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तो क्या अशोक गेहलोत कांग्रेस के 14 वें गैर नेहरू-गांधी अध्यक्ष होंगे… बीते 75 बरस में कांग्रेस के अध्यक्षों की ये रही जानकारी…

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इम्पेक्ट न्यूज़ डेस्क।

75 साल में 41 साल गांधी-नेहरू परिवार, सीताराम केसरी समेत 13 बाहरी अध्यक्ष… कुछ ऐसा रहा आजादी के बाद कांग्रेस का सफर

राहुल के इंकार के बाद कांग्रेस को गैर गांधी परिवार का नेतृत्व करीब-करीब तय हो गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करेंगे। यदि वे विजयी होते हैं तो वे गैर नेहरू-गांधी 14वें अध्यक्ष होंगे।

1947 से अब तक कांग्रेस (Congress) के अध्यक्ष पद की बात करें तो 75 सालों में 41 साल कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य ही रहे.

आजादी के बाद से कांग्रेस (Congress) देश में अकेली सबसे बड़ी पार्टी थी. ऐसा समय भी रहा है, जब दशकों तक इस पार्टी को कोई टक्कर देने वाला ही नहीं रहा. हालांकि, अब कांग्रेस के हालातों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. कई बड़े नेता पार्टी छोड़ बीजेपी का दामन थाम चुके हैं. वहीं, इनदिनों सुर्खियों में है कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव (Congress President Election).

1947 से अब तक कांग्रेस के अध्यक्ष पद की बात करें तो 75 सालों में 41 साल कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य ही रहे. यह भारत की स्वतंत्रता के बाद के कुल वर्षों का 55 प्रतिशत है. कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के कुल पांच अध्यक्ष बने और 13 ऐसे अध्यक्ष थे, नेहरू-गांधी परिवार के बाहर के लोग रहे.

1947 के बाद से कांग्रेस अध्यक्षों की सूची

जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने आजादी के बाद से अधिकांश समय तक पार्टी का नेतृत्व किया है. वहीं, नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के नेताओं में जे बी कृपलानी, बी पट्टाभि सीतारमैया, पुरुषोत्तम दास टंडन, यूएन ढेबर, एन संजीव रेड्डी, के कामराज, एस निजलिंगप्पा, जगजीवन राम, शंकर दयाल शर्मा, डी.के. बरुआ, के बी रेड्डी, पी वी नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी शामिल थे, जिन्होंने पार्टी का नेतृत्व किया.

जेबी कृपलानी – 1947

जेबी कृपलानी, जिन्हें आचार्य कृपलानी के नाम से भी जाना जाता है. कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष थे जब भारत अंग्रेजों के चुंगल से आजाद हुआ था. वह देश की आजादी के लिए कई आंदोलनों में पार्टी के मामलों में शामिल रहे थे.

पट्टाभि सीतारमैया (1948-49)

भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया आंध्र प्रदेश राज्य में एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता थे. वह मध्य प्रदेश के पहले राज्यपाल भी थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समर्थन से, सीतारमैया ने 1948 में कांग्रेस के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी.

पुरुषोत्तम दास टंडन – 1950

पुरुषोत्तम दास टंडन ने कृपलानी के खिलाफ 1950 का कांग्रेस अध्यक्ष पद जीता था. हालांकि, बाद में उन्होंने नेहरू के साथ मतभेदों के कारण पद से इस्तीफा दे दिया.

जवाहरलाल नेहरू (1951-54)

नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक के बाद एक राज्य विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव जीते.1952 में भारत के पहले आम चुनाव में पार्टी ने 489 सीटों में से 364 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया.

यू एन धेबर (1955-59)

1948-54 तक सौराष्ट्र के मुख्यमंत्री की सेवा करने वाले ढेबर ने नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सफलता दिलाई. उनका कार्यकाल चार साल का था.

इंदिरा गांधी (1959, 1966-67, 1978-84)

इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला. 1960 में उनकी जगह नीलम संजीव रेड्डी ने ले ली. हालांकि, वह 1966 में कामराज के समर्थन से मोरारजी देसाई को हराकर एक साल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में लौटीं.

उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान, पार्टी ने दो गुटों में विभाजन देखा. आपातकाल के बाद 1977 के राष्ट्रीय चुनाव हारने के बाद, उन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और 1985 में अपनी मृत्यु तक इस पद पर रहीं.

नीलम संजीव रेड्डी (1960-63)
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में इंदिरा का पहला कार्यकाल समाप्त होने के बाद, रेड्डी ने तीन कार्यकाल के लिए पार्टी की बागडोर संभाली.

के कामराज (1964-67)

के कामराज को “किंगमेकर” के रूप में भी जाना जाता था. कामराज इंदिरा के कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उदय का कारण थे.

एस निजलिंगप्पा (1968-69)

कांग्रेस में विभाजन से पहले, वह अविभाजित कांग्रेस पार्टी के अंतिम अध्यक्ष थे. बाद में, वह सिंडिकेट नेताओं में शामिल हो गए.

जगजीवन राम (1970-71)

एक साल कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभालने के बाद जगजीवन राम 1977 में कांग्रेस जनता पार्टी में शामिल हो गए. वह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत के रक्षा मंत्री थे

शंकर दयाल शर्मा (1972-74)

शंकर दयाल 1972 में कलकत्ता (कोलकाता) में एआईसीसी सत्र के दौरान कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे. उन्होंने 1992 से 1997 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य किया.

देवकांत बरुआ (1975-77)

देश में आपातकाल के दौरान बरुआ कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे. वह पार्टी की बागडोर संभालने वाले असम के पहले और एकमात्र नेता थे.

राजीव गांधी (1985-91)

मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी ने पार्टी पर नियंत्रण कर लिया और 1991 में उनकी हत्या तक इस पद पर बने रहे. उन्होंने 1984 के लोकसभा चुनावों में पार्टी को ऐतिहासिक जनादेश दिया और भारत के छठे प्रधानमंत्री भी बने.

पी वी नरसिम्हा राव (1992-96)

1991 में राजनीति से संन्यास की घोषणा करने के बाद, राव ने राजीव की हत्या के बाद वापसी की. वह गैर-हिंदी भाषी क्षेत्र के पहले प्रधानमंत्री भी थे.

सीताराम केसरी (1996-98)

1966 में सीताराम केसरी, नरसिम्हा राव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष बने. उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी.

सोनिया गांधी (1998-2017 और 2019-वर्तमान)

सोनिया गांधी ने 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और सबसे लंबे समय तक इस पद पर बनी रहीं. उनकी अध्यक्षता समाप्त होने के बाद राहुल गांधी 2017 में अध्यक्ष पद के लिए चुने गए. फिलहाल सोनिया गांधी पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाल रही हैं.

राहुल गांधी (2017-2019)

11 दिसंबर, 2017 को राहुल गांधी को सर्वसम्मति से पार्टी अध्यक्ष चुना गया. उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी को जीत दिलाई. हालांकि, 2019 के आम चुनावों में कांग्रेस को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा और उन्होंने “नैतिक” जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

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