District Beejapur

सहायक प्रशिक्षकों की बेदखली से विवादों में घिरा बीजापुर खेल अकादमी… श्रम निरीक्षक की भूमिका संदेह के दायरे में…

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इंपेक्ट डेस्क.

बीजापुर। जिलेभर के उभरते खिलाड़ियों को एक उचित मंच देकर राज्य स्तरीय से लेकर अंतरराष्टीय स्तर तक एक मंच प्रदान करने के लिए चार साल पहले 10 खेलों के साथ स्थापित किया गया स्पोर्टस अकादमी अब विवादों से घिरने लगा है। अकादमी में 10 खेलों के प्रषिक्षकों के सहयोग के लिए नियुक्त किए गए सहायक प्रषिक्षकों को अब चार साल बाद अकादमी से निकाल बाहर कर दिया गया है।

एक ओर जिले में षिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार की दरकार है तो दूसरी ओर चार सालों से रोजगार प्राप्त स्थानीय युवाओं को रोजगार से मुक्त कर बेरोजगारी के दहलीज पर धकेलने की कोषिष की जा रही है। प्रषासन के इस कार्रवाई के बाद अकादमी से निकाले गए सहायक प्रषिक्षकों को आक्रोषित होना जायज है और अब वे इसी आक्रोष में अकादमी के कुछ प्रषिक्षक और सहायक प्रषिक्षकों पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। काम से निकाले गए सहायक प्रषिक्षकों की मानें तो इस पूरे मामले में साफटबॉल के मेहमान प्रषिक्षक और श्रम विभाग के लेबर इंस्पेक्टर सोपान करनेवार की भूमिका बेहद ही संदिग्ध है।

सहायक प्रषिक्षकों ने आरोप लगाया हैं कि लेबर इंस्पेक्टर सोपान करनेवार पर पहले से ही अकादमी के लिपिक के साथ प्रताड़ना का आरोप लग चुका है यही नहीं बल्कि पिछले कुछ दिनों से उन पर विभाग में पैसों के गबन का मामला भी चल रहा है, बावजूद उन्हें 20 अक्टूबर को आयोजित अकादमी के साक्षात्कार में बतौर खेल विषेषज्ञ बिठाया गया था, जोकि पूर्णतः नियम के विरूद्ध है।
चार सालों तक काम करने के बाद अब बिना कराण बताए या नोटिस दिए काम से निकाले गए व्हालीबॉल के सहायक प्रषिक्षक सीनोज पुनेम , जुडो की भावना भगत, कराते की निषा दनाम, बैडमिंटन के गोपी मंडावी और मनीष बघेल ने बताया कि एक सोची-समझी रणनीति और षडयंत्र के तहत् प्रषासनिक समिति के बैठक और प्रस्ताव के बिना प्रभारी अधिकारी स्पोर्टस अकादमी को अंधेरे में रखकर लेबर इंस्पेक्टर और सॉफट बॉल के मेहमान प्रषिक्षक सोपान करनेवार द्वारा उन्हें अकादमी से बाहर कर अपने चहेतों को अकादमी में लाने का षडयंत्र रचकर इस कार्य को अंजाम दिया गया है और साथ ही हालही में निकाली गई भर्ती प्रक्रिया एवं सेवा समाप्ति आदेष बहुत ही कुट रचना के साथ श्रम निरीक्षक सोपान करनेवार के मार्गदर्षन में बनाया गया है, क्योंकि सोपान करनेवार बीएसए के संचालन में अस्थिरता उत्पन्न कर स्वयं को खेल अधिकारी व प्रभारी बनाने की कुट रचना में संलिप्त है और इसमें ये पहले सफल भी हो चुके हैं, परंतु इनके कारगुजारियों के चलते उन्हें अकादमी से बाहर किया गया था।

क्यांेकि उस दौरान इनके कार्यकाल के समय अवैधानिक अनुषंसा व परिवार के सदस्यों को लाभ पहुंचाने के साथ-साथ खिलाड़ी और प्रषिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता रहा है, परंतु विभागीय और राजनैतिक संरक्षण के कारण वे बार-बार बचते रहे हैं।

इस मामले को लेकर काम से निकाले गए सभी सहायक प्रषिक्षक क्षेत्रीय विधायक विक्रम मंडावी , बीजापुर कलेक्टर समेत भाजपा अध्यक्ष से भी मिलकर इस मामले की षिकायत कर चुके हैं, बावजूद अब काम से निकाले गए इन स्थानीय बेरोजगार की सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में स्थानीय युवाओं को रोजगार का राग अलापने वाली वर्तमान सरकार और क्षेत्रीय विधायक समेत नवपदस्थ कलेक्टर क्या कुछ कर पाते हैं , क्या इन गंभीर आरोपों के बाद भी श्रम निरीक्षक पर राजनैतिक और विभागीय संरक्षण बना रहता है या फिर उसे विभाग और अकादम से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।

तीन वर्ष के अनुबंध पर उठा सवाल
काम से निकाले गए सहायक प्रषिक्षकों ने स्पोर्टस अकादमी में प्रषिक्षकों की भर्ती को लेकर बनाए गए नए नियम के तहत् 89 दिनों के बजाए तीन वर्षों के अनुबंध पर भी सवालियां निषान लगाए हैं, सहायक प्रषिक्षकों का आरोप हैं कि नई भर्ती से ठीक पहले अचानक तीन वर्षों के नए अनुबंध को प्रकाष में लाना षडयंत्र को प्रदर्षित करता है। जब अकादमी में वार्षिक प्रषिक्षण प्लान के आधार पर प्रषिक्षण दिया जाता है, जिसे चार भागों में बांटकर जो वार्षिक प्रषिक्षण में प्राप्त है, प्रषिक्षक की योग्यता आंकी जा सकती है। इसलिए तीन वर्ष का अनुबंध करना बीएसए के पूर्व निर्मित नियमावली के विरूद्ध है। वही सहायक प्रषिक्षकों ने सोपान करनेवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि श्रम निरीक्षक के मार्गदर्षन में ही बीएसए प्रभारी को गुमराह करते हुए कराते कोच प्रकर्ष राव पतकी , तीरंदाजी कोच दुर्गेष प्रताप सिंह और जुडो कोच सुरज गुप्ता ने मिलकर बड़े ही शातिराना तरीके से स्वयं को बीएसए में स्थापित करने के लिए इस अनुबंध की कुट रचना रची गई है, जबकि ये तीनों ही प्रषिक्षक स्वयं के प्रषिक्षण कार्य पर अनुपस्थित रहकर मनमाने छुट्टियों को लाभ लेते हुए भी अवैधानिक तरीके से छुट्टियों के दिनों का भी वेतन श्रम निरीक्षक से सांठगांठ कर लेते रहे हैं।

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