Business

LIC ने दिया जोर का झटका : एक साल में लोगों के 250000 करोड़ रुपये डूबे…

इम्पैक्ट डेस्क.

सरकारी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) ने इनवेस्टर्स को तगड़ा झटका दिया है। एलआईसी के शेयर एक साल पहले 17 मई को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हुए थे और बीमा कंपनी के शेयर 949 रुपये के इश्यू प्राइस से फिलहाल 40 पर्सेंट डाउन हैं। एलआईसी का मार्केट कैप करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये घट गया है। यानी, एलआईसी के आईपीओ में पैसा लगाने वालों को 2.5 लाख करोड़ रुपये का झटका लगा है। एलआईसी के शेयर 17 मई 2023 को 568.90 रुपये के स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं। 

बीमा कंपनी में सरकार की 96.5% हिस्सेदारी
एलआईसी में सरकार की अब भी 96.5 पर्सेंट हिस्सेदारी है। लिस्टिंग के बाद भी स्टॉक का फ्री फ्लोट बहुत कम है और शायद यही वजह है कि मार्केट वैल्यू के मामले में टॉप 15 कंपनियों में होने के बावजूद यह निफ्टी या सेंसेक्स में जगह नहीं बना पाई है। यह बात इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है। इस साल अब तक एलआईसी के शेयरों में करीब 20 पर्सेंट की गिरावट आई है। वहीं, पिछले 6 महीने में LIC के शेयर करीब 12 पर्सेंट लुढ़क गए हैं।  

म्यूचुअल फंड्स और FII ने घटाई हिस्सेदारी
पिछले एक साल में एलआईसी के शेयरों में तगड़ा झटका लगने के साथ ही म्यूचुअल फंड्स और फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII) दोनों ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी घटाई है। एलआईसी में म्यूचुअल फंड्स की हिस्सेदारी घटकर 0.63 पर्सेंट रह गई है, जो कि दिसंबर 2022 तिमाही में 0.66 पर्सेंट थी। वहीं, जून 2022 तिमाही में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी 0.74 पर्सेंट थी। वहीं, फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर (FII) की एलआईसी में हिस्सेदारी घटकर 0.08 पर्सेंट रह गई है, दिसंबर 2022 तिमाही में एफआईआई की हिस्सेदारी 0.17 पर्सेंट थी। 

रिटेल इनवेस्टर्स ने बढ़ाया बीमा कंपनी में दांव
हालांकि, रिटेल इनवेस्टर्स ने गिरावट में बीमा कंपनी के शेयरों पर अपना दांव बढ़ाया है। एलआईसी में रिटेल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 2.04 पर्सेंट पहुंच गई है, दिसंबर 2022 तिमाही में यह 1.92 पर्सेंट के स्तर पर थी। एलआईसी में रिटेल ओनरशिप जरूर बढ़ी है, लेकिन रिटेल इनवेस्टर्स की टोटल संख्या में गिरावट आई है। आईपीओ के समय में LIC में 39.89 लाख रिटेल इनवेस्टर्स थे, जो कि मार्च 2023 तिमाही में घटकर करीब 33 लाख रह गए हैं। यानी, एक साल में 6.87 लाख इनवेस्टर्स कंपनी से बाहर हुए हैं।  

error: Content is protected !!