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दंतेश्वरी मंदिर प्रोजेक्ट में बड़ी गड़बडि़यों के आरोप… रिवर फ्रंट के नाम पर 45 करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा?

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दंतेवाड़ा रिवर फ्रंट में 20 करोड़ में बन रही 150 मीटर की रिटेनिंग वॉल

ढाई किमी लंबी कॉरिडोर का दावा, 70 करोड़ की बनाई कार्ययोजना
10 करोड़ के पत्थर, 4 करोड़ का लोहा, 3 करोड़ रुपए का कांक्रीट
अधूरे कार्य का पूर्व सीएम से लोकार्पण, 50 प्रतिशत कार्य का 90 प्रतिशत भुगतान

46 टुकड़े कर 20 करोड़ के कार्यों का कराया मैनुअल टेंडर

अभिषेक भदौरिया। दंतेवाड़ा।

उज्जैन महाकाल कॉरीडोर की तर्ज पर प्रस्तावित दंतेवाड़ा रिवर फ्रंट की योजना में व्यापक आर्थिक गड़बडि़यों के आरोप लग रहे हैं। रिवर फ्रंट के लिए श​क्तिपीठ माई दंतेश्वरी के मंदिर से लगे डंकिनी नदी के हिस्से में बनाई जा रही 150 मीटर की रिटेनिंग वॉल पर 20 करोड़ रुपए का खर्च बताया जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट का राष्ट्रीय स्तर पर टेंडर ना करना पड़े इसके लिए पूरे काम को 46 टुकड़ों में बांटकर उसका मैनुअल टेंडर करवाया गया। बताया जा रहा है कि इस पूरे निर्माण कार्य की दस्तावेजों के साथ शिकायत ईओडब्ल्यू के पास भी भेजी गई है।

तीन फेस में करीब 70 करोड़ की कार्य योजना तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। इसे भारत का सबसे लंबा कॉरीडोर बनाने की रूपरेखा तैयार की गई, लेकिन धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है।

कॉरीडोर 115 मीटर में ही सिमट गया, लेकिन कार्य के साथ लागत राशि लगातार बढ़ती गई। कार्य योजना में भैरम बाबा मंदिर तक कॉरिडोर बताया गया था, लेकिन वास्तविक कॉरिडोर जय स्तंभ चौक से सिंह द्वार तक सीमित कर दिया गया।

मंदिर परिसर में जिन कार्यों के लिये 15 से 20 करोड़ रुपए खर्च होने थे, उसके लिये डीएमएफ से 45 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं। इस बंदरबाट में आरईएस के सब इंजीनियर, एसडीओ, ईई और फर्म कृष्णा इंटरप्राइजेस शामिल है।

जो काम हुआ ही नहीं, उसका भी भुगतान महीनों पहले कर दिया गया है। कुछ मामलों में विभाग ने 30 प्रतिशत कार्य का 90 प्रतिशत भुगतान कर दिया है।

रिटेनिंग वॉल में लगा दिया चार करोड़ रुपए का लोहा?
डंकिनी नदी पर मंदिर के समक्ष रिटेनिंग वाल का निर्माण किया जा रहा है। इस दीवार की लंबाई 150 मीटर, ऊंचाई करीब 4 मीटर और इसकी चौड़ाई 40 से 45 सेंटीमीटर है। इस वॉल में 4 करोड़ रूपये लोहे में खर्च किये गये, लगभग पांच लाख किलो लोहा इस्तेमाल किया जाना आरईएस बता रहा है।

विभाग के अनुसार यहां 20 से 32 एमएम के रॉड लगाए जा रहे हैं, लेकिन वॉल में कहीं भी 20 एमएम से अधिक मोटाई के रॉड नहीं दिख रहे। तकनीकी जानकारों की माने, तो 150 मीटर लंबी वॉल में इतने लोहे का इस्तेमाल किया ही नहीं जा सकता। वॉल में एक:एक: दो के अनुपात से तीन करोड़ रुपए के कांक्रीट का काम बताया जा रहा है।

एक:एक: दो अनुपात का कांक्रीट सबसे मजबूत मिश्रण माना जाता है इसका उपयोग ब्रिज कार्पोरेशन भी अपने कामों में नहीं करता। इस मिश्रण को तैयार करने के लिये बैचिंग प्लांट की स्थापना जरूरी है, साइट पर ठेकेदार द्वारा मिनी बैचिग प्लांट की स्थापना दिखाई जा रही है, जो सर्टिफाइड नहीं है।

विभाग ने एक:एक:दो का अनुपात दिखाकर फ्लोरिंग के लिये 60 लाख रुपए खर्च होना बताया है। इस दीवार में 4195 क्यूबिक मीटर कांक्रीट का इस्तेमाल दिखाया जा रहा है। इसकी लागत करीब तीन करोड़़ रुपए है। वहीं इसकी खुदाई के लिये 60 लाख और फिलिंग के लिये दो करोड़ की राशि विभाग खर्च कर रहा है। जानकार हैरान है कि 150 मीटर वॉल तैयार करने के लिए दो करोड़ की ​फिलिंग कैसे की जा सकती है।

फिलिंग में मुरूम और डस्ट दिखाया जा रहा है। 11 करोड़ 40 लाख की लागत से बन रही रिटेनिंग वाल का अभी 30 फीसदी कार्य ही कार्य पूर्ण हुआ, लेकिन अबतक ठेकेदार को 9 करोड़ 40 लाख रुपए भुगतान किया जा चुका है और इसका लोकार्पण भी चुनाव पूर्व हो चुका है.

दस करोड़ रुपए में मंदिर के आसपास पत्थर
आरईएस विभाग मंदिर के आसपास जो कार्य करा रहा है उसमें 11 हजार स्क्वायर मीटर पत्थर लगाने का इस्टीमेट तैयार किया है। लोनिवि के एसओआर से यहां इस्तेमाल होने वाले पत्थरों की कीमत लगभग दो से ढाई करोड़ होती है, लेकिन आरईएस इन्हीं पत्थरों के लिये दस करोड़ का खर्च दिखा रहा है.

एक करोड़ से आठ करोड़ का हुआ ज्योति कलश भवन
इस फर्जीवाडे़ में ज्योति कलश भवन निर्माण भी शामिल है। पूर्व सीएम ने जब इसकी नींव रखी तब कलेक्टर दीपक सोनी थे, और इसका निर्माण एक करोड़ रुपए में किया जाना था, लेकिन समय के साथ-साथ कलेक्टर बदले, तो ज्योति कलश भवन की राशि भी बढ़ गयी। ज्योति कलश भवन देखते ही देखते एक से साढ़े तीन और अंततः 8 करोड़ रुपए का हो गया। यह कार्य अभी शत-प्रतिशत पूरा नहीं हो सका है, लेकिन इसका लोकार्पण भूपेश बघेल द्वारा कराया गया और ठेका कंपनी को इसका भुगतान भी कर दिया गया है।

2 काम, 20 करोड़, 46 टुकड़ों में एएस
रिवर फ्रंट के नाम पर जारी कार्यों में प्रशासकीय स्वीकृति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 20 करोड़ रुपए की दो रिटेनिंग वॉल की 46 टुकड़ों में प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। प्रत्येक स्वीकृति 50 लाख रुपए से कम रखी गई, ताकि तकनीकी स्वीकृति के लिए फाइल उच्च अधिकारियों को ना भेजनी पड़े।

ईई को 50 लाख रुपए तक की तकनीकी स्वीकृति का ही अधिकार प्राप्त है। जिला प्रशासन के दबाव में आरईएस 50 लाख से कम राशि के एस्टीमेट तैयार करता गया। प्रशासन से भी तुरंत स्वीकृति मिलती रही। भंडार क्रय के नियामुनासर 20 लाख रुपए से अधिक की राशि का टेंडर दो राष्ट्रीय और दो प्रदेश स्तरीय बहुप्रसारित अखबार में प्रकाशित किया जाना चाहिए।

किन अखबारों में इसकी निविदा प्रकाशित की गई ईई आरईएस श्री ठाकुर इसका जवाब नहीं दे पाए। वहीं रिटेनिंग वाल निर्माण कार्य में पहला भाग कौन सा है और दूसरा कौन सा. इसे लेकर भी श्री ठाकुर ने चुप्पी साध ली।

फाइल देखकर बताउंगा: ईई
ईई आरईएस श्री ठाकुर से जब इन कार्यो से जुड़े सवाल किये गये तो वे बार-बार फाइल देखने की बात करते रहे। उन्होने बताया कि डिजाइन चेंज होने की वजह से कुछ कार्यों में राशि बढ़ायी गयी है। पत्थरों से जुड़े सवालों का वे जवाब नहीं दे सके। वहीं उन्होंने यह भी बताया कि वॉल निर्माण में जितना काम हुआ है उससे ज्यादा राशि का भुगतान किया जा चुका है। अब वे सवालों का जवाब देने से बचने के लिये रायपुर में होने की बात कह रहे हैं।

नोट – इस संबंध में दंतेवाड़ा कलेक्टर विनित नंदनवार से ज़िला प्रशासन का पक्ष लेने की कोशिश की गई पर उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। दंतेवाड़ा कलेक्टर हर किसी से केवल वाट्सएप कॉल पर बात करते हैं। उन्हें मैसेज भेजकर भी उनका पक्ष लेने की कोशिश की गई पर जवाब नहीं मिला।

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