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सुशील की मौत की खबर ने स्तब्ध कर दिया… एक पत्रकार मित्र का इतना कारूणिक अंत! मन अभी भी उदास है… सफ़रनामा दिवाकार मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता का पढ़ा है जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें-7 सुशील त्रिपाठी की यादें – बात कहां से शुरू करें ? कोई सिरा पकड़ में नहीं आ रहा। बहुत सोचा काफी माथापच्ची की। अतीत में कई डुबकियां लगाई। कई सिरे तलाशे। लेकिन हर सिरे को दूसरा खारिज करता चला गया। थक-हार कर सोचा, दिमाग खपाने से मतलब नही। कागज कलम एक तरफ रखें और चुपचाप आराम

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यह वर्ष 1971-72 की बात है… मैं नया-नया था… उपाध्याय जी से औपचारिक परिचय के बाद काफी दिनों तक कोई बातचीत नहीं हुई… सफ़रनामा दिवाकर मुक्तिबोध

कुछ यादें कुछ बातें – 6 रामाश्रय_उपाध्याय : जन्म 2 अगस्त 1917। ग्राम अंगरा, मोगपुर , बिहार। संपादन- लोकमत नागपुर। नवप्रभात भोपाल। देशबंधु रायपुर। निधन -5 फ़रवरी 2005 रायपुर। पंडित रामाश्रय उपाध्याय उर्फ़ वक्रतुंड के करीब साढ़े तीन दशक के सम्पूर्ण लेखन से गुज़रना पत्रकारिता के तीर्थ-स्थलों में हवन-पूजन के बीच से गुज़रने की तरह है।वे जितने चतुर और काइयाँस्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उतने ही सजग और सतर्क पत्रकार भी। ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए वे अलग अंदाज में पुलिस स्टेशनों और सरकारी इमारतों पर तिरंगा फहराकर लापताहोते

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जब अक्टूबर 1984 में गोविंद लाल वोरा ने ‘अमृत संदेश’ का प्रकाशन शुरू किया… सफरनामा दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता का पढ़ा है जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… कुछ यादें कुछ बातें- 5  गोविंदलाल वोरा : 1932 में नागौर , राजस्थान में जन्में गोविंद लाल वोरा जी ने मात्र 18 वर्ष का उम्र में स्वतंत्र पत्रकार के रूप में अपने करियर की शुरूआत की। प्रारंभ में नवभारत नागपुर के लिए ख़बरें लिखने के अलावा बाद के समय में वोरा जी अनेक दैनिकों मसलन हिंदुस्तान टाइम्स, नवभारत टाइम्स,द स्टेट्समैन

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मुझे पत्रकारिता के इस पेशे में लाने का श्रेय स्व. रम्मू श्रीवास्तव को है… पत्रकार का सफ़रनामा… दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता का पढ़ा है जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… यह तीसरा अंक… कुछ यादें कुछ बातें- 3 – रम्मू श्रीवास्तव रम्मू श्रीवास्तव- छत्तीसगढ में मूल्यानुगत पत्रकारिता करने वालों में जो नाम प्रमुखता से लिया जाता है वह है रम्मू श्रीवास्तव का जो आजीवन रम्मू भैया के नाम जाने जाते रहे। उनकी हिंदी व अंग्रेज़ी में समान पकड़ थी ।उनकी भाषा शैली व ज्ञान का लोहा सभी मानते थे। विविधता

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