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शासन-प्रशासन का लख लख शुक्रिया ……

इम्पेक्ट न्यूज. सुकमा।
जब हैदराबाद से निकले थे तब यह नहीं पता था कि सही-सलामत घर पहुंचेंगे या नहीं लेकिन 5 दिन पैदल चलकर जब कोंटा पहुंचे तो थोड़ी राहत क्वारीटाईन सेंटर मिली। उसके बाद तो मानो भगवान हमारी फरियाद सुन ली और आज हमे बस से घर भेजा जा रहा है। इस प्रयास के लिए शासन-प्रशासन का लख लख शुक्रिया यह बाते अपने घर जा रहे मजदूरों ने इम्पेक्ट से चर्चा करते हुए कही।

आज कोंटा और सुकमा जिला मुख्यालय के क्वारीटाईन सेंटरों से देर शाम को करीब 5 बसों में 480 मजदूर और उनके परिजनों को उनके घर भेजा जा रहा है। ये मजदूर मुंगेली जिले और आसपास के रहने वाले है। ये सभी मजदूर हैदराबाद व विजयवाड़ा से पैदल चलकर कोंटा पहुंचे थे। उसके बाद इन्हे वहां क्वारीटाईन किया गया था। करीब 5 दिन क्वारीटाईन रहने के बाद इन्हे प्रशासन के द्वारा बस के माध्यम से घर भेजा जा रहा है। लिहाजा जिला मुख्यालय में देर शाम को बसे खड़ी की गई थी जिसमें मजदूर व उनके परिजन सवार थे। यहां के बाद तोंगपाल में सभी लोगों के खाने की व्यवस्था की गई साथ ही सभी वाहनों में शासकीय कर्मचारियों को भी भेजा गया ताकि सभी लोगो को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया जा सके।

जब पैदल चले थे तब नहीं लगा था कि घर पहुंचेगे
बसों में सवार मजदूरों ने इम्पेक्टर से चर्चा करते हुए अपने कड़वे अनुभव साझा किए। उन्होने बताया कि सभी गरीब परिवार से है और हर साल मजदूरी करने के लिए तेलंगाना व आन्ध्र प्रदेश जाते है। इस साल भी मजदूरी करने गए थे लेकिन वहां कुछ सप्ताह ही काम किया उसके बाद कोरोना का सकंट सामने आ गया और लाक डाउन हो गया। ऐसे में कामकाज ठप्प हो गया। और फिर हम लोग पैदल ही निकल गए लेकिन नहीं लगा था कि हम अपने घर पहुंच पाऐंगे लेकिन अब घर जा रहे है तो काफी अच्छा लग रहा है।

लगातार बढ़ रहे लाक डाउन के कारण सब्र का बांध टूटा
हैदराबाद मजदूरी करने गए उमेश ने बताया कि वो मुंगेली जिले का रहने वाला है। हैदराबाद में काम ठप्प होने के बाद वो अपने परिवार के साथ वहीं पर था। लेकिन लाक डाउन लगातार बढ़ने के बाद सब्र टूट गया और वो पैदल ही अपने परिवार समेत रवाना हो गया। रास्ते में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। भूखे-प्यासे कोंटा पहुंचे थे।


सभी मजदूरों का कहना था कि लगातार सोशल मिडिया व अन्य समाचार के माध्यम से खबरे मिल रही थी कि कोरोना में मजदूरों के साथ कई घटनाऐं भी हो रही थी। हमे भी ऐसा लगा था कि क्या पता हमारे साथ क्या होगा। रास्ते में गांव तो बहुत थे लेकिन कोई मदद करने वाला नहीं था। छोटे-छोटे बच्चों के साथ तेज धूप में पैदल ही निकल गए और आगे का फैसला किस्मत पर छोड़ दिया। लेकिन शासन-प्रशासन का शुक्रिया कि हमे अच्छे से रखा फिर बस से हमे अपने घर छोड़ा जा रहा है।

इम्पेक्ट से चर्चा करते हुए कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्णय अनुसार जिले के सभी क्वारीटाईन सेंटर में अन्य जिलों के मजदूरों को रखा गया था। स्वास्थ्य जांच के बाद सभी मजदूरों को बस के माध्यम से उन्हे घर भेजा जा रहा है।

इम्पेक्ट से चर्चा करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने कहा कि कोरोना को लेकर प्रदेश सरकार ने बेहतर ढंग से कार्ययोजना बनाकर काम किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मजदूरों के हित में सोचते हुए उन्हे घर भेजने का निर्णय लिया है। जिसके बाद जिले के विभिन्न क्वारीटाइ्रन सेंटरों के मजदूरों को बस के माध्यम से उन्हे घर भेजा जा रहा हैं। केन्द्र सरकार को छत्तीसगढ़ सरकार से सीखना चाहिए।

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