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दंतेवाड़ा में सत्ता पक्ष के विधायक और प्रशासन के बीच टसन… आज सीएम भूपेश के साथ मुलाकात की तैयारी… सुलह पर हो सकती है बात…

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इम्पेक्ट न्यूज। दंतेवाड़ा।

दंतेवाड़ा जिले में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। यहां जिला प्रशासन और सत्ता पक्ष के विधायक के बीच चल रही खिंचतान अब सीएम भूपेश तक पहुंच गई है। दरअसल दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा और जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा की कलेक्टर विनीत नंदनवार के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। जब से कलेक्टर नंदनवार को सुकमा से दंतेवाड़ा जिले में पदस्थ किया गया है। उसके बाद से ही यह टसन जगजाहिर है। दरअसल जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के साथ कर्मा परिवार का रिश्ता कभी भी सामान्य नहीं रहा। हाल ही में दंतेवाड़ा से कांग्रेस के भावी उम्मीदवार छविंद्र कर्मा ने कवासी लखमा के नार्को टेस्ट की मांग उठा दी थी। इसके बाद खाई और भी गहरी हो गई है।

उल्लेखनीय है कि दंतेवाड़ा जिला डीएमएफ की फंडिंग के हिसाब से बस्तर संभाग का आर्थिक तौर पर सबसे मजबूत जिला है। यहां लौह अयस्क की खदानों का संचालन एनएमडीसी कर रही है। वहीं एस्सार से परियोजना खरीदी के बाद आर्सेलर मित्तल और डिपाजिट 13 में खनन को लेकर अडानी की कंपनी की मौजूदगी भी है। यहां सीएसआर और डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड के करोड़ों रुपए जिला प्रशासन की झोली में हर साल आते हैं।

इस फंडिंग का उपयोग जिला कलेक्टर की सहमति से ही हो सकता है। इसमें वर्तमान कलेक्टर ने सप्लाई पर रोक लगाते बड़े निर्माण कार्यों को प्रा​थमिकता में रखा है। छोटे और बड़े हर तरह के निर्माण कार्य पर डीएमएफ की राशि का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर में हो रहे कई निर्माण कार्यों को तेजी से अंतिम रूप देने की तैयारी की जा रही है। कलेक्टर विनीत नंदनवार यहां रिवर फ्रंट, तालाब गहरीकरण, सौंदर्यीकरण समेत दर्जनभर कार्यों को करवाने के लिए एजेंसी को जिम्मेदारी सौंप दी है।

सूत्रों का दावा है कि  जिले में दंतेश्वरी कारिडोर के तहत सभी निर्माण कार्यों में करीब सवा सौ करोड़ रुपए खर्च होने हैं। वहीं कलेक्टर विनीत नंदनवार ने इम्पेक्ट से चर्चा में स्पष्ट किया कि दंतेश्वरी परिसर समेत सभी निर्माण कार्यों में महज 32 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा रहे हैं। इसके फेस वन को आगामी 30 सितंबर तक पूरा करने की कोशिश हो रही है।

कांग्रेस विधायक समर्थकों का स्पष्ट तौर पर कहना है कि कलेक्टर विनीत नंदनवार विधायक मैडम की एक नहीं सुन रहे। वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा के साथ भी उनकी नहीं निभ रही है। विदित हो कि दंतेवाड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका का एक बयान ​मीडिया में आया था जिसमें उन्होंने कलेक्टर चैंबर में कलेक्टर से मिलने की कोशिश की पर कलेक्टर ने टाइम नहीं दिया। वहीं बताया जा रहा है कि एक दो बार कुछ इसी तरह का घटनाक्रम विधायक देवती कर्मा के साथ भी हुआ। जब वे कलेक्टर से मिलने के लिए पहुंची तो दोनों की मुला​कात नहीं हो सकी।

