसगढ़ में  विधानसभा के नये चुनाव अगले साल दिसंबर में होंगे। राज्य का वह पांचवा चुनाव होगा। वर्ष  2000 के नवंबर में मध्यप्रदेश से पृथक होने के बाद बहुमत के आधार पर पहली सरकार कांग्रेस की बनी। अजीत जोगी नामित मुख्यमंत्री बने। जोगी सरकार का करीब तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद नये छत्तीसगढ़ की पहली विधानसभा के लिए चुनाव  2003 दिसंबर में हुए। फिर 2008 , 2013 व 2018 के चुनाव के बाद अब पांचवें की प्रतीक्षा है। इस बीच यानी दो

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