safarnama

safarnama

बबन प्रसाद मिश्र का आर्शीवाद मिला, पत्रकारिता की समझ विकसित हुई, विशेषकर मूल्यपरक एवं ईमानदार पत्रकारिता को आत्मसात करने की प्रेरणा… – सफ़रनामा दिवाकर मुक्तिबोध

कुछ यादें कुछ बातें-4 बबनप्रसाद मिश्र : देश में आपातकाल के ठीक पूर्व जिन अखबारों की रातों-रात प्रसार संख्या व पठनीयता बढ़ी, उनमें रायपुर से प्रकाशित युगधर्म भी था। एक ख़ास विचारधारा का अखबार। तब शहर में नवभारत व देशबंधु की जोरदार पकड़ के बावजूद उस विशेष कालखंड में युगधर्म की अधिक माँग रहती थी। लेकिन इसे आपातकाल का शिकार होना पड़ा। इसके संपादक थे बबन प्रसाद मिश्र। अपनी किताब ‘मैं और मेरी पत्रकारिता ‘ में उन्होंने लिखा है- ” अतीत पर हँसना और रोना, वर्तमान के प्रति संतोष-असंतोष और

Read More
safarnama

मुझे पत्रकारिता के इस पेशे में लाने का श्रेय स्व. रम्मू श्रीवास्तव को है… पत्रकार का सफ़रनामा… दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता का पढ़ा है जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… यह तीसरा अंक… कुछ यादें कुछ बातें- 3 – रम्मू श्रीवास्तव रम्मू श्रीवास्तव- छत्तीसगढ में मूल्यानुगत पत्रकारिता करने वालों में जो नाम प्रमुखता से लिया जाता है वह है रम्मू श्रीवास्तव का जो आजीवन रम्मू भैया के नाम जाने जाते रहे। उनकी हिंदी व अंग्रेज़ी में समान पकड़ थी ।उनकी भाषा शैली व ज्ञान का लोहा सभी मानते थे। विविधता

Read More
safarnama

‘ललित जी’ और ‘देशबंधु’ सुनहरे अतीत से अब तक… पत्रकार का सफ़रनामा… दिवाकर मुक्तिबोध

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के आधार स्तंभों में से एक दिवाकर जी… ने पत्रकारिता का पढ़ा है जिया है और अब भी जी रहे हैं… वे अपना सफ़रनामा लिख रहे हैं… यह पहला अंक पत्रकारिता के छात्रों के लिए… कुछ यादें कुछ बातें – 1 पदुम लाल पुन्ना लाल बख़्शी जी का प्रसिद्ध निबंध है, ‘ क्या लिखूँ ‘। निबंध के इस शीर्षक की याद अनायास हो आई। दरअसल आईपैड हाथ में था और सोच रहा था – क्या लिखूँ। दिमाग़ के घोड़े दौड़ा रहा था पर कुछ सूझ नहीं रहा

Read More
error: Content is protected !!