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छत्तीसगढ के इस गांव के ग्रामीणों ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी… बोले- राज्य बनने के बाद आज तक नहीं हुआ विकास… वोट चाहिए तो पहले पूरी करनी पड़ेगी ये मांग…

इंपैक्ट डेस्क.

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर बालोद जिले में तैयारी जोरों पर हैं। वहीं, गोरकापार गांव के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। ग्रामीणों की मांग है कि उनका गांव ग्राम पंचायत चीचा का आश्रित गांव है। उसे स्वतंत्र पंचायत का दर्जा दिया जाए। गुरुवार को अपना काम बंद करके सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण कलेक्ट्रेट पहुंचे। ग्रामीणों ने अलग पंचायत की मांग पूरी न होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी। ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है और अनुसूचित जनजाती वर्ग की उपेक्षा इस गांव में हो रही है।

राज्य बनने से आज तक नहीं हुआ विकास
ग्रामीण अनिल मानकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन उनका गांव आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी विकास कार्यों से कोशों दूर हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम गोरकापार में आने जाने के लिए एक ही मार्ग है और वह भी जर्जर अवस्था में है। बीच में एक नाला पड़ता है और वह हर वर्ष बरसात के पानी में बह जाता है। जिसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है।

लेकिन उनका गांव आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी विकास कार्यों से कोशों दूर हैं। उन्होंने बताया कि ग्राम गोरकापार में आने जाने के लिए एक ही मार्ग है और वह भी जर्जर अवस्था में है। बीच में एक नाला पड़ता है और वह हर वर्ष बरसात के पानी में बह जाता है। जिसके कारण ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है।

शिक्षा के लिए दूसरे गांवों पर रहना पड़ता आश्रित
ग्रामीण महाजन सिंह ठाकुर ने बताया कि गांव में केवल प्राथमिक स्तर तक ही स्कूल है। उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव पर आश्रित रहना पड़ता है। आश्रित गांव होने के कारण आदिवासी बाहुल्य लोग होने के कारण यहां पर विकास रुका हुआ है। सिंचाई के लिए नहर नाली की व्यवस्था का भी अभाव है। जिसके कारण कृषि उत्पादन में गांव पिछड़ा हुआ है।

हर क्षेत्र में विकास से दूर 
ग्रामीणों ने बताया कि इन सब पिछड़ेपन और विकास से दूर रहने का एकमात्र कारण यह है कि वह किसी अन्य पंचायत का आश्रित गांव है। बिजली के खंभे जर्जर होकर टूट रहे हैं पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। इसलिए सभी जिला प्रशासन के पास अपनी समस्याओं को लेकर आए हुए हैं। खेतों में आने-जाने के लिए सड़के नहीं हैं। मुक्तिधाम में शेड का निर्माण नहीं कराया गया है।

सचिव पटवारी तक नहीं आते गांव 
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पंचायत सचिव, पटवारी और कृषि विस्तार अधिकारी झांकने तक नहीं आते। कृषि विस्तार अधिकारी का चक्कर काटना पड़ता है, जिसके कारण वे सब काफी परेशान हैं। गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो इलाज के लिए भी दूसरे गांव में जाना पड़ता है। गांव में जानवरों के लिए गठन की सुविधा नहीं है।

जनप्रतिनिधि नहीं देते ध्यान
ग्रामीणों ने पूरे मामले में पूर्व विधायकों पर भी निशाना साधा है। उन्होंने लिखित शिकायत पत्र में लिखा है कि गांव में पूर्व विधायक वीरेंद्र साहू राजेंद्र राय एवं वर्तमान विधायक कुंवर सिंह निषाद को भी समस्या से अवगत कराया गया था। लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधी द्वारा उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं किया गया है। इसलिए वे जिला प्रशासन के पास पहुंचे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि उनकी समस्याओं का निराकरण नहीं होता है तो वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

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