District Beejapur

सहायक आयुक्त मामले की होनी चाहिए थी निष्पक्ष जांच, दबाब में कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण : अजय… सरकार के फैसले पर युवा आयोग सदस्य की तीखी प्रतिक्रिया, कहा-एकपक्षीय कार्रवाई से अफसरों का मनोबल पड़ेगा कमजोर…

इंपैक्ट डेस्क.

बीजापुर। सर्व आदिवासी समाज समेत विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं की प्रतिक्रिया के बाद सहायक आयुक्त श्रीकांत दुबे पर निलम्बन की कार्रवाई तो हो गई, लेकिन कार्रवाई ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। स्वयं राज्य युवा आयोग के सदस्य एव जिला कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह ने कार्रवाई की तीखी आलोचना की है। जारी बयान में अजय ने पूरी कार्रवाई को ना सिर्फ एक पक्षीय करार दिया है बल्कि सरकारी फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। जारी वक्तव्य में उनका कहना है कि सहायक आयुक्त का निलम्बन उचित नही है। सहायक आयुक्त ने कलेक्टर बीजापुर के निर्देश पर अधीक्षकों की समीक्षा बैठक बुलाई थी। चूंकि कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने आश्रम निरीक्षण के दौरान पाया था कि आश्रम में दर्ज संख्या के अनुपात में बच्चों की उपस्थित बहुत कम है, वही कोविड के दौरान बन्द आश्रमो में बच्चों की उपस्थिति शत प्रतिशत पाई गई थी, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका निर्मित हुई। इसके मद्देनजर बैठक बुलाई गई थी, जिसमे सहायक आयुक्त ने कर्मचारियों को फटकार लगाई थी, हालांकि जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल की वे स्वयं निंदा करते है,लेकिन अपने बचाव में बेबुनियाद आरोप मढ़ने का समर्थन भी वे नही करते।

अजय के मुताबिक सरकार को निलम्बन की कार्रवाई से पहले पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करानी थी, जो ना कर एकतरफा कार्रवाई की गई, इसके प्रतिफल आने वाले दिनों में सामान्य वर्ग के अफसर-कर्मियों का मनोबल कमजोर होगा, जिससे उन्हें अपने कर्तव्य के निर्वहन में आगे चलकर परेशानी हो सकती है। सरकार को इस पहलू को भी गम्भीरता से लेने की दरकार है, वही उनकी सरकार से दरखास्त भी है कि बीजापुर जिले में सभी बड़े अधिकारी की पदस्थापना आदिवासी वर्ग से करें , ताकि इस तरह की विवादस्पद स्थिति की पुनरावृत्ति ना हो।

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