हाल ही में दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी सरोवर के फुटपाथ पर लोहे की ग्रिल लगाने को लेकर एक बार फिर विवाद सतह पर आया। जिसे लेकर टेंपल कमेटी के कुछ मेंबर के साथ विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष को आपत्ति थी। जिपं अध्यक्ष तूलिका ने इसके लिए 25 जून को प्रदर्शन का एलान कर दिया। इसके बाद प्रशासन की टीम ने एक—एक कर सभी से बयान दिलवाया और प्रदर्शन को रुकवा दिया।

इस मामले में जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष अवधेश सिंह गौतम ने प्रशासन के कदम की सराहना की। यह एक प्रकार से इस कार्य के प्रति समर्थन की घोषणा ही थी। वहीं नगर पालिका उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप सिंह ने भी इसे लेकर समर्थन प्रदान किया। धीरेंद्र प्रताप सिंह भाजपा की ओर से नगरपालिका में उपाध्यक्ष हैं। वहीं भाजपा के नेता रामू नेताम और नंदलाल मूड़ामी ने भी एक प्रकार से इस कार्य का समर्थन किया। विधायक देवती का आरोप है कि इसके पीछे कलेक्टर विनीत नंदनवार हैं।

मजेदार बात तो यह है कि दंतेवाड़ा जिले में महेंद्र कर्मा की कमी उनके कार्यकर्ताओं को लगातार खल रही है। विधायक देवती महेंद्र कर्मा के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष तूलिका कर्मा और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष छविंद्र कर्मा के अलावा उनकी बेटी सुलोचना भी सक्रिय राजनीति में हैं। ऐसे में पूरे परिवार की सहमति हर मामले में नहीं हो पा रही है। जिसके चलते देवती कर्मा की पकड़ कमजोर होती जा रही है। दरअसल कलेक्टर विनीत नंदनवार की ओर से हर मामले में अब जिला पंचायत सीईओ कुमार विश्वरंजन, अतिरिक्त कलेक्टर संजय कन्नौजे, संयुक्त कलेक्टर सुरेंद्र ठाकुर और एसडीएम शिवनाथ बघेल मोर्चा संभाले हुए हैं।

फुटपाथ पर ग्रिल वाले मामले में इम्पेक्ट से चर्चा करते कई लोगों ने प्रशासन की ओर से इन अफसरों की ओर से प्रदर्शन में शामिल नहीं होने को लेकर संपर्क साधने की बात को स्वीकार किया है। कांग्रेस के एक वर्ग का कहना है कि राजनीतिक तौर पर दंतेवाड़ा में भूपेश बघेल के सीएम रहते सबसे ज्यादा लाभ कर्मा परिवार को हुआ है। उन्होंने आशीष कर्मा को डि​प्टी कलेक्टर का पद दिया। छविंद्र, तूलिका और सुलोचना को राजनीतिक तौर पर मदद भी करते हैं।बावजूद इसके देवती महेंद्र कर्मा ने जब 2021 में सीएम भूपेश राजनीतिक मुहिम दिल्ली तक चली उसमें भूपेश की ओर से शामिल नहीं हुईं। जुलाई 2022 से पहले तक कलेक्टर दीपक सोनी के साथ विधायक देवती कर्मा के संबंध बहुत अच्छे थे। दोनों कई मौकों पर साथ भी दिखाई देते थे। पर 30 जून 2022 को कलेक्टर वि​नीत नंदनवार का सुकमा से दंतेवाड़ा तबादला हुआ उसके बाद से ही दोनों के बीच कभी सामान्य संबंध नहीं रहे। कर्मा परिवार यही मानता रहा कि नंदनवार मंत्री कवासी लखमा के करीबी हैं और दंतेवाड़ा में सुनियोजित तौर पर उनकी पोस्टिंग कवासी लखमा ने करवाई है।

हांलाकि शुरूआती दिनों में जब इम्पेक्ट ने मंत्री कवासी लखमा से इस संबंध में सवाल किया था तो उन्होंने साफ मना करते विनीत नंदनवार की जमकर आलोचना भी की थी। यह सर्वविदित है कि​ कलेक्टर विनीत नंदनवार के सुकमा में रहते पहली बार आदिवासी समाज ने सबसे बड़ा प्रदर्शन कर कलेक्टोरेट का मेन गेट तोड़ दिया और कलेक्टोरेट परिसर में प्रवेश कर गए थे। इसके बाद से ही सरकार पर कलेक्टर को लेकर दबाव बढ़ गया था। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि विनीत नंदनवार दंतेवाड़ा जिले में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ कर दिए जाएंगे।

स्थानीय कांग्रेसी कहते हैं ‘जब वे (विनीत नंदनवार) दंतेवाड़ा में पदस्थ हुए तो शुरूआती दिनों में ही कुछ ऐसा हो गया कि यहां भी स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य बदलने लगा। कलेक्टर नंदनवार ने अपनी कार्यशैली में थोड़ा बदलाव किया। सुकमा में लोगों की शिकायत थी कि वे नहीं मिलते तो यहां उन्होंने आदिवासियों के हर समाज को साधने की कोशिश की। जमीन में जाकर लोगों से मुला​कात की। इस बीच दंतेवाड़ा विधायक और जिला पंचायत अध्यक्ष के साथ उनका संबंध सामान्य नहीं हो सका। इसके एवज में उन्होंने इन दोनों के विरोधियों को एक—एक कर साधना शुरू किया। यहां तक की मीडिया के एक बड़े हिस्से को भी साध लिया। इसका प्रभाव यही पड़ा की कलेक्टर के खिलाफ कहीं से आवाज उठनी बंद हो गई। यहां तक कि विधायक और जिपं अध्यक्ष की खिलाफत वाली आवाज को भी जगह नही मिली।’

दरअसल राजनीति में हर किसी को अपनी संतुलित भाषा का इस्तेमाल करना होता है। क्योंकि हर शब्द के मायने गंभीर होते हैं। कद्दावर नेता महेंद्र कर्मा की शहादत के बाद दंतेवाड़ा में उनकी कमी को हर कोई महसूस कर रहा है। सीएम भूपेश बघेल हों या डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव सभी उनके साथ थे। आज कर्मा परिवार को जो भी सम्मान हासिल है उसके पीछे महेंद्र कर्मा की शहादत की सबसे बड़ी भूमिका है। वे जमीन से जननेता बने थे। पर कर्मा परिवार जननेता बनने की राह में अपने सलाहकारों के जंजाल में फंसे रह गए। कई राजनीति कदम ऐसे उठा लिए जिससे ना केवल परिवार की कमजोरी जगजाहिर हुई बल्कि हर तरफ उनकी पकड़ कमजोर होती चली गई। इस तथ्य से कोई इंकार नहीं कर रहा है।

2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के भीमा मंडावी से पराजित होने के बाद कर्मा परिवार नेपथ्य में ही था। लोकसभा चुनाव के दौरान माओवादी हमले में भीमा मंडावी की शहादत के बाद रिक्त सीट पर देवती कर्मा को जीत दिलाने के लिए सीएम भूपेश और संगठन ने पूरी ताकत लगा दी। पर इस जीत के बाद भी कर्मा परिवार दंतेवाड़ा में अपनी पकड़ कमजोर करता ही दिखाई दे रहा है।

अब आज विधायक देवती कर्मा और उनके साथ कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात का समय लिया है। बताया जा रहा है कि दंतेवाड़ा के वर्तमान हालात पर वे अपनी बात रखेंगी। इम्पेक्ट ने कलेक्टर विनीत नंदरवार से इस मामले में चर्चा करने की कोशिश की तो उन्होंने काल ही रिसीव नहीं किया। ना ही वाट्सएप चैट में रिप्लाई किया। करीब तीन सौ करोड़ रुपए के डीएमएफ फंडिंग और सीएसआर की राशि पाने वाले इस दंतेवाड़ा जिले में स्थानीय नेतृत्व और प्रशासन के बीच सुलह का कोई रास्ता सीएम भूपेश निकालेंगे इस पर सभी की नजर लगी है।

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