बबन प्रसाद मिश्र का आर्शीवाद मिला, पत्रकारिता की समझ विकसित हुई, विशेषकर मूल्यपरक एवं ईमानदार पत्रकारिता को आत्मसात करने की प्रेरणा… – सफ़रनामा दिवाकर मुक्तिबोध
कुछ यादें कुछ बातें-4 बबनप्रसाद मिश्र : देश में आपातकाल के ठीक पूर्व जिन अखबारों की रातों-रात प्रसार संख्या व पठनीयता बढ़ी, उनमें रायपुर से प्रकाशित युगधर्म भी था। एक ख़ास विचारधारा का अखबार। तब शहर में नवभारत व देशबंधु की जोरदार पकड़ के बावजूद उस विशेष कालखंड में युगधर्म की अधिक माँग रहती थी। लेकिन इसे आपातकाल का शिकार होना पड़ा। इसके संपादक थे बबन प्रसाद मिश्र। अपनी किताब ‘मैं और मेरी पत्रकारिता ‘ में उन्होंने लिखा है- ” अतीत पर हँसना और रोना, वर्तमान के प्रति संतोष-असंतोष और
Read More