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सुकमा के जंगल में फैली विरोध की चिंगारी : मंत्री लखमा भी घिरे… हवाई हमले के विरोध में हजारों आदिवासियों का प्रदर्शन…

इंपैक्ट डेस्क.

बीजापुर। सुकमा के जंगल में हवाई हमले का विरोध चिंगारी का रूप ले चुकी है। पुलिस की तरफ से जारी बयान में इस तरह की घटना से साफ इंकार के बावजूद बीजापुर की सरहद से लगे जगरगुंडा और पामेड़ इलाके के दर्जनों गांव के ग्रामीण विस्फोट से हुए सुराख और अवशेषों को पुख्ता प्रमाण बताते हमले के विरोध में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।

रविवार को बोड़केल गांव में एक बड़ा प्रदर्शन भी हुआ, जिसमें हवाई हमले का विरोध ही नहीं बल्कि सुकमा के विधायक और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर प्रदर्शनकारियों ने जुबानी प्रहार किया। ड्रोन से बमबारी का हवाला दे रहे गुस्साएं ग्रामीणों ने कहा कि घटना की सत्यता जांचने की जहमत तक लखमा ने नहीं उठाई। जबकि चुनाव से पहले लखमा कहते थे कि कैम्प हटाए जाएंगे, आदिवासी इलाकों का विकास होगा, किसी तरह की ज्याददती नहीं होने देंगे, बातों को सुनकर ही गांव के गांव लोगों ने उन्हें वोट दिया था, लेकिन चुनाव के बाद लखमा के सुर बदल गए हैं।

जनता से उन्होंने जो वायदे किए वो झुठे साबित हुए हैं। ग्रामीणों का कहना था कि महुआ के सीजन में महुआ फुलों की रखवाली के लिए आधी रात उठकर उन्हें जंगल जाना पड़ता है, ताकि मवेशियों का झुण्ड महुए के फुल चट कर ना जाए, इसी दौरान आसमान से बम बरसेंगे तो उनके साथ मवेशियों की जानें भी जा सकती हैं। नक्सली उन्मूलन के नाम पर इस तरह की बमबारी से आदिवासी, जंगल, गांव तबाह हो जाएंगे। ऐसी स्थिति बरकरार रही तो हमारे सामने पलायन छोड़ कोई विकल्प नहीं होगा।
विरोध के बीच अपने नेताओं पर गुस्साएं ग्रामीणों का यह भी कहना था कि 2023 चुनाव में नेताओं का ना सिर्फ बहिष्कार करेंगे, बल्कि उनकी जगह गांव-गांव ग्राम सभा कर अपना नेतृत्व खुद चुनेंगे। फिलहाल बोड़केल में हुए प्रदर्शन में मंत्री पर बयानबाजी के बाद सुकमा के जंगरगुंडा और बीजापुर के पामेड़ से लगे इलाके से लखमा की चुनावी राह में मुश्किलें पैर पसारती दिख रही है।

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