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दंतेवाड़ा में डीएमएफ का हाल 3 : लोगों का सवाल ‘वर्तमान के कार्यों का ब्यौरा कहां है?’

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इम्पेक्ट एक्सक्लूसिव। दंतेवाड़ा।

सबसे बड़ा सवाल : खनिज सचिव के पत्र के आठ माह बाद भी जिला न्यास ने अपडेट क्यों नहीं किया…?

डीएमएफ की साइट पर अब तक अपलोड किए गए कार्यों को लेकर नित नए तथ्यों का खुलासा हो रहा है। इम्पेक्ट ने इस पर लगातार पड़ताल जारी रखी है। साइट पर अपलोड किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। कई तथ्य उजागर हो रहे हैं। डीएमएफ की साइट पर अपलोड किए गए कार्यों की सूचि में काम करवाने की प्रवृत्ति और एजेंसी का जिक्र तो है पर कौन सा काम किस सत्र का है? यह अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है।

अब जिला के कार्यों का ब्योरा सार्वजनिक होने के बाद दंतेवाड़ा जिले के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने कार्यों की सूचि के आधार पर यह जानकारी दी है कि डीएमएफ की साइट से हासिल जानकारी में वर्तमान में चल रहे अधिकतर कार्यों का ब्योरा शामिल नहीं दिख रहा है। जिसके तहत जिले के आत्मानंद विद्यालयों के संधारण, निर्माण और मरम्मत की जानकारी के साथ, वर्तमान में चल रहे कई कार्यों की जानकारी अपडेट नहीं होने की बात कही जा रही है। चूंकि यह मामला फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय के पत्र के कारण बाहर निकला है जिसके तहत सभी 32 जिलों से डीएमएफ की अब तक की संपूर्ण जानकारी चाही गई है।

छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास ने 16 सितंबर 2022 को एक पत्र जिला कलेक्टर सह न्यास अध्यक्षों को संबोधित करते हुए लिखा गया था। इस पत्र का मजमून बताता है कि जिला खनिज न्यास दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे थे। जिस पर इसके पालन की जिम्मेदारी स्पष्ट तौर पर जिला कलेक्टर सह न्यास अध्यक्ष को सौंपी गई थी। नियम 2015 के नियम अनुसार जिला खनिज संस्थान न्यास द्वारा नियमों का पालन करने के लिए स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे।

देखें पत्र

इन पत्रों से स्पष्ट है कि

  • छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास निमय—18 के उप—नियम (3) पोर्टल्, जिसमें न्यास द्वारा वार्षिक योजनाएं प्रदान की गई स्वीकृति ओर अनुमोदन अंर्तविष्ट है, के माध्यम से आनलाइन निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित किया जाना था। उप—नियम (4) ई—गर्वनेंस के उपयोग के माध्यम से निगरानी एवं न्यास निधि के व्यय में अधिकतम पारर्शिता सुनिश्चित किया जाना था। जिसका प्रावधान कानून के तहत किया गया है।
  • इस संबंध में 20 जनवरी 2021, 31 जनवरी 2022 को निर्देश जारी किए गए थे। जिसके अनुसार 15 फरवरी 2021 के बाद सभी जिलों को डीएमएफटी के सभी कार्यों का संचालन डीएमएफ पोर्टल के माध्यम से अनिवार्यत: किया जाना था।
  • 16 सितंबर 2022 को जारी पत्र में खनिज सचिव ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि निहित प्रावधान अनुसार उपलब्ध निधि कम से कम 60 प्रतिशत राशि उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों में और 40 प्रतिशत राशि अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में उपयोग किए जाने के नियम के विरूद्ध स्वीकृति प्रदान की गई।
  • जिला खनिज न्यास नियम 22 (2) जनकल्याण के तहत केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रावधान के विपरित जिला स्तर के कार्यों को जनकल्याण मानकर कार्य स्वीकृत किए गए। इसे नियम विपरित बताया गया।
  • जिला खनिज न्यास द्वारा विलेख निष्पादन की जिम्मेदारी प्रारूप—क में व्यवस्थापक और न्यासियों द्वारा किया जाना था पर 16 सितंबर 2022 के पत्र के अनुसार रायपुर, धमतरी, बीजापुर और रायगढ़ को छोड़ किसी अन्य जिले में विलेख का निष्पादन किया ही नहीं गया है।

मजेदार बात तो यह है कि आडिट रिपोर्ट को लेकर भी जिला खनिज न्यास को जो निर्देश जारी किए गए उसका भी पालन दंतेवाड़ा जिले के दर्ज डाटा में नहीं किया गया है। डीएमएफ की साइट में दंतेवाड़ा जिले की वित्तीय वर्ष 2020—21 तक का ही आडिट प्रतिवेदन दर्ज है। 2021—22 और 2022—23 के आडिट की कापी अब तक अपलोड नहीं की गई है। इसके लिए नियम —25(9) के अनुसार वित्तीय वर्ष की समाप्ति पश्चात शीघ्र ही अनुमोदित वार्षिक प्रतिवेदन और अनुमोदित लेखा परीक्षा प्रतिवेदन जिला पंचायत और राज्य शासन को लेखा प्रतिवेदन के साथ उनके संबंधित वोबसाइट पर प्रकाशन के लिए अग्रेषित किया जाना अनिवार्य है।

  • नियम—12 (3क) के अनुसार मनरेगा एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं का सामाजिक अंकेक्षण किया जाना था जिसके पायलेट प्रोजेक्ट के तहत कोरबा, दंतेवाड़ा एवं बस्तर जिला का अंकेक्षण किया जाना था पर इसका सामाजिक अंकेक्षण नहीं किए जाने पर अक्टूबर 2022 तक इसे पूरा करने के निर्देश थे। जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है।
  • नियम—13 (क) के अनुसार शासी परिषद की बैठक हर छह माह में कम से कम एक बार होना आवश्यक है। दंतेवाड़ा जिले में ऐसे किसी बैठक के बारे में किसी के पास स्पष्ट जानकारी है ही नहीं। इस पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि विधानसभा सत्र जुलाई 2022 में शासी परिषद की बैठक की जानकारी के अनुसार 2021—22 में केवल एक बार बैठक की जानकारी दी गई।

यदि इन दिशा निर्देशों का अध्ययन करें तो एक बात तो स्पष्ट है कि प्रदेश के सर्वाधित अंशदान वाले जिलों में भयंकर किस्म की कोताही के प्रमाण हैं। सबसे बड़ी कोताही कार्यों की पारदर्शिता को लेकर है। शासन के यह स्पष्ट निर्देश रहे हैं कि ​संचालित किए जा रहे किसी भी कार्य के संबंध में स्पष्ट ब्यौरा कार्यस्थल पर बोर्ड प्रदर्शित कर प्रस्तुत किया जाना है। 

जिसके तहत आम लोगों को यह जानकारी मिल सके कि किसी कार्य के लिए कितनी राशि सुनिश्चित की गई है और इस कार्य की एजेंसी कौन है। ठेकेदार का नाम और कार्यवधि के साथ अन्य जानकारी चस्पा की जानी है। डीएमएफ के किसी भी कार्य में इस तरह की प्रक्रिया का अब तक पालन कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।

स्थानीय लोगों का यह आरोप है कि दंतेवाड़ा जिले में वर्तमान में संचालित विकास कार्यों का ब्यौरा डीएमएफ की साइट पर क्यों दर्ज नहीं है अथवा जो दर्ज है वह स्पष्ट क्यों नहीं है। इसकी जानकारी देने की स्थिति में कोई नहीं है। बड़ी बात तो यह है कि शिक्षा जैसे विभाग में जहां केंद्र की विभिन्न योजनाओं से हर जिले के लिए करोड़ों रुपए का आबंटन सीधे जिला शिक्षा अधिकारी के खाते में डाला जा रहा है इसी शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी के खातों में डीएमएफ से करोड़ों रुपए फंडिंग के आंकड़े कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं।

विकास कार्यों को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अब कहना शुरू कर दिया है कि ‘जिस तरह से आदिम जाति कल्याण विकास विभाग और पशुधन विभाग के आंकड़ों की भी पड़ताल हर किसी को चौंका सकती है। दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ का दूसरा सर्वाधिक न्यास राशि प्राप्त करने वाला जिला है। इस जिले में जिस तरह की व्यवस्था होना चाहिए उसमें कोताही से जिले के समग्र विकास की परिकल्पना को ठेस लग सकती है।’

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