एड़समेटा गोलीकांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने सैकड़ों आदिवासियों ने भरी हुंकार… मृतकों को एक करोड़ तो घायलों को 50 लाख मुआवजे की मांग… नए पुलिस कैम्पों के विरोध में उठे स्वर, नक्सल उन्मूलन के नाम पर प्रताड़ना का लगाया आरोप…
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इंपेक्ट डेस्क.
बीजापुर। एड़समेटा एंकाउंटर से जुड़ी न्यायिक जांच रिपोर्ट को लेकर गंगालूर इलाके में आदिवासियों का सरकार के खिलाफ आंदोलन अब उग्र रूप लेता नजर आ रहा है। गंगालूर इलाके के पुसनार के समीप बीते दो दिनों से सैकड़ों की तादात में आदिवासी प्रदर्षन कर रहे हैं। इनकी मांग है कि एड़समेटा एंकाउंटर से जