भोपाल की लाल-कोठी यानि राजभवन में रहने वालों के दिन फिर नहीं बहुरे…
मध्यप्रदेश के राजभवन के इतिहास पर विशेष : वर्ष 1880 से लेकर आज तक लाल-कोठी में जितने भी शासक-प्रशासक रहे ज्यादातर यहां से जाने के बाद गुमनामी में खो गए। और तो और बहुत कम ही ऐसे अधिकारी या नेता रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया हो। मार्च 1818 के बाद से अंग्रेजों और भोपाल नवाब के बीच संधि हो जाने के बाद यहां पर अंग्रेजी हुकूमत का एक पोलिटिकल एजेंट रहने लगा था। उसी पोलिटिकल एजेंट के रहने के लिए 1880 में लाल-कोठी नाम की यह इमारत तामीर की
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