सूबेदार, उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक (विशेष शाखा), एवं प्लाटून कमांडर की भर्ती के चलते छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश…
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बिलासपुर।
उच्च न्यायालय, छत्तीसगढ़ ने सूबेदार, उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक (विशेष शाखा), एवं प्लाटून कमांडर की भर्ती को याचिका में आने वाले निर्णय के अधीन रखा। राज्य शासन और छत्तीसगढ़ व्यापाम के अधिवक्ताओं ने कोर्ट में बताया कि भूतपूर्व कोटा से भरे जाने पदों में 153 पद रहने वाले हैं ख़ाली।
माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष भोलेश कुमार (भूतपूर्व सैनिक) ने अपने अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा, सूबेदार, उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक (विशेष शाखा), एवं प्लाटून कमांडर की भर्ती में आये मुख्य लिखित परीक्षा के परिणाम को रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के माननीय जस्टिस पी. सैम कोशी जी की एकल पीठ में हुई।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अनादि शर्मा द्वारा मुख्यतः कोर्ट को यह बताया गया कि, भूतपूर्व सैनिकों के लिए सूबेदार, उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक (विशेष शाखा), एवं प्लाटून कमांडर की भर्ती में 95 पद (कुल 951 पदों का 10 प्रतिशत पद) रिज़र्व रखा गया है। जिसके संबंध में पुलिस मुख्यालय द्वारा मुख्य लिखित परीक्षा के परिणाम में नियमानुसार, रिज़र्व रखे पदों के पाँच गुना अभ्यर्थियों को और उन अभ्यर्थियों को जिनके अंक आख़िरी चयनित अभ्यर्थी के बराबर हों, को अगले चरण में बुलाने की प्रक्रिया है।
परंतु पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी परिणाम में 475 अभ्यर्थियों के बजाय मात्र 319 अभ्यर्थियों को अगले चरण की शारीरिक दक्षता परीक्षा के लिए चयनित किया गया है जो विधिपूर्वक नहीं है। याचिकर्ता के अधिवक्ता द्वारा कोर्ट को यह भी बताया गया की भूतपूर्व सैनिक का आरक्षण विज्ञापन के हिसाब से समस्तर (हॉरिजांटल) एवं प्रवर्गवार (कम्पार्टमेंट वाइज़) आरक्षण रखा जाना है और भूतपूर्व सैनिक के अपने ख़ुदमें अलग अलग प्रवर्ग होते हैं जिनका, 2021 के भर्ती संबंधित जारी नियमों में, उल्लेख है।
अधिवक्ता अनादि शर्मा ने कोर्ट को माननीय इलाहाबाद हाई कोर्ट के डिवीज़न बेंच के केस शेओ शंकर सिंह बनाम पब्लिक सर्विस कमिशन, यू.पी. इलाहाबाद का हवाला देते हुए बताया की भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों को जाति के आधार पर वितरित/विभाजित या आवंटित नहीं किया जा सकता है। भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित पदों को विभाजित करके उन्हें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी जातियों और सामान्य उम्मीदवारों में आवंटित करना, इसलिए, अधिकारहीन है।
सभी भूतपूर्व सैनिकों को, जो अपने आरक्षित कोटा के खिलाफ आवेदन करते हैं, एक ही वर्ग के व्यक्ति के रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए और उन सभी को उनके आरक्षित रिक्तियों के लिए मेरिट के आधार पर खास दृष्टिकोण से मान्यता दी जानी चाहिए, चाहे वे जाति/वर्ग में किसी से भी संबंधित हों। यथार्थ होने के कारण, यह मुख्य लिखित परीक्षा के परिणाम में संशोधन किया जाना चाहिए।
इसके अलावा कोर्ट को यह भी बताया गया कि मुख्य लिखित परीक्षा के परिणाम छत्तीसगढ़ व्यापाम द्वारा नहीं जारी किए गये हैं, और पुलिस मुख्यालय ने ये परिणाम जारी किए हैं, और किसी भी अभ्यर्थी के अंकों को परिणाम में नहीं दर्शाया गया है जिससे याचिकर्ता को अपने अंक और आख़िरी चयनित अभ्यर्थी के अंक नहीं पता चलेंगे।
उत्तरवादियों के अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट में कथन दिया गया की भूतपूर्व सैनिक के कुल 153 पद ख़ाली रहेंगे। जिसके बाद उपरोक्त आधारों और कथन को मद्देनज़र रखते हुए, माननीय उच्च न्यायालय ने सूबेदार, उपनिरीक्षक, उपनिरीक्षक (विशेष शाखा), एवं प्लाटून कमांडर के पोस्ट पर होने वाली भर्ती को याचिका के निर्णय के अधीन रख दिया है।