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छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव के कैबिनेट के लिए दिग्गजों की फेहरिस्त… संतुलन बनाने में आ रही दिक्कत!

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

 

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में शपथ ग्रहण कार्यक्रम की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे। तैयारियों को अंतिम रूप देने का काम रायपुर के पूर्व कलेक्टर और वर्तमान में रायगढ़ से विधायक ओपी चौधरी जुटे हैं। आज शाम ओपी चौधरी और बस्तर के नारायणपुर से निर्वाचित विधायक व पूर्व मंत्री केदार कश्यप मैदान में तैयारियों का जायजा लेते दिखाई दिए।

इधर पूरे प्रदेश में ​देव की कैबिनेट में शामिल होने वाले नामों को लेकर चर्चा है। विष्णुदेव के अनुभव के बारे में अब बताने की ज्यादा जरूरत नहीं है पर एक ऐसा चेहरा जो आदिवासी है और चार बार का सांसद, केंद्रीय मंत्री, विधायक के साथ सरपंच और पंच तक रह चुका है। यानी हर स्तर पर प्रतिनिधित्व का अनुभव उनके पास है। ऐसे में अब यह देखने की कोशिश हो रही है कि उनके मंत्रिमंडल में किन चेहरों को जगह मिलती है।

इस बार भाजपा की 54 सीटों में पूर्व में डा. रमन सिंह के अलावा उनके मंत्रिमंडल के सदस्य बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, केदार कश्यप, लता उसेंडी, विक्रम उसेंडी, राम विचार नेताम, भैयालाल रजवाड़े, पुन्नू लाल मोहिले, दयालदास बघेल जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं। इनकी कुल संख्या 12 होती है। अब इस बार जो बड़े नाम चर्चा में हैं उनमें अरूण साव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, बस्तर से संगठन के महामंत्री किरण देव जगदलपुर से, रायगढ़ से प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी, भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विजय शर्मा भी जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। इनके अलावा रेणुका सिंह और गोमती साय भी महिलाओं विधायकों के नाम पर प्रमुख हैं। ऐसे में कुूल 18 नेता सामने आ रहे हैं जिनके बीच से कैबिनेट का फैसला लिया जाना है।

इसके लिए क्षेत्रीय संतुलन, जातीय संतुलन और अनुभव के साथ सत्ता में संतुलन का निर्धारण किए बगैर प्रदेश में भाजपा की सरकार को सुनियोजित तरीके से चला पाना कठिन हो सकता है। भाजपा को बाहर से देखने में भले ही क्षत्रप दिखाई नहीं दे रहे हैं। पर अंदरूनी तौर पर कई गुटीय समीकरणों के साथ ही सभी वर्गों का साधा जा सकता है। अब कैबिनेट के अलावा कई ऐसे पद हैं जिनके माध्यम से सभी वर्गों को साधने की कोशिश की जाएगी।

इनमें सबसे बड़ा नाम है पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह का। डा. रमन सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि वे इस चुनाव में दिल्ली के भारी दबाव के बावजूद सब कुछ अपने हिसाब से करवाने में कामयाब हो ही गए। पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव को लेकर यह धारणा साफ है कि उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने के पीछे मैं नहीं तो ये वाली स्ट्रेटजी काम कर गई। बताया जा रहा है कि अंतिम दौर तक डा. रमन इस प्रयास में रहे कि उन्हें एक और मौका मिलना चाहिए। इसके पीछे उनकी दलील भले ही जो भी हो पर केंद्रीय नेतृत्व ने अपना मन बना लिया था कि इस बार चेहरे बदल दिए जाएंगे। जिस तरह से टिकट वितरण में पूर्व सीएम डा. रमन के सभी चेहतों को मौका मिला वे सभी जीत कर भी पहुंच गए। इससे साफ हो गया कि मुख्यमंत्री की दौड़ में सबसे आगे वे ही रहेंगे।

कमोबेश सभी विजयी विधायक डा. रमन का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे भी थे। यह भी एक प्रकार से शक्ति प्रदर्शन ही था। भले ही विधायकों की बाड़े बंदी जैसा माहौल यहां देखने को ​नहीं मिला पर नए कई विधायकों को यह इशारा कर दिया गया था कि विधायक दल की बैठक में यदि अवसर दिया जाए तो उन्हें क्या करना होगा? केंद्रीय संगठन ने विधायक दल की बैठक से पहले सभी विधायकों को कुशाभाउ ठाकरे परिसर में शामिल होने के बाद आखिरी बाद सीएम रमन सिंह से बात की।

स्पष्ट संकेत दे दिया कि वे अब दौड़ में शामिल नहीं हैं। अब ऐसी स्थिति में तीन बार के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के लिए सम्मानजनक पद से नीचे तो सोचा भी नहीं जा सकता। वे महज विधायक रहकर काम करेंगे तो भाजपा के खिलाफ संदेश जाएगा। ऐसे में उनकी भूमिका क्या होगी? इसे देखना होगा। इसके बाद प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल हैं इनके लिए मंत्रिमंडल में जगह सुनिश्चित किए बगैर काम नहीं चलेगा। इसी तरह से राजेश मूणत, अजय चंद्राकर को लेकर भी कहा जा रहा है। बस्तर से केदार कश्यप और लता उसेंडी तो बड़ा चेहरा हैं पर विक्रम उसेंडी को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

जातीय समीकरण के आधार पर अरूण साव, ओपी चौधरी, पन्नूलाल मोहिले, दयालदास बघेल को भी देव मंत्रिमंडल में एडजस्ट करने की नौबत है। इस बार दो डिप्टी सीएम के नाम पर मुहर लगा दी गई है। इनमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव और कवर्धा से विधायक विजय शर्मा को शामिल करने की बात कही जा रही है। पहले एक डिप्टी सीएम की चर्चा रही। बताया जा रहा है कि जिसमें ओपी के नाम को लेकर कुछ विधायकों से चर्चा की गई ​थी। सीएम के नाम के ऐलान के बाद बदली हुई परिस्थितियों में दो डिप्टी सीएम के कान्सेप्ट एक्सेप्ट किया गया। ओबीसी से अरूण साव के नाम पर सत्ता के संतुलन के आधार पर रणनीति के तहत स्वीकार करने की बात सामने आ रही है।

कुल मिलाकर 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंदीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में विष्णुदेव अपने कैबिनेट के साथ शपथ लेंगे। इसके बाद कैबिनेट की पहली बैठक में ही कई घोषणाओं को अमल करने की दिशा में पहला कदम उठा लिया जाएगा।

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