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जगन्नाथपुरी मंदिर में अवैध निर्माण वाली याचिकाएं खारिज… सुप्रीम कोर्ट ने वक्त बर्बाद करने के लिए लगाया 1-1 लाख का जुर्माना…

इम्पैक्ट डेस्क.

ओडिशा के श्री जगन्नाथ मंदिर के आसपास उत्खनन और निर्माण कार्य मामले में याचिकाकर्ता को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, जनहित में किए जा रहे निर्माण कार्य आवश्यक हैं। दरअसल, मंदिर के आसपास उत्खनन कार्य को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश गुरुवार को सुरक्षित रख लिया था। 

क्या था याचिका में?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावानी ने कहा कि एक स्पष्ट प्रतिबंध है कि निषिद्ध क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने (राज्य सरकार) विनियमित क्षेत्र में निर्माण की अनुमति तक नहीं ली।  उन्होंने कहा कि राज्य को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) से अनापत्ति प्रमाणपत्र मिला और वह आगे बढ़ गया। उन्होंने कहा कि एनएमए एक वैध प्रमाण पत्र नहीं दे सकता था और यह केवल केंद्र या राज्य सरकार में पुरातत्व के निदेशक ही कर सकते हैं। याचिका के अनुसार, राज्य की एजेंसियां प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 20ए के घोर उल्लंघन में काम कर रही हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ओडिशा सरकार अनधिकृत निर्माण कार्य कर रही है। इसने कहा कि यह प्राचीन मंदिर की संरचना के लिए एक गंभीर खतरा है।

ओडिशा के महाधिवक्ता ने दी ये दलील
ओडिशा के महाधिवक्ता अशोक कुमार पारिजा ने कहा कि प्राचीन स्मारक -पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम के तहत, प्राधिकरण एनएमए है, और सक्षम प्राधिकारी को ओडिशा सरकार की निदेशक संस्कृति के रूप में अधिसूचित किया गया है। निर्माण का मतलब मौजूदा संरचनाओं की मरम्मत या पुनर्निर्माण या सीवेज, नालियों आदि को साफ करना नहीं है उन्होंने कहा कि अनुमति निदेशक संस्कृति द्वारा दी गई थी जो कि ओडिशा सरकार के एक सक्षम प्राधिकारी है। 100 मीटर के भीतर जो प्रतिबंधित था वह निर्माण था। राज्य की अवधारणा योजना का उद्देश्य सुविधाएं प्रदान करना और मंदिर को सुशोभित करना है।

उन्होंने कहा कि 60,000 लोग प्रतिदिन मंदिर जाते हैं और अधिक शौचालयों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मामले में न्याय मित्र ने कहा कि और शौचालयों की जरूरत है और अदालत ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।  वहीं शीर्ष अदालत मंदिर में ओडिशा सरकार द्वारा अवैध उत्खनन और निर्माण कार्य का आरोप लगाने वाली अर्धेंदु कुमार दास और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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