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राशन दुकानों की राशि डकार खाद्य विभाग ने खुद को किया पोषित!

मुकेश चंद्राकर। बीजापुर।

मामला खाद्य विभाग में वित्तीय पोषण राशि वितरण में सेंधमारी से जुड़ाजांच की मांग तेज होने से मामला हुआ हाईप्रोफाइल

सूबे में नई सरकार गठन की प्रक्रिया के बीच बीजापुर जिले में प्रशासनिक महकमे के सबसे महत्वकांक्षी खाद्य विभाग में राशन दुकानों को जारी होने वाली वित्तीय पोषण की राशि में सेंधमारी का मामला सामने आया है. जिसके बाद पूरे मामले की पड़ताल आसमान से लेकर सतह तक करवाने की मांग जोर पकड़ रही है.

यह पूरा मामला वित्तीय पोषण की राशि से जुड़ा हुआ है. जोकि नान(खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं संरक्षण विभाग) के मार्फत आवेदन की प्रक्रिया पूरी करने के उपरांत खाद्य विभाग को जारी की जाती है, और आगे इस राशि को पंजीकृत राशन दुकान को उनके बैंक खातें के माध्यम से जारी की जाती है.

मिली जानकारी के अनुसार बीजापुर में पंजीकृत अथवा लाइसेंस प्राप्त 170 में से 134 राशन दुकानों के नाम पर कुल 1 करोड़ 2 लाख 91 हजार की राशि खाद्य विभाग की तरफ से मंजूर की गई थी. और यह राशि प्रत्येक राशन दुकानों को उनके बैंक अकाउंट डिटेल्स के आधार पर ट्रांसफर की जानी थी जो नहीं हुआ.

पड़ताल में जो तथ्य, प्रमाण मीडिया कर्मियों के हाथ आए हैं, इनमें भोपालपट्नम ब्लाक में संबंधित खाद्य निरीक्षक द्वारा तगड़ी प्लानिंग कर बड़ी राशि आहरित कर ली गई है.
भोपालपट्नम के बाद भैरमगढ़ ब्लाक से भी मिलती-जुलती कहानी बाहर आई है.

दरअसल वित्तीय पोषण की जो राशि राशनदुकानों को सिलसिलेवार जारी की जानी चाहिए थे, वैसा ना कर जिम्मेवारों ने कई राशन दुकानों की राशि चुनिंदा राशन दुकानों के खाते में जमा करवाई और बाद में सेल्समेन के माध्यम से रकम फोन पे, एनईएफटी के अलावा कुछ स्थानों पर नकद आहरण की जानकारी मिली है.

जिले में संचालित राशन दुकानों का संचालन कहीं महिला स्व सहायता समूह कर रही है तो कुछ स्थानों पर ग्राम पंचायतों के मार्फत दुकानें संचालित हैं.

दिलचस्प बात यह है कि कई राशन दुकान संचालक जिनके खातें में एक से अधिक दुकानों की रकम जमा हुई है, पहले पहल उन्हें तक इसकी जानकारी ही नहीं थी.

मिल रही शिकायतों की हकीकत जानने भोपालपटनम ब्लाक के कुछ राशन दुकान संचालकों से संपर्क किया गया तो पूरे खेल में नए किस्से जुड़ते चले गए.

सेंडरा राशन दुकान के संचालक संतोष यालम कैमरे पर कहते हैं कि उनके खाते में बरदेली, चंदूर, बामनपुर, बड़े काकलेर में संचालित राशन दुकानों के नाम कुल 3 लाख 64 हजार रूपए जमा करवाए गए थे.

संतोष का कहना है कि राशि जमा होने के बाद खाद्य निरीक्षक मनोज सारथी के कहे अनुसार उन्होंने उनके फोन पे नंबर पर पहले 60 हजार रूपए और बाद में एनईएफटी के माध्यम से डेढ़ लाख से अधिक रूपए जमा करवाए थे.

बामनपुर राशन दुकान संचालक तुलसी राम गोटे के अनुसार ग्राम पंचायत के खाते में 21 दिसंबर को 34 हजार रूपए नगद जमा हुए हैं. तुलसी गोटे ने बताया की संतोष यालम द्वारा बामनपुर पंचायत के खाते में 34,000 रुपए नगद जमा करने की जानकारी दी. मगर, किसके कहने पर इस राशि को पंचायत के खाते में जमा किया गया है? इसका जवाब संतोष ही दे सकते हैं. लिहाजा इसकी तस्दीक करने के लिए सैंड्रा राशन दुकान के संचालक संतोष यालम से जब संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन ही रिसीव नहीं हुआ.

बामनपुर ग्राम पंचायत के खाते में 34,000 रुपए नगद राशि जमा होने के संबंध में ग्राम पंचायत सचिव संतोषी उप्पल से संपर्क किया गया. वित्तीय पोषण की राशि ग्राम पंचायत के खाते में जमा हुई या नहीं इसकी जानकारी पंचायत सचिव को भी नहीं है. लेकिन, पंचायत के खाते का अकाउंट स्टेटस देख सचिव संतोषी ने बताया की “21 दिसंबर को किसी के द्वारा 34,000 की राशि बामनपुर पंचायत के खाते में नगद जमा किया गया है.” किसके कहने पर किसके द्वारा पंचायत के खाते में नगद पैसे जमा किए गए हैं? इस सवाल का जवाब पंचायत सचिव के पास भी नहीं है.

एक-दो ही नहीं बल्कि कुछ और राशन दुकान संचालकों द्वारा किसी राशन दुकान के खाते में राशि आने और कहीं एक खाते में एक से अधिक दुकानों की राशि जमा करवाने और एकमुश्त निकासी जैसी बातें बताई.

खाद्य विभाग अंतर्गत वित्तीय पोषण की राशि में कथित खाद्य निरीक्षक द्वारा सेंधमारी की पूरी कुंडली उस सूची के अवलोकन से भी स्पष्ट होती है, जिसमें राशन दुकानों को आवंटित राशि का ब्यौरा दर्ज है. बहरहाल मामले की जानकारी सत्तादल के नेताओं तक भी पहुंच चुकी है.

वहीं इस पूरे मामले में मीडिया के हर सवाल के जवाब में खाद्य अधिकारी गणेश कुर्रे का कहना है कि- ”वित्तीय पोषण राशि के वितरण में गडबडी हुईं है तो अवश्य इसकी जांच कराई जायेगी।“

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