कोरोना योद्धा – पिछले दरवाजे से घर में होती है इन्ट्री
सतीश चांडक सुकमा
छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए सराकर तमाम प्रयास कर रही है। मरीजों के इलाज के लिए परामेडिकल स्टाफ व डाक्टर काम कर रहे है लेकिन इनके अलावा एसडीएम व जिला नोडल अधिकारी नभ एल स्माईल भी पिछले पांच माह से कोरोना की लड़ाई लड़ रहे है। सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी हिम्मत नहीं हा रहे है और इमानदारी से अपना काम कर रहे हैं
जिले में कोरोना के मरीजों की संख्या में बढ़ौतरी जरूर हो रही है लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य अमला के अलावा स्थानीय प्रशासन की टीम हमेशा मुस्तैद रहती है। जिसमें अहम रोल है नभ एल स्माईल जो एसडीएम सुकमा है और कोरोना के जिला नोडल अधिकारी है।
पिछले 22 मार्च से लेकर आज पर्यन्त तक लगातार अपनी डयूटी कर रहे है। चाहे आफिस का काम हो या फिर ईपास बनाने हो या कोरोनो के मरीजों को लाने व उनसे बात करनी हो। हर काम बड़े ही इमानदारी से कर रहे है। अपनी टीम के साथ बेहतर काम कर रहे है एसडीएम नभ एल स्माईल ने इस दौरान अपने अनुभवों को शेयर किया है।
परिजन चिंतित तो रहते है लेकिन अब आदत में शामिल हो गया
शुरू-शुरू में मेरी पत्नि काफी चिंतित रहती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे आदत में शुमार हो गया है। उसके बावजूद जब केस के लिए घर से निकलो तो सावधान रहने की सलाह देती है। इसके अलावा फोन-फोन पर बार-बार सावधान रहने सर्तक रहने की सलाह देती है। और मरीज से दूरी बनाऐं रखने की सलाह भी देती है। ये उनका काम है लेकिन मुझे मेरा काम करना है।
14 घंटे काम और घर पर क्वारीटाईन
शुरू के 14 दिनों तक घर पर ही क्वारीटाईन ही रहा। और क्लोरोक्वीन रहता है उसको भी एक महिने की दवा लिया। और पहला केस आने के बाद में और मेरी टीम 14 दिन तक अलग से खाना व क्वारीटाईन रहा। लेकिन अब तो नियमित केस आने शुरू हो गए है। अब तो सावधानी ही बरती जा रही है।
कितना भी समय घर जाओं नहाना जरूरी
सुबह-शाम या रात हो जब भी घर आता हूं तो नहाना जरूरी रहता है। घर के पीछे दरवाजे से मेरी इन्ट्री होती है। और वहां पर किट या गलब्स को डिस्पोस करने के बाद पत्नि मुझे पूर सेनेटाईजर करती है। मेरे मोबाईल को सेनेटाईज किया जाता है। उसके बाद में नहाता हूं। क्योंकि कोरोना में सबसे ज्यादा अपने आप को क्लीन रखना होता है। फिर में अपने कपड़े खुद ही वाशिंग मशीन में डालता हूं। चाहे कितना भी बजा हो नहाना बहुत ही जरूरी है।
मेरी टीम की हिम्मत को भी दाग देना पड़ेगा
मुझे डर तो कभी नहीं लगा लेकिन मुझे लगता था कि मेरी टीम जरूर डरेगी। लेकिन उनकी हिम्मत को भी दाग देनी पडेगी। जैसे ही जानकारी मिलती उसके बाद हमारी टीम तैयार रहती और मौके के लिए रवाना हो जाते थे। फिर वहां पर अपना काम करते थे। और डर इसलिए भी नहीं लगा कि हमारे यहां ज्यादातर सीआरपीएफ के जवानों को निकला है जो क्वारीटाईन में थे।
पेंशेंट से भी बात करते वक्त सावधानी जरूरी
जब भी मौके पर जाते तो यह सुनिश्चित कर लेते थे कि मरीज मास्क पहना हो। उसके बाद मरीज से दूरी रखकर बात की जाती है। और यह भी ध्यान रखना पड़ता था कि मरीज कही छींक ना दे। उसके बाद उससे बातचीत करनी पड़ती है। कहा से आया और किससे मिला संक्रमण कैसे हुआ और भी बहुत कुछ बाते करनी पड़ती है।
एसडीएम नभ एल स्माइल ने इम्पेक्ट को बताया कि वैसे जो मुझे जिम्मेदारी सौपी गई है उसे पूरा करने के लिए में हमेशा तत्पर तैयार रहता हूं। कलेक्टर सर ने हमेशा मुझे स्पोर्ट किया है। मुझे निर्णय लेने के पावर दिए है। और समय-समय पर मार्गदर्शन भी मिल रहा है। जिले में कोरोना संक्रमण ना फैले जिसको लेकर हमारी टीम दिन-रात काम कर रही है। टीम के लोग बिना डरे हिम्मत के साथ काम कर रहे है। जिसके कारण हम लोग बेहतर कार्य कर रहे है। वार रूम से भी हमे काफी स्पोर्ट मिला है। इसी तरह आगे भी काम करते रहेंगे।