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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का सरताज कौन?… बघेल को CM फेस बताने से बच रही पार्टी, सेफ गेम या कुछ और है प्लान…

इम्पैक्ट डेस्क.

छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान जोरों पर है। कांग्रेस ने बीजेपी के 15 साल के शासन को खत्म करने के बाद 2018 में सरकार बनाई थी। पार्टी दोबारा सत्ता की चाबी हासिल करना चाहती है। वहीं बीजेपी अपने किले को वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।बीजेपी ने जहां रमन सिंह के चेहरे को मुख्यमंत्री फेस के तौर पर प्रोजेक्ट किया है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने ऐसा कुछ नहीं किया है। पार्टी सरकार की सफलताओं की कहानियों का इस्तेमाल तो कर रही है लेकिन चुनावी पोस्टर्स में उनके चेहरे का नहीं।

भूपेश है तो भरोसा है
23 अगस्त, 2018 को छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जब कांग्रेस 15 साल के राज्य की सत्ता पर काबिज बीजेपी को हटाना चाह रही थी, तब रायपुर से कुछ किलोमीटर दूर अपने पैतृक गांव में कांग्रेस नेता भूपेश बघेल समर्थकों से घिरे हुए थे जो उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दे रहे थे। इस दौरान जैसे ही बघेल ने शंख उठाया और समर्थकों ने उन्हें बढ़ावा दिया, उन्होंने इसे 15 सेकंड से अधिक समय तक बजाया। यह तस्वीर आइकॉनिक बन गई और पार्टी ने इसका इस्तेमाल सभी पोस्टर्स पर किया। तस्वीर के साथ नारा लिखा- ‘भूपेश है तो भरोसा है।’
बघेल के नेतृत्व में सावधानीपूर्वक तैयार किए गए चुनाव अभियान में पार्टी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में रिकॉर्ड 68 सीटें जीतीं। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आने वाले जमीनी नेता बघेल को कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बनाया। पांच साल बाद, कांग्रेस के पोस्टर बॉय और विश्वसनीय संकटमोचक बघेल छत्तीसगढ़ चुनाव का एकमात्र चेहरा नहीं है। रायपुर से लेकर सुकमा तक कांग्रेस उनकी सरकार की सफलता की कहानियां तो इस्तेमाल कर रही है लेकिन चुनावी पोस्टरों पर उनका चेहरा नहीं।

पार्टी ने बदला नारा
2023 के चुनाव में कांग्रेस ने नारा भी बदल दिया है। इस बार- भरोसा बरकरार, फिर से कांग्रेस सरकार को पोस्टर्स पर लिखा गया है। इस बार कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में लड़ रही है। रायपुर में, लगभग सभी पोस्टर्स में केंद्रीय तस्वीर के तौर पर राहुल गांधी और स्टैंप आकार में बघेल सहित राज्य नेतृत्व की तस्वीर है। रायपुर से करीब 250 किलोमीटर दूर माओवादियों के गढ़ नारायणपुर में भी प्रचार अभियान ऐसा ही है। पार्टी पिछले पांच वर्षों में अपनी उपलब्धियों के बारे में बता रही है, जिसमें स्वास्थ्य सेवाएं, 7.27 मिलियन लोगों को राशन कार्ड, हर महीने 35 किलोग्राम चावल और आदिवासियों के अधिकार शामिल हैं।

बघेल सरकार की उपलब्धियां गिनाईं
कांग्रेस अपने कार्यकाल की तुलना बीजेपी के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल से करने की कोशिश कर रही है, और इसे ‘दमन के 15 साल (दमन के 15 साल)’ के रूप में बता रही है। यहां भी पोस्टर्स से बघेल गायब हैं। दंतेवाड़ा में, पार्टी के पोस्टर्स में घोषणा की गई है, ‘हमार माटी, हमार कलेवा, हमार तिहार। भरोसा बरकरार, फिर से कांग्रेस सरकार।’ पोस्टर में हरेली,

रमन सिंह ने हमला बोला
काका (या चाचा) के नाम से लोकप्रिय, बघेल को लोगों से सीधा संबंध रखने और स्थानीय पहचान को प्रोत्साहित करने के लिए जाना जाता है। वहीं इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम रमन सिंह ने भूपेश पर हमला करते हुए कहा, ‘कहां गया भरोसा? पार्टी के पोस्टर्स पर भूपेश कहां हैं? वे अपने भ्रष्टाचार से शर्मिंदा हैं। वह अब पोस्टर्स में नहीं हैं।’

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