Breaking NewsBusiness

महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिना किसी निर्णय के डब्ल्यूटीओ वार्ता समाप्त, ई-कॉमर्स व्यापार शुल्क रोक अवधि फिर बढ़ी

महत्वपूर्ण मुद्दों पर बिना किसी निर्णय के डब्ल्यूटीओ वार्ता समाप्त, ई-कॉमर्स व्यापार शुल्क रोक अवधि फिर बढ़ी

यूपी में पहली मार्च से गेहूं की खरीद, 2,275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया समर्थन मूल्य

आरबीआई ने भारत बिल भुगतान प्रणाली को किया सुव्यवस्थित, ग्राहकों को मिली अधिक सुरक्षा

अबू धाबी
 विश्व व्यापार संगठन का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन बेनतीजा रहा। सार्वजनिक खाद्यान्न भंडार का स्थायी समाधान खोजने और मत्स्य पालन सब्सिडी पर अंकुश लगाने जैसे प्रमुख मुद्दों पर कोई निर्णय नहीं हुआ।

हालांकि सदस्य देश ई-कॉमर्स व्यापार पर आयात शुल्क लगाने को लेकर रोक को और दो साल के लिए बढ़ाने पर सहमत हुए।
तेरहवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कुछ और मामलों में परिणाम प्राप्त करने में सफलता मिली। इसमें सेवाओं के लिए घरेलू विनियमन पर नई व्यवस्था, डब्ल्यूटीओ के नये सदस्यों के रूप में कोमोरोस और तिमोर-लेस्ते का औपचारिक रूप से शामिल होना और कम विकसित देशों (एलडीसी) को इसके दर्जे से बाहर निकलने के तीन साल बाद भी एलडीसी का लाभ मिलते रहने की बात शामिल है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ''यह अच्छा परिणाम है और हम पूरी तरह संतुष्ट हैं।'' उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर चर्चा की दृष्टि से प्रगति जारी है। गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ''कई विवादास्पद मुद्दों पर प्रगति हुई है। इन मामलों में कई वर्षों से चर्चा जारी है लेकिन आगे बढ़ना हमेशा निष्कर्ष पर पहुंचने का संकेत होता है।''

भारत ने खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया और देश के गरीब किसानों और मछुआरों के हितों की रक्षा के साथ-साथ अन्य मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बातें रखी और रुख पर कायम रहा।

चार दिनों की व्यस्त बातचीत एक दिन के लिए बढ़ाए जाने के बावजूद, 166 सदस्यीय विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) खाद्य सुरक्षा मुद्दे को हल करने के लिए एक आम सहमति पर नहीं पहुंच पाया। यह मांग भारत ने प्रमुखता से उठाई क्योंकि यह 80 करोड़ लोगों की आजीविका के लिहाज से महत्वपूर्ण है। साथ ही अत्यधिक और क्षमता से अधिक मछली पकड़ने को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी पर अंकुश लगाने के मामले में भी कोई सहमति नहीं बन सकी।

ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील जैसे देशों के केर्न्स समूह ने दावा किया है कि सार्वजनिक भंडार व्यवस्था बाजार को नुकसान पहुंचा रही है और कोई निर्यात प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। जापान और सिंगापुर जैसे खाद्य आयातक देश कृषि नीतियों में विश्वसनीयत पर जोर दे रहे हैं।

दूसरी ओर, अमेरिका अपनी कृषि वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच चाहता है और यूरोपीय संघ सब्सिडी में कटौती चाहता है।

भारत खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए अनाज के सार्वजनिक भंडार के मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए दबाव डाल रहा है। साथ ही उसने सुदूर जल क्षेत्र में मछली पकड़ने में लगे विकसित देशों से 25 साल के लिए किसी भी प्रकार की सब्सिडी देना बंद करने को कहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अमीर देशों के मछुआरों और विकासशील देशों के मछुआरों के बीच कोई तुलना नहीं की जानी चाहिए। विकसित देशों में से एक में मत्स्य सब्सिडी प्रति मछुआरा 80,000 डॉलर से अधिक है जबकि भारत में यह प्रति मछुआरा लगभग 38 डॉलर है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने निवेश सुविधा पर चीन के नेतृत्व वाले एक प्रस्ताव को भी खारिज किया। दोनों देशों ने कहा कि यह एजेंडा डब्ल्यूटीओ को मिली जिम्मेदारी से बाहर है। भारत ने औद्योगिक नीति पर यूरोपीय संघ के एक प्रस्ताव को भी रोक दिया।

अनाज के सार्वजनिक भंडार (पीएसएच) कार्यक्रम एक नीतिगत कदम है। इसके तहत सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल और गेहूं जैसी फसलें खरीदती है और उसका भंडारण कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत गरीबों को उसका वितरण करती है।

भारत स्थायी समाधान तहत खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए फॉर्मूले में संशोधन जैसे उपाय करने को कहा है।

यूपी में पहली मार्च से गेहूं की खरीद, 2,275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया समर्थन मूल्य

लखनऊ
उत्तर प्रदेश में पहली मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होकर 15 जून तक चलेगी। सरकार ने 2,275 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। योगी सरकार ने निर्देश दिया है कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होनी चाहिए।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि गेहूं की बिक्री हेतु किसानों को खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल, विभाग के मोबाइल ऐप यूपी किसान मित्र पर पंजीकरण-नवीनीकरण कराना अनिवार्य है। किसानों से अनुरोध किया गया है कि गेहूं को ओसाकर, मिट्टी, कंकड़, धूल आदि को साफकर अच्छी तरह से सुखाकर ही क्रय केंद्र पर बिक्री के लिए लेकर जाएं।

इस वर्ष बटाईदार किसानों द्वारा भी पंजीकरण कराते हुए गेहूं की बिक्री की जा सकेगी। गेहूं खरीद के लिए किसानों का खाद्य एवं रसद विभाग के पोर्टल पर पहली जनवरी 2024 से ऑनलाइन पंजीयन शुरू है। अब तक 1,09,709 किसानों ने पंजीयन करा लिया है। रविवार और अन्य अवकाशों को छोड़कर 15 जून तक क्रय केंद्रों पर प्रतिदिन गेहूं खरीद सुबह 9 से शाम 6 बजे तक चलेगी।

सरकार ने निर्देश दिया है कि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो। इसकी तैयारी भी कर ली गई है। किसी भी विषम परिस्थितियों के लिए विभाग ने टोल फ्री नंबर 18001800150 जारी किया है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसान जिला खाद्य विपणन अधिकारी या तहसील के क्षेत्रीय विपणन अधिकारी या ब्लॉक के विपणन अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
खाद्य विभाग और अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 6,500 क्रय केंद्र स्थापित करने की योजना है। विभाग ने गेहूं के मूल्य भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से सीधे किसानों के आधार लिंक खाते में 48 घंटे के अंदर करने की व्यवस्था बनाई है।

आरबीआई ने भारत बिल भुगतान प्रणाली को किया सुव्यवस्थित, ग्राहकों को मिली अधिक सुरक्षा

मुंबई
आरबीआई ने एक संशोधित नियामक ढांचा भारत बिल भुगतान प्रणाली दिशानिर्देश, 2024 लागू किया है। यह एनपीसीआई भारत बिल पे लिमिटेड (एनबीबीएल-भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी) और सभी भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) पर लागू होगा। ये निर्देश बिल भुगतान की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, अधिक भागीदारी को सक्षम करने और अन्य परिवर्तनों के बीच ग्राहक सुरक्षा बढ़ाने का प्रयास करते हैं। 29 फरवरी को जारी निर्देश 1 अप्रैल से लागू होंगे।
निर्देशों में कहा गया है कि एनबीबीएल भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के लिए भुगतान प्रणाली प्रदाता के रूप में अधिकृत इकाई है। निर्देश सिस्टम ऑपरेटर और सिस्टम प्रतिभागियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से बताते हैं। इसमें कहा गया है कि भारत बिल पे सेंट्रल यूनिट (बीबीपीसीयू) एनबीबीएल के माध्यम से किए गए सभी लेनदेन का गारंटीकृत निपटान प्रदान करेगी।
यह भी होगा:
*सुनिश्चित करें कि भुगतान आरंभ चरण से सभी लेनदेन में बीबीपीएस संदर्भ संख्या हो।
*सुनिश्चित करें कि सिस्टम में कोई भी धनराशि किसी टीएसपी के माध्यम से प्रवाहित न हो।
*उपभोक्ता विवादों के निवारण के लिए एक रूपरेखा प्रदान करें।
बिलर ऑपरेटिंग यूनिट (बीओयू) को व्यापारियों के ऑनबोर्डिंग के संबंध में उचित परिश्रम आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।
ग्राहक परिचालन इकाई (सीओयू) यह करेगी:
*अपने ग्राहकों को सीधे या एजेंट संस्थानों के माध्यम से डिजिटल/भौतिक इंटरफ़ेस प्रदान करें।
*यह सुनिश्चित करना कि ग्राहकों की बीबीपीएस पर शामिल सभी बिलर्स तक पहुंच हो।
*विवाद उठाने के लिए एक प्रणाली प्रदान करें; और अपने एजेंट संस्थानों की गतिविधियों की जिम्मेदारी लेना, जिसके लिए उन्होंने सीओयू के साथ समझौता किया है।
एस्क्रो खाता संचालन के संबंध में निर्देश में कहा गया है:
*एक गैर-बैंक बीबीपीओयू विशेष रूप से बीबीपीएस लेनदेन के लिए एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के साथ एक एस्क्रो खाता खोलेगा।
*गैर-बैंक बीबीपीओयू भुगतान एग्रीगेटर (पीए) के रूप में काम करता है, जब यह अपने ग्राहकों से धन एकत्र करता है या अपने साथ जुड़े बिलर्स के साथ धन का निपटान करता है। एस्क्रो खाते के रखरखाव के प्रयोजन के लिए, बीबीपीओयू द्वारा संचालित भुगतान प्रणाली को नामित भुगतान प्रणाली माना जाएगा।
मास्टर डायरेक्शन में शिकायत प्रबंधन और शिकायत निवारण प्रणाली की आवश्यकता स्पष्ट रूप से बताई गई है। यह निम्नलिखित चरणों को सूचीबद्ध करता है:
*एनबीबीएल आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुपालन में केंद्रीकृत एंड-टू-एंड शिकायत प्रबंधन के लिए एक विवाद समाधान ढांचा स्थापित करेगा।
*सभी भाग लेने वाले सीओयू और बीओयू को केंद्रीकृत प्रणाली में एकीकृत किया जाएगा और ग्राहकों व बिलर्स को एनबीबीएल के विवाद समाधान ढांचे के अनुसार विवाद उठाने और हल करने में सक्षम बनाया जाएगा। लेनदेन शुरू करते समय उत्पन्न बीबीपीएस संदर्भ संख्या का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाएगा।
*सीओयू और बीओयू यह सुनिश्चित करेंगे कि विफल लेनदेन को टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) के सामंजस्य पर आरबीआई के परिपत्र में निर्धारित समयसीमा के अनुसार निपटाया जाए और अधिकृत भुगतान प्रणालियों का उपयोग करके विफल लेनदेन के लिए ग्राहक मुआवजा दिया जाए।

 

error: Content is protected !!