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श्रीलंका ने पकड़े भारत के 12 मछुआरे… जमानत के लिए मांगे 1-1 करोड़ रुपये…

इंपैक्ट डेस्क.

श्रीलंकाई नौसेना ने हाल ही में रामेश्वरम के करीब 12 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था। अब खबर है कि श्रीलंका की कोर्ट ने इनकी रिहाई की राशी 1-1 करोड़ रुपये तय की है। हालांकि, पड़ोसी मुल्क की अदालत के इस फैसले पर भारत में सियासत गरमा गई है। इधर, आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका से लोगों का भारत आना जारी है। साल 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, ऑल मैकेनाइज्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष पी जेसुराज ने एक समाचार एजेंसी को बताया, ‘हम यह सुनकर हैरान हैं कि कोर्ट ने रिहाई के लिए प्रति मछुआरा 1 करोड़ रुपये की रकम तय की है। कैसे एक मछुआरा 1 करोड़ रुपये जुटा सकता है? अगर उसके पास यह रकम होती, तो वह इस पेशे में नहीं होता।’ जेसुराज के अनुसार, अभी भी करीब 85 भारतीय नौकाएं श्रीलंका के कब्जे में हैं। मक्कल निधि मैयम के प्रमुख और अभिनेता कमल हासन ने भी कोर्ट के इस फैसले पर हैरानी जाहिर की है।

रिपोर्ट के अनुसार, रामेश्वरम फिशरमैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष देवदास ने कहा, ‘भारत और श्रीलंका के मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं। इसके बाद भी हम देखते हैं कि श्रीलंका के अलावा कोई दूसरा देश नहीं है जो आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे मछुआरों के साथ ऐसा व्यवहार करता है। क्या भारत सरकार इसे दर्शक के तौर पर देख रही है? हमारे मछुआरों को श्रीलंका ने पकड़ा और वह भी तब जब भारत के विदेश मंत्री वहां कूटनीतिक दौरे पर गए हैं। रिहाई की राशि जख्मों पर नमक की तरह है। मछली पकड़ने पर वार्षिक प्रतिबंध आ रहा है, डीजल की कीमतों ने मछली पकड़ने की कीमतें बढ़ा दी हैं और अब यह।’

उन्होंने यह भी बताया कि तमिलनाडु के मछुआरों के पकड़े जाने का बड़ा कारण कटचैतीवू द्वीप है, जो फिलहाल श्रीलंका के नियंत्रण में हैं। यहां पर रामेश्वरम जिले की तरह तमिलनाडु के मछुआरे जाते हैं।

वेबसाइट के अनुसार, डीएमके के प्रवक्ता एड्वोकेट श्रवणन ने कहा, ‘इस असामान्य राशि का एक ही मतलब हो सकता है कि श्रीलंका सरकार उम्मीद करती है कि जमानत राशि नहीं चुकाई जा सकेगी। उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन श्रीलंका और खासतौर से श्रीलंका के उत्तरी हिस्सों में राहत भेजने के लिए इतनी मेहनत कर रहे हैं। जमानत राशि के तौर पर इस अकल्पनीय राशि से कोई फायदा नहीं होगा।’ उन्होंने जानकारी दी कि तमिलनाडु सरकार राजनयिक माध्यमों से इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेगी।

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