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लद्दाख में लौट रही शांति? पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे से भारत और चीन पीछे हटा रहे हैं टैंक…

  • impactnews desk.

लद्दाख में महीनों तक भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर रहने के बाद क्या लाइन  ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर सबकुछ ठीक होने जा रहा है? चीन की मानें तो दोनों देशों के सैनिक पीछे हट रहे हैं तो भारत का पक्ष रक्षामंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को संसद में रखेंगे। इस बीच, लद्दाख में चल रही गतिविधियों की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने नई दिल्ली में बताया है कि दोनों देशों ने टैकों और युद्धक वाहनों को पैंगोग त्सो झील के दक्षिणी किनारे से पीछे करना शुरू कर दिया है। 

चीनी रक्षा मंत्रालय की ओर से यह ऐलान किए जाने के बाद कि खारे पानी वाले झील के पास LAC पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट रहे हैं, भारतीय अधिकारियों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि रणनीतिक ऊंचाई वाले स्थानों पर सैनिक अभी भी तैनात हैं। पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों में से एक जगह से तोपों को हटाए जाने की रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है जब 15 दिन पहले 24 जनवरी को दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स के बीच इस बात की सहमति बनी थी कि अग्रिम मोर्चे से सैनिक जल्द हटाए जाएं।

बुधवार को चाइनीज रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी बयान में प्रवक्ता वू कियान ने कहा कि 10 फरवरी को पैंगोंग झील के किनारे चाइनीज और भारतीय हथियारबंद बलों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है। नौवें दौर की सैन्य वार्ता में बनी सहमति के तहत ऐसा किया जा रहा है। वू ने बया में कहा, ”सैनिकों ने एक साथ और व्यवस्थित रूप से पीछे हटना शुरू कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने और अधिक विवरण नहीं दिया है। 

इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि कुछ कमी जरूर आई है। इसे पिछले साल मई में शुरू हुई तनातनी को खत्म करने के लिए पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स की 9वें दौर की बातचीत 24 जनवरी को मोल्डा-चुशूल बॉर्डर मीटिंग पॉइंट पर हुई थी। 

दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले साल मई से सैन्य गतिरोध चला आ रहा है। पिछले साल 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। चीन के भी कई सैनिक इस टकराव में मारे गए थे, लेकिन उसने अभी तक इनकी संख्या नहीं बताई है। दोनों देश मुद्दे के समाधान के लिए कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता कर चुके हैं।

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