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ENC अरविंद राही पहुंचे दंतेवाड़ा… दंतेश्वरी कारिडोर की जांच शुरू तकनीकी पक्ष के साथ वित्तीय पक्ष पर भी रहेगी निगाह… इधर दंतेवाड़ा में प्रभारी EE ठाकुर का दावा मामला सेट हो गया है?

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

क्या एक बार फिर दंतेवाड़ा में किसी मामले की जांच से पहले ही मामला सेट हो गया है? यह सवाल गुरूवार को दिनभर उड़ता रहा। बताया गया कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के प्रभारी कार्यपालन अभियंता ने अपने कुछ करीबियों को दावा कि उपर से मामला सेट हो गया है। महोदय ने सब कुछ संभाल लिया है। कुछ नहीं होगा!

इधर रायपुर में एसीएस के जांच आदेश के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के ईएनसी अरविंद राही गुरूवार को ही दंतेवाड़ा पहुंच गए हैं। उनके बारे में राजधानी में एक बात तो साफ है कि वे गुणवत्ता को लेकर समझौता करने वाले अफसरों में शामिल नहीं है। कागज के पक्के हैं। उनके कुछ करी​बी अफसरों के साथ इम्पेक्ट ने चर्चा कर ईएनसी की कार्यप्रणाली के बारे में जानने की कोशिश की। दंतेवाड़ा में माता दंतेश्वरी कारिडोर की जांच के मामले में उनका नाम आने के बाद बड़ी चर्चा है कि अब दोषी और दागी को बचने का रास्ता ही नहीं मिलेगा।

बताया जा रहा है कि दंतेश्वरी कॉरिडोर की जांच ग्रामीण यांत्रिक सेवा (आरईएस) के इंजीनियर इन चीफ अरविंद राही ने शुरू कर दी है। उन्होंने कॉरिडोर से जुड़े सभी दस्तावेज अपने हाथों में ले लिए हैं। टेंडर में वित्तीय अनियमितता के साथ-साथ वहां चल रहे काम के गुणवत्ता की भी जांच होगी। वहीं दूसरी तरफ कुछ पर्यावरण प्रेमियों ने एनजीटी में भी इस मामले की शिकायत करने की तैयारी कर ली है। यह भी बात सामने आई है कि एनआईटी से स्ट्रक्चर को एप्रूवल ही नहीं करवाया गया।

डीएमएफ से निर्माण कार्य करवाया जा रहा है लेकिन बस्तर विकास प्राधिकरण, सांसद और जनप्रतिनिधियों से भी इसकी सहमति नहीं ली गई है। दूसरी तरफ राही को जांच अधिकारी बनाने पर भी सवाल खड़े हाे रहे हैं। प्रथम दृष्टया इस मामले में कलेक्टर दंतेवाड़ा विनीत नंदवार की संलिप्तता सामने आ रही है। ऐसे में सचिव स्तर के अधिकारी से जांच करवानी चाहिए थी। कुछ लोगों ने इसको उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा की जानकारी में भी लाया है।

10 करोड़ के लगवा दिए पत्थर : दंतेश्वरी मंदिर में लाल पत्थर लगाए जा रहे हैं। इनका रेट 7250 रुपए प्रति स्क्वाॅयर मीटर तय किया गया है। इन पत्थरों पर नक्काशी है। जबकि सामान्य पत्थर की पीडब्ल्यूडी में 2500 रुपए और आरईएस के एसओआर में 3900 रुपए कीमत तय है। नक्काशी की वजह से इसे एसओआर में नहीं माना गया। और जिला निर्माण समिति के तहत एक समिति बनाकर इसका रेट इतना स्वीकृत कर दिया गया। बताया जा रहा है कि 10 से 12 करोड़ के पत्थर लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा नाॅन एसओआर आइटम के लिए सुप्रीटेंडेट इंजीनियर से तकनीकी स्वीकृति लेनी होती है, यह प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गई है।

