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क्रूर राजनीति की शिकार हुई ओजस्वी… भीमा की शहादत के बदले हासिल सिफ़र… बेटी ने जताई पीड़ा… देखिए

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इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा।

राजनीति बेहद क्रूर होती है। यदि इसका उदाहरण देखना हो तो छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में देखा जा सकता है। दंतेवाड़ा में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट के गढ़ को अपने दम पर भेदने वाले भीमा मंडावी की बेवा ओजस्वी को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। इसे लेकर समूचे भाजपा संगठन में एक अभूतपूर्व मातमी माहौल बना हुआ है। ना तो लोग गुस्सा जता पा रहे हैं और ना ही चुनाव का उत्साह दिखाई दे रहा है। यहां से भाजपा ने आदिवासी नेता और पूर्व जुड़ूम लीडर के साथ भाजपा के जिला अध्यक्ष चैतराम अटामी को टिकट दिया है।

स्व भीमा मंडावी की बेटी ने अपने एक विडियो संदेश में भाजपा संगठन को अपनी मां ओजस्वी को टिकट नहीं दिए जाने पर खेद जताया है। उसने अपने पापा भीमा मंडावी के समर्पण और त्याग के बाद मां ओजस्वी ने जिस तरह से उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते अपने पति के लिए सक्रिय राजनीति की राह चुनी उसका जिक्र करते अपील की है।

भाजपा ने इस बार 2018 में हारे हुए 15 नेताओं को टिकट दिया है। इसमें वे सभी बड़े नेता शामिल हैं जो 15 बरस तक सत्ता का आनंद मंत्री रहते ले चुके थे। उनके स्थान पर किसी दूसरे को अवसर ना देकर उन्हें एक बार फिर उपकृत किया है। वहीं 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान भाजपा के सांसद प्रत्याशी दिनेश कश्यप के चुनाव प्रचार में माओवादी हमले में अपनी जान न्यौच्छावर कर दिया। भीमा बस्तर संभाग की सभी 12 सीटों में से दंतेवाड़ा विधानसभा के इकलौते विधायक थे।+

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उनकी पत्नी के सामने पार्टी ने और सलाहकारों ने राज्य सरकार की नक्सल पीड़ित नीति के तहत डिप्टी कलेक्टर का पद लेकर परिवार की जिम्मेदारी को संभालने की सलाह ​दी। पर भीमा मंडावी की धर्मपत्नी ओजस्वी ने कठिन राह राजनीति की चुन ली। वे उप चुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा से पराजित हो गईं। आश्चर्य की बात है कि पराजय के बावजूद ओजस्वी ने भीमा से ज्यादा वोट हासिल किए थे। दरअसल उप चुनाव के दौरान सरकार के सामने विपक्ष का जीत पाना असंभव होता है ऐसे में ओजस्वी के पराजय को दरकिनार करने की अपेक्षा भीमा समर्थक कर रहे थे।

ओजस्वी के परिवार को इस बात का भी दुख है कि पूर्व मंत्री केदार कश्यप और पूर्व सांसद दिनेश कश्यप ने भी उनके हितों की रक्षा नहीं ​की। उनके समर्थक मानते हैं कि यदि ये चाहते तो पार्टी के उच्च संगठन को ओजस्वी मंडावी की टिकट के लिए सहमत करवा सकते थे।

टिकट वितरण के बाद ओजस्वी मंडावी ने सार्वजनिक तौर पर किसी प्रकार की बयानबाजी से साफ बच रही हैं। पर वहां भीमा समर्थक कार्यकर्ताओं के मन में अजीब सी बेचैनी है। वे अपने नेता स्व. भीमा के लिए बेहद संवेदनशील होकर यह कह रहे हैं कि जिस सीट को भाजपा ने अजेय मान लिया था। कार्यकर्ता मान रहे हैं कि कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा और उनकी पत्नी को देवती को पराजित करने वाले भीमा मंडावी के पार्टी के प्रति त्याग और समर्पण का अपमान पार्टी ने किया है।

देखिए स्व भीमा मंडावी की बेटी ने भाजपा के नेताओं से क्या अपील की है…

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