himanshu kumar

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जसम सम्मेलन के बहाने कुछ बातें : जिस सांस्कृतिक जनक्रांति की बात की जाती है वह सभी वर्गों के लोगों को, सभी मेहनतकशों को शामिल किए बिना सफल नहीं हो सकती…

दिवाकर मुक्तिबोध। बस्तर के आदिवासियों के हितों के लिए वर्षों से संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय सम्मेलन में जो विचार व्यक्त किए हैं, वे फासीवाद के मुद्दे पर बौद्धिक तबके की कथित सक्रियता पर सवाल खडे करते हैं। उन्होंने कहा-फासीवाद का सबसे पहले हमला आदिवासियों पर होता है। वे उसका सामना करते हैं। बाद में किसान व मजदूर मुकाबला करते हैं। गरीब व निम्न वर्ग पर जब हमला होता है तो वह अपने तरीक़े से उसके खिलाफ संघर्ष करता है लेकिन हम और आप

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between naxal and forceImpact OriginalState News

between naxal and force हिमांशु कुमार ने इस तरह छोड़ा दंतेवाड़ा… सोढ़ी संभो प्रकरण के साथ VCA का 18 बरस का सफर ठहर गया… 

सुरेश महापात्र। पुलिस व प्रशासन की निगाह अब इस आश्रम की हर गतिविधि पर रहने लगी…  10 से आगे पढ़ें… कोंटा इलाके के गोमपाड़ में 1 अक्टूबर 2009 को सोढ़ी संभो के बताए मुताबिक एक मामला सामने आया। जिसकी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। दावे के मुताबिक इस महिला के साथ सुरक्षा बलों ने ना केवल दुर्व्यवहार किया बल्कि गोली भी चलाई जिससे उसके दाएं पैर में गोली लगी। याचिका में कथित तौर पर सोढ़ी संभो की ओर से बताया गया कि ‘घटना वाले दिन इंजरम कोंटा कैंप

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between naxal and force जब शुरू कर दी गई हिमांशु की घेराबंदी, ढहा दिया गया कंवलनार का आश्रम… सोढ़ी संभो मामला और माओवादियों से रिश्ते पर रार…

सुरेश महापात्र। सलवा जुड़ूम के बाद बिगड़ी हुई परिस्थितियों में किसी पुलिस अफसर का तेज तर्रार होना… दोनों ही तरह से खतरे का संकेत साबित हुआ। (9) …आगे पढ़ें   अपने तबादले से ठीक पहले राहुल शर्मा ने हिमांशु कुमार के कंवलनार आश्रम को तोड़ने में बड़ी भूमिका का निर्वाह किया। करीब 17 बरस तक दंतेवाड़ा जिले में एक एनजीओ के तौर पर काम करते हुए हिमांशु ने गोंडी बोली पर अपनी पकड़ बना ली थी। वे शुरूआती दौर में महेंद्र कर्मा के काफी नजदीकी माने जाते रहे। दंतेवाड़ा जिला के

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