गुणवत्ता पर भी उठ रहे सवाल

कॉरिडोर के तहत जो काम चल रहे हैं उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। आरईएस के पास कोई ऐसी टीम नहीं है जो ऐसे कामों की गुणवत्ता जांच सके। इसकी का फायदा उठाया जा रहा है। रिटेनिंग वाल के पास फिलिंग के नाम पर भी बड़ा खेल हुआ है। रिटेनिंग वाल की खुदाई में जो गीली मिट्टी निकली वही डाल दी गई है। इस मिट्टी पर राड का जाल बिछाकर सीधे कांक्रीट डाल दिया गया है, वो भी बिना किसी बीम के। जब मिट्टी बैठेगी तो फ्लोरिंग धंसने की संभावना होगी।

जांच की घोषणा के बाद से डीएमएफ शाखा में तैयार होती रही फाइलें

इधर सूत्रों का दावा है कि जिस दिन दंतेश्वरी कारिडोर को लेकर जांच के आदेश दिए गए उस दौरान कलेक्टर विनीत नंदनवार नई दिल्ली में निर्वाचन संबंधी प्रशिक्षण में शामिल होने गए हुए थे। जैसे ही जांच की सूचना मिली आनन—फानन में दस्तावेजों के दुरस्तीकरण का काम शुरू कर दिया गया। इस काम में कुआकोंडा के जनपद सीईओ मोहनीश देवांगन सक्रिय रहे। वे कुआकोंडा में आयोजित एक बैठक में शामिल होकर दंतेवाड़ा पहुंच गए। इसके बाद वे कुआकोंडा लौटे ही नहीं। इधर दस्तावेजों के दुरस्तीकरण की प्रक्रिया में मूलत: जलसंसाधन विभाग के एसडीओ जिन्हें प्रभारी कार्यपालन अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के पद पर बिठाया गया है वे भी इसमें शामिल रहे। ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में जल संसाधन विभाग के एसडीओ को प्रभार देने का काम विनीत नंदनवार ने किया है।

दंतेवाड़ा जिले में एक वाहन को लेकर बड़ी चर्चा है

दंतेवाड़ा जिले में एक कार फरवरी 2023 में खरीदी गई। इसे खरीदने वाले की भूमिका जिला कलेक्टोरेट में एक साधारण कर्मचारी की है। उक्त कर्मचारी द्वारा 20 लाख रुपए से ज्यादा मूल्य की कार खरीदी का रिकार्ड पंजीयन विभाग में दर्ज है। मजेदार बात तो यह है कि इस कार की खरीदी के लिए किसी भी तरह का फाइनेंस नहीं लिया गया है। पंजीयन विभाग का रिकार्ड बता रहा है कि इसे वाहन डीलर से आन कैश यानी नगद अथवा सेविंग खाते के चैक से एकमुश्त भुगतान से खरीदा गया है। सवाल यह है कि महज दस से बारह साल की नौकरी के बाद 20 लाख से ज्यादा की रकम अपने बैंक अकाउंट में सेविंग करने और एकमुश्त भुगतान कर कार खरीदी से सवाल उठना लाजिमी है। संभव है इस संबंध में इनकम टैक्स और प्रवर्तन निदेशालय की टीम संज्ञान में लेकर जांच करे।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

इम्पेक्ट ने ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के एक ​सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी से दंतेवाड़ा के कारिडोर में रिवर फ्रंट समेत अनेके कार्यों में तकनीकी स्वीकृति और प्रशासकीय स्वीकृति के मामलों को लेकर चर्चा की तो यह स्पष्ट किया गया कि जो तथ्य दस्तावेजों में परिलक्षित हो रहे हैं उसके अनुसार कार्यपालन अभियंता और कलेक्टर दोनों की सीधी गलती है। ऐसा किया ही नहीं जा सकता। उसके पीछे उनका तर्क यही था कि ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में उप अभियंता से लेकर ईएनसी तक के लिए पूरा मैनवल है। जिसके आधार पर ही काम किया जा सकता है। किस स्तर तक स्वीकृति का अधिकारी कार्यपालन अभियंता का है और उनकी सीमा कितनी है यह मैनवल में दर्ज है।

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