तेज बाजारवाद व तरह-तरह के दबाव के बीच मूल्यपरक पत्रकारिता के लिए रास्ता बनाना अत्यधिक कठिन… दिवाकर मुक्तिबोध। कुछ यादें कुछ बातें-18
छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता को पढ़ा है, जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-18 -दिवाकर मुक्तिबोध। ललित सुरजन मुझसे उम्र में कुछ वर्ष ही बड़े थे। मैं बीएससी कर रहा था, वे एमए। लेकिन उनका बौद्धिक स्तर बहुत ऊंचा था। जबकि मैं इस मामले में उनसे बहुत बौना। क्या हिंदी, क्या अंग्रेजी, दोनों पर उनकी पकड़ जबरदस्त थी। चूंकि कालेज की पढाई के साथ साथ उन्होंने देशबंधु का काम भी
Read More