माओवादी प्रभावित संवेदनशील सड़क पर लीपापोती का आरोप, विभाग नहीं दे रहा ध्यान, कलेक्टर कह रहे सही चल रहा है काम…
- यूकेश चंद्राकर
बीजापुर – वो सलवा जुडूम का दौर था। उन दिनों बीजापुर-गंगालूर सड़क पर नक्सली खूनी खेल खुलेआम खेला करते थे। इसी सड़क पर अभेद्य एंटी लैंड माइंस प्रोटेक्ट व्हीकल को बारूदी सुरंग विस्फोट कर पहली बार उड़ा कर नक्सलियों ने जता दिया था कि इसके सहारे नक्सलियों का मुकाबला आसान नहीं है। अब गंगालूर के माओवादी प्रभावित संवेदनशील इलाके में निर्माणाधीन सड़क पर लीपापोती का आरोप लग रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि संबंधित विभाग नहीं दे रहा ध्यान। इधर गुणवत्ता के सवाल पर कलेक्टर कह रहे सही चल रहा है काम…।
इस दौरान सरकार ने गंगालूर सड़क को बनवाने के लिए तत्काल फैसला लेते हुए 22 किलोमीटर लंबी सीसी सड़क बनवा दी थी। बावजूद इसके आज तक इस सड़क पर आज भी किसी यात्री बस को गुजरने की अनुमति नहीं है, क्योंकि कहा जाता है कि इस सड़क से गुजरने वाली गाड़ियों के लिए नक्सली परमिशन देते हैं।
लंबे समय बाद इस सड़क को दोबारा बनवाने का ज़िम्मा पीएमजीएसवाई (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) को मिला। इस कार्य में सड़क का चैड़ीकरण और डामरीकरण करना शामिल है लेकिन जिस गंगालूर से होकर यह सड़क गुजरनी है वहीं के ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क निर्माण में कोताही बरती जा रही है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया है कि गुणवत्ताहीन कार्य की शिकायत बीजापुर कलेक्टर केडी कुंजाम से भी की। लेकिन अब तक कोई कार्रवाही नहीं की जा रही है। इस समस्या के कारण ग्रामीण अब निराश हैं।
बताते चलें कि यह सड़क बेहद नक्सल प्रभावित इलाके से होकर बनाई जा रही है। सड़क का कार्य प्रारंभिक दौर में था तभी सड़क बनाने वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी दंगल की 8 गाड़ियों को नक्सलियों ने फूंक दिया था।
आरोप है कि काम को जैसे—तैसे खत्म करने के लिए कंस्ट्रक्शन कम्पनी और संबंधित विभाग ने सड़क निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रख दिया है।
इस पूरे मामले पर जब हमने बीजापुर कलेक्टर श्री कुंजाम से बात की तो उन्होंने बताया कि सड़क का कार्य प्रारंभिक स्टेज पर है। जबकि सच ये है कि अब गंगालूर तक सड़क लगभग बन चुकी है और सिर्फ डामरीकरण और पुल बनाये जा रहे हैं।
मामले को गंभीरता से देखने पर पीएमजीएसवाई के अधिकारी कर्मचारी कठघरे में खड़े नज़र आ रहे हैं। नक्सल ज़ोन का हवाला देकर मामले को शांत रखने की हिदायतें भी दी जा रही हैं।
उल्लेखनीय है कि नक्सल बेल्ट में निर्मित होने वाली सड़कें नक्सलियों के लिए अपना लैंड माइन प्लांट करने में ज्यादा सुविधाजनक होते हैं। इसके लिए यदि सही निगरानी में उच्च गुणवत्ता से सड़क निर्माण की जिम्मेदारी को पूर्ण नहीं किया जाएगा तो यही सड़क जानलेवा भी साबित हो सकता है।