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नक्सलियों के अर्बन नेटवर्क में पुलिस के जवान…? कारतूस मामले में पूछताछ जारी…

इम्पेक्ट न्यूज डेस्क। रायपुर।

सुकमा जिले में हाल ही में नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने के शहरी नेटवर्क में सुकमा पुलिस के दो जवान भी शामिल हैं। एक दिन पहले शनिवार को ही पुलिस ने शहरी नेटवर्क का खुलासा करते हुए करीब 700 जिंदा कारतूस के साथ चार सप्लायरों को गिरफ्तार किया था।

इस मामले में एएसआई और आरमोरर को भी हिरासत में लिया गया है और उनसे भी पूछताछ की जा रही है। जिनके बारे में पुलिस खुलासा नहीं कर रही है। नक्सलियों के सप्लाई चैन में इनकी अहम भूमिका होने की बात कही जा रही है।

पूर्व में भी एएसआई और आरमोरर द्वारा नक्सलियों को कारतूस व अन्य जरूरी सामाग्री सप्लाई किया गया है। हालांकि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने नक्सलियों को कारतूस की सप्लाई करने में जवानोंं की भूमिका से इंकार किया है।

अर्बन नेटवर्क का भंडाफोड़

कांकेर जिले में नक्सल मामलों में हुए खुलासे में शहरी नेटवर्क के तार सुकमा से जुड़ते मिले हैं। मोबाइल ट्रेसिंग कर पुलिस ने ऐसे पुलिसकर्मियों पर नजर रखने लगी थी। इसी बीच गुप्त सूचना मिली थी कि नक्सलियों को गोलियों की सप्लाई होने वाली है। इसके मद्देनजर एक विशेष टीम का गठन किया गया। जिसकी कमान स्वयं पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने संभाल रखी थी। 3-4 जून को एएसआई और सप्लायरों के बीच कारतूस सप्लाई की योजना बनी।

फिल्मी स्टाइल में धरपकड़

बताया जा रहा है कि सप्लायर लगातार एएसआई के संपर्क में थे। पुलिस भी जवान और सप्लायर का फोन ट्रेस कर रही थी। 4 तारीख की सुबह करीब 4 बजे शहर के मलकानगिरी चौक पर मिलने का प्लान बनाया। प्लान के मुताबिक सप्लायर स्कार्पियो वाहन में सुकमा पहुंचे और मलकानगिरी चौक पर जवान का इंतेजार कर रहे थे।

एएसआई के हिरासत को छिपाया

इसी बीच पुलिस की विशेष टीम ने सप्लायारों को घेराबंदी कर धरदबोचा। इसके बाद कारतूस का बैग लेकर पहुंचे एएसआई को भी पुलिस ने पकड़ लिया। पुलिस ने मौके से दो सप्लायर और एक एएसआई को हिरासत में लिया और आरमोरर को इंदिरा कॉलोनी स्थित उसके घर उठाया। पर इस बात को मीडिया से छिपा लिया।

लगातार पुलिस की कार्रवाई में शहरी नेटवर्क का खुलासा हुआ है। कांकेर में कुछ माह पहले सप्लायरों से पूछताछ में सुकमा के कुछ पुलिसकर्मियोंं के शामिल होने की जानकारी मिली। इसके बाद से सुकमा पुलिस एएसआई पर नजर बनाये हुई थी।

एएसआई की संदिग्ध गतिविधियों के कारण पुलिस का शक यकीन में बदल गया। एएसआई का फोन ट्रेस किया गया जिसमें एएसआई लगातार नक्सल सप्लायरों के संपर्क में था। कारतूस का बड़ा खेप आरमोरर के सहयोग से सप्लायारों तक पहुंचा रहा था।

जान की कीमत 350 रू

नक्सलियों को सप्लाई किए जानेवाले कारतूस सुकमा ही नहीं बीजापुर से भी सप्लाई किया जाता था। गिरफ्तार किये गये सप्लायरों ने इसका खुलासा किया था। एएसआई और आरमोरर द्वारा सप्लायरों को साढ़े तीन सौ रुपए प्रति गोली के हिसाब से कारतूस बेचते थे। जानकारी के अनुसार एक साल में करीब तीन लाख से ज्यादा के कारतूस बेच दिये हैं। तीसरी बार बेचने जा रहे थे कि पुलिस ने रंगे हाथ पकड़ लिया।

नक्सलियों तक बड़ी मात्रा में असलाह बरूद की सप्लाई का एक बड़ा स्त्रोत पुलिस जवान रहे हैं। दक्षिण बस्तर में पूर्व के कुछ मामलो पर प्रकाश डालें तो वर्दी वाले ही सरकारी कारतूस और हथियार सप्लाई करते पकड़ाये हैं। सुकमा जिले में पुलिस जवानोंं द्वारा नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने का यह नया मामला नहीं है।

पहले भी कई मामले सामने आये हैं। जिसे विभागीय स्तर पर दबा दिया गया। जानकारी के अनुसार वर्ष 2013 में नक्सली से पुलिस में शामिल हुए आरक्षक द्वारा नक्सलियों को हथियार व कारतूस सप्लाई करते पकड़ा गया था। पूछताछ कर उसे माफ कर दिया। इसके बाद वर्ष 2016 में डीआरजी के कुछ जवानों पर भी नक्सलियों को कारतूस सप्लाई करने का आरोप लगा था।

इस मामले में एसआईटी गठित की गई है। जवानों की संलिप्ता पर अभी कुछ भी कह पाना मुश्किल है। जांच टीम को अहम सुराग हाथ लगे हैं। कई बिंदुओं पर जांच की जा रही है। नक्सलियों के सप्लाई चैन मेंं शामिल और भी लोगों के नामों का खुलासा जल्द किया जाएगा।
— शलभ सिन्हा, पुलिस अधीक्षक सुकमा

बयान मीडिया रिपोर्ट से लिया गया है।

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