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अ​तुल्य दंतेवाड़ा : जनसंपर्क विभाग ने खंडन जारी किया पर बताया नहीं कि बयान किसका है? असल बात यह है कि गरियाबंद के त्यागपत्रित तकनीकी सहायक के कंधों पर करोड़ों का ठेका… ये रिश्ता क्या कहलाता है?

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

छत्तीसगढ़ में जो हो जाए वह कम है कि तर्ज पर अब घटनाएं घटित हो रही हैं। बुधवार को रायपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र ने माता दंतेश्वरी कारिडोर के निर्माण में गड़बड़ी को लेकर खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित की। इस खबर का खंडन जिला जनसंपर्क विभाग ने अपनी ओर से जारी कर दिया है।

सबसे पहले देखें जनसंपर्क विभाग का खंडन

समाचार
मां दंतेश्वरी कॉरिडोर में खेल 20 करोड़ के काम 46 भागों में बांट मैनुअल किया ठेका की खबरें भ्रामक एवं तथ्यहीन
दंतेवाड़ा, 27 दिसंबर 2023। जिले में मॉ दन्तेश्वरी कॉरिडोर के निर्माण के संबंध में विगत दिनों दैनिक अखबारों में छपने वाली खबरें भ्रामक एवं तथ्यहीन है। जिले में मॉ दन्तेश्वरी कॉरिडोर का वृहद स्तर पर निर्माण किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत कॉरिडोर का कार्य अलग-अलग चरणों में किया जा रहा है। जिन कार्यों को पहले पूर्ण करना है, उनकी प्रक्रिया नियमानुसार पूर्ण कर कार्य किया जा रहा है। इसलिए यह कार्य कई चरणों में विभक्त है। यह समस्त कार्य तकनीकी प्राकलन के आधार पर प्रशासकीय स्वीकृति दिया गया है। भण्डार क्रय नियम 2002 (यथा संशोधित 2004) के समस्त नियमों का पालन करते हुए निविदा प्रक्रिया निकाला गया है। उक्त निर्माण कार्य नियमानुसार एवं पूरी गुणवत्ता के साथ किया जा रहा है। इस संबंध में कतिपय समाचार पत्रों में छपने वाली खबरें पूर्णतः अप्रमाणिक, आधारहीन और भ्रामक है।

उपरोक्त समाचार में कहीं भी किसी भी अधिकारी का जिक्र नहीं है। यह समाचार जनसंपर्क विभाग ने अपनी समझ से जारी किया है अथवा कलेक्टर के कहने पर जारी किया है। अथवा संबंधित विभाग के प्रमुख का यह क​थन है। यह कहीं भी उल्लेखित नहीं है। दरअसल प्रकाशित खबरों के खंडन को लेकर जिला जनसंपर्क विभाग की यह जल्दबाजी कई तथ्यों की चुगली कर रही है। मसलन समाचार प्र​काशित होने के पश्चात सबसे पहले उन तथ्यों की पड़ताल करना होती है।

जिसकी बुनियाद पर समाचार प्रकाशित किया गया है। उसके बाद बुनियादी बिंदुओं के आधार पर समाचार के प्रमाणिकता और तथ्यों का खंडन करना होता है। जबकि ऐसा नहीं किया गया है। जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी महज प्रशासन द्वारा दी जाने वाली खबरों को उनके हवाले से जारी करने की है। दंतेवाड़ा जिला चूंकि अतुल्य दंतेवाड़ा की श्रेणी में शामिल है इसलिए जिला जनसंपर्क विभाग द्वारा निविदा प्रक्रिया से लेकर निर्माण की गुणवत्ता को प्रमाणित करने का ​अधिकार प्राप्त है।

दंतेवाड़ा में डीएमएफ का हाल 3 : लोगों का सवाल ‘वर्तमान के कार्यों का ब्यौरा कहां है?’

जारी किए गए खंडन में इस बात की जानकारी नहीं दी गई है कि निर्माण संबंधी एम30 प्रक्रिया का पालन किया गया है या नहीं। क्योंकि पांच करोड़ से उपर के निर्माण कार्यों के लिए एम30 के नियमों के तहत प्रक्रियाओं का पालन करना होता है। कांक्रीट के उपयोग किए गए क्यूब के परीक्षण की रिपोर्ट भी आवश्यक होती है। इस तथ्य का उल्लेख भी खंडन में जनसंपर्क अधिकारी द्वारा नहीं किया गया है। नान एसओआर सामग्री के उपयोग के लिए कार्यपालन अभियंता के स्तर पर और मुख्य अभियंता के स्तर पर किस तरह की तकनीकी स्वीकृति प्रदान की जा सकती है। इसका भी स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि आचार संहिता से ठीक पहले पुराने टेंडर को अस्वीकृत कर नए टेंडर प्रदान करने और उसे दस प्रतिशत तक अतिरिक्त राशि की स्वीकृति किस आधार पर प्रदान की गई। यह भी उल्लेखित किया जाना चाहिए था।

यदि ऐसा नहीं है तो छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग इस संबंध में अपनी जवाबदेही प्रस्तुत कर संबंधित जिला जनसंपर्क अधिकारी से स्पष्टीकरण ले कि यह बयान किसके कहने पर जनसंपर्क अधिकारी द्वारा स्वयं को केंद्र में रखकर जारी किया गया है। जिला कार्यालय से संपर्क करने पर ज्ञात हुआ कि फिलहाल जिला कलेक्टर दिल्ली में निर्वाचन संबंधी प्रशिक्षण हेतु गए हुए हैं उनकी गैर मौजूदगी में कथित भ्रष्टाचार के मामले पर जिला जनसंपर्क विभाग का यह खंडन सवालों के घेरे में है।

खबरों के आधार पर तथ्यात्मक जानकारी तो यह है कि जिस फर्म को यह ठेका जिला निर्माण समिति की स्वीकृति पर संबंधित निर्माण एजेंसी ने प्रदान किया है। उसके नाम पर करोड़ों के ठेके दिए गए हैं। किसी एक फर्म को ही किस आधार पर यह काम लगातार प्राप्त होता रहा। यह तो जांच का विषय है। इस मामले में संदेह को लेकर सवाल इसीलिए है क्योंकि उक्त व्यक्ति जिसके नाम पर फर्म है वह मूलत: गरियाबंद में उस समय ग्राम पंचायत का तकनीकी सहायक हुआ करता था। जब वर्तमान जिला कलेक्टर वहां एडीएम के तौर पर कार्यरत रहे। दंतेवाड़ा जिले के एक जनपद सीईओ मोहनिश देवांगन भी उस दौरान गरियाबंद में ही पदस्थ थे। वर्तमान में जनपद सीईओ मोहनिश देवांगन की कलेक्टर विनीत नंदनवार के साथ रिश्तेदारी है। यह रिश्तेदारी कैसे और क्यों है? यह बताना उचित नहीं है।

जिले में यह पहली बार हुआ है कि निर्माण कार्यों में अनियमितता को लेकर सवालों का पहाड़ खड़ा हो गया है। जिनका जवाब देने के बजाए निर्माण एजेंसी ‘गोल—गोल रानी इत्ता—इत्ता पानी’ वाली कहानी बताने की कोशिश में है।

तकनीकी तौर पर जब तक किसी भी निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया जाता है तब तक उक्त कार्य को उच्च गुणवत्ता का प्रमाणपत्र प्रदान नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ सरकार के अधीन क्रियाशील दंतेवाड़ा जिले में निर्माण की प्रकिया के लिए भंडार क्रय नियम के स्थान पर निर्माण प्रक्रिया का अनुपालन क्रियाशील है। जिसके तहत किसी भी वर्ग के ठेकेदार द्वारा किए जाने वाले कार्यों के साथ—साथ एसओआर और नान एसओआर सामग्री के उपयोग की गाइड लाइन लागू होती है। मजेदार बात तो यह है कि एक जनसंपर्क अधिकारी द्वारा किस आधार पर निर्माण संबंधित गुणवत्ता का प्रमाणीकरण किया गया है। यह समझ से परे है।

दंतेवाड़ा जिले के वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व गीदम नगर पंचायत अध्यक्ष अभिलाष तिवारी ने इम्पेक्ट से चर्चा में ‘जिला प्रशासन की गतिविधियों को लेकर साफ कहा कि दंतेवाड़ा को भ्रष्टबाड़ा बनाने की कोशिश करने वाले अफसरों को भाजपा सरकार में बख्शा नहीं जाएगा।’ श्री तिवारी ने कहा कि ‘दंतेवाड़ा जिला में ​डीएमएफ के तहत​ किए गए कार्यों की बारिकी से जांच करवाई जाएगी। इसमें तकनीकी और प्रशासकीय स्तर पर बरती गई अनियमितताओं को उजागर किया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार से विधिवत शिकायत दर्ज करवा दी गई है।’

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