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छत्तीसगढ़ में नई सरकार सोमवार को लेगी शपथ… शनिवार को पर्यवेक्षक करेंगे वरिष्ठों से रायशुमारी… रविवार को विधायक दल के नेता के नाम पर लगेगी मुहर…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल का नेता चुनने के लिए ​कार्यक्रम फाइनल हो गया है। शनिवार को तीनों पर्यवेक्षक केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, सर्वानंद सोनोवाल और पार्टी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम शनिवार को रायपुर पहुंचेंगे। इसके बाद वरिष्ठ नेताओं के साथ रायशुमारी पहले होगी। रविवार को विधायक दल की बैठक में नाम पर मुहर लगेगी। सोमवार को नई सरकार शपथ लेकर काम संभाल लेगी।

पर्यवेक्षकों की नियुक्ति के साथ ही यह तय हो गया है कि आने वाले दिनों में पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री के नाम पर विधायक दल की मुहर लगेगी। लगातार यह बड़ा सवाल बना हुआ है कि स्पष्ट स्थिति और मोदी इफेक्ट के बाद भी मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला लेने में इतना विलंब क्यों हो रहा है। इससे एक बात धीरे—धीरे साफ हो रही है कि अब सीएम के लिए डा. रमन सिंह फेस नहीं होंगे।

इधर ​मीडिया में लगातार कयासों का दौर चल रहा है छत्तीसगढ़ का भावी सीएम आदिवासी नहीं बल्कि सामान्य या ओबीसी वर्ग से हो सकता है। चर्चा यही है कि तीनों पर्यवेक्षक राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से फाइनल नाम लेकर आएंगे। रायपुर में पहले वरिष्ठ विधायकों से रायशुमारी करेंगे उसके बाद विधायक दल की बैठक में नाम का ऐलान कर देंगे।

दरअसल भाजपा पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र को बनाए रखने और उसका प्रदर्शन करने के लिए राजधानी में विधायकों की बैठक में नाम का ऐलान करेगी। क्योंकि भाजपा में बाहर से दिखाने के लिए विधायक दल तय करता है कि कौन मुख्‍यमंत्री बनेगा। इस प्रयोग के पीछे स्पष्ट है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व किसी भी स्थिति में विधायकों की बाड़ेबंदी नहीं चाहता। इस बात पर भी नज़र रखी जा रही है कि वरिष्ठ विधायकों को फिलहाल क्या रूख है?

छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी चुनौती आगामी लोकसभा चुनाव और छत्तीसगढ़ में मौजूदा सरकार के दौरान ​उत्पन्न आर्थिक स्थिति के आधार पर वित्तीय आधार पर कई बड़े फैसले को अंजाम देने की भी है। जिन फैसलों से राज्य की वित्तीय स्थिति पर भार पड़ेगा उसके लिए अनुभव के साथ समन्वय के आधार पर ही नई सरकार को काम करना होगा।

सीएम के साथ कैबिनेट के गठन में किन चेहरों को शामिल करना है करीब—करीब यह भी तय माना जा रहा है। इस मामले में बड़ी चुनौती यही है​ कि पूर्ववर्ती रमन सरकार के मंत्रियों को यदि​ रिपीट किया जाता है तो क्या परिस्थितियां निर्मित हो सकती हैं। यदि केवल नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह ​दी जाती है तो इसका राज्य में किस तरह का प्रभाव पड़ेगा?

बस्तर और सरगुजा से कुल 22 सीटों में विधायक निर्वाचित होकर पहुंचे हैं। बस्तर में दो पूर्व मंत्री लता उसेंडी और केदार कश्यप, पूर्व ब्यूरोक्रेट नीलकंठ टेकाम, संगठन के बड़े पदाधिकारी किरण देव और पूर्व मंत्री व पूर्व सांसद विक्रम उसेंडी चुनाव जीतकर पहुंच रहे हैं। वहीं चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में पीसीसी चेयर पर्सन दीपक बैज को पराजित करने वाले विनायक गोयल को भी ध्यान में रखना होगा।

वहीं उत्तर छत्तीसगढ़ में तमाम बड़े चेहरे चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच गए हैं। इनके लिए भी जिम्मेदारी तर करना संतुलन के लिए अनिर्वाय होगा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव और रायगढ़ से निर्वाचित विधायक पूर्व ब्यूरोक्रेट ओपी चौधरी की भी सत्ता में सीधी भागीदारी होगी यह तय माना जा रहा है।

माना जा रहा है कि इसके बाद पूर्व सीएम रमन सिंह, वरिष्ठ विधायक व पिछले कार्यकाल के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, अमर अग्रवाल के साथ कवर्धा से सांसद से विधायक चुने गए विजय शर्मा, साजा के नवनिर्वाचित विधायक ईश्वर साहू को भी भाजपा सत्ता के केंद्र में रखेगी।

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