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राष्ट्रीय अधिवेशन में सबको साधने की कोशिश, फिर भी कर दी बड़ी चूक… मुस्लिम वोटबैंक के सामने घिरी कांग्रेस?…

इम्पैक्ट डेस्क.

कांग्रेस ने रायपुर में हो रहे अपने अधिवेशन का विज्ञापन रविवार को मीडिया में जारी किया था। इस ऐड में कांग्रेस ने 137 सालों की विचार यात्रा का जिक्र करते हुए सुभाष चंद्र बोस, भीमराव आंबेडकर और सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं की तस्वीरें भी प्रमुखता से दी थीं। यही नहीं पूर्व पीएम नरसिम्हा राव को भी इस ऐड में जगह दी गई थी। इस तरह कांग्रेस ने ऐसे तमाम नेताओं को अपने विज्ञापन में शामिल किया, जिनकी उपेक्षा के आरोप उस पर लगते रहे हैं। गांधी-नेहरू फैमिली तक सिमटने के आरोपों के बीच कांग्रेस ने यह कोशिश इसलिए की थी ताकि हर वर्ग को साधा जा सके। 

भीमराव आंबेडकर के जरिए दलित वर्ग को संदेश देने की कोशिश हुई तो वहीं पटेल के जरिए भाजपा के राष्ट्रवाद की काट भी निकालने का प्रयास हुआ। फिर भी तमाम कोशिशों से तैयार किए गए इस ऐड में एक ऐसी चूक हो गई, जिसे लेकर कांग्रेस को जवाब देना पड़ रहा है। दरअसल इस विज्ञापन में नेहरू, गांधी, बोस, पटेल, सरोजिनी नायडू समेत तमाम नेताओं को जगह मिली, लेकिन किसी मुस्लिम चेहरे को स्थान नहीं मिला। खासतौर पर मौलाना अबुल कलाम आजाद को भी इस ऐड में जगह नहीं मिली, जो कई बार पार्टी के अध्यक्ष रहे थे। नेहरू कैबिनेट में शिक्षा मंत्री थे।

विभाजन की मांग के बीच बुलंद किया था राष्ट्रवाद का झंडा

आजाद को सेकुलरिज्म के पुरोधाओं में गिना जाता रहा है। ऐसे दौर में जब मुस्लिम लीग ने कौम के नाम पर अलग देश की मांग की थी, तब मौलाना आजाद भारतीयता के पैरोकार थे और विभाजन का पुरजोर विरोध किया। ऐसे में उन्हें जगह न मिलना कांग्रेस को सवालों के घेरे में ले आया। रविवार दोपहर तक कांग्रेस इसके लिए सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगी। पार्टी के ही कई मुस्लिम नेताओं ने इस कदम की आलोचना की। इसके बाद कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश सामने आए और इसके लिए माफी मांगी। 

10 साल काटी जेल और दो बार कांग्रेस अध्यक्ष बने थे आजाद

यही नहीं रमेश ने कहा कि इस मामले में जिम्मेदारी तय की जा रही है, जिन लोगों की गलती पाई जाएगी, उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा। हालांकि इससे मुस्लिम वर्ग कितना संतुष्ट होगा, यह देखने वाली बात होगी। बता दें कि मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस को परंपरागत तौर पर से वोट देता रहा है। लेकिन अब कांग्रेस के सामने मुश्किल होगी कि कैसे उन्हें जवाब दिया जाए। बता दें कि मौलाना आजाद दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। इसके अलावा देश की आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था और 10 साल के लिए जेल गए थे। कांग्रेस के ऐड में कुल 10 नेताओं को जगह दी गई थी, जो कभी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे या फिर पीएम बने थे।

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