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कोई मजदूर नंगे पैर ना जाऐं…..इसलिए प्रशासन ने बांटी चरणपादुका



इम्पेक्ट न्यूज. सुकमा।

कोरोना काल में सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हुए है। और उसमें से सुकमा जिले का कोंटा इलाका जो कि तीन राज्यों की सीमाओं से लगा हुआ है। और यहां पर प्रदेश व अन्य प्रदेशों के मजदूर लगातार आ रहे है। यहां का स्थानीय प्रशासन उन मजदूरों की देखभाल कर रहा है। क्वारीटाईन से लेकर घर तक पहुंचने तक की व्यवस्था प्रशासन कर रहा है। अब इन मजदूरों को तेज धूप में नंगे पैर नहीं चलना पड़े इसके लिए मजदूरों को चरणपादुका का वितरण किया गया।

इस समय कोरोना संक्रमण की रोकथाम सभी का लक्ष्य है। कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए सम्पूर्ण देश में एहतियात के तौर पर लाॅकडाउन किया गया हैं। लाॅक डाउन के इस दौर में प्रवासी मजदूरों द्वारा लगातार अपने घरों की ओर लौटने का प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश बिहार और झारखण्ड के मजदूर जो आंध्रप्रदेश तेंलगाना कर्नाटक तमिलनाडू केरल गए थे। वे कोंटा मार्ग से वापसी कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के दक्षिणी छोर पर बसे कोंटा में थके.हारे मजदूरों की लगातार आमद को देखते हुए सुकमा जिला प्रशासन द्वारा वहां राहत कार्य किए जा रहे हैं। कोंटा तक पैदल पहुंचने वाले मजदूरों की भी बड़ी संख्या रही है। थके.हारे चिलचिलाती गर्मी और तपती सड़कों से पैदल सफर करने वाले मजदूरों के पैरों को राहत दिलाने चरणपादुका का भी व्यवस्था की गई है। प्रशासन द्वारा इन मजदूरों के लिए भोजन और पेयजल आदि सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही उनके गृह जिले तक पहुंचाने के लिए बसों की व्यवस्था भी की गई है। दूसरे राज्यों के मजदूरों को उनके राज्य की सीमा तक भी बसों से पहुंचाया जा रहा है।

फोटो- चरणपादुका का वितरण करते हुए।


इम्पेक्ट से चर्चा करते हुए कोण्टा एसडीएम हिमांचल साहू ने बताया कि आज 21 मई को कोंटा पहुंचे मजदूरों को उनके गृह जिला मुंगेली और गरियाबंद के लिए रवाना किया गया। उन्होंने बताया अब तक लगभग 3 हजार से अधिक मजदूरों को कोंटा से बसों से रवाना किया जा चुका है।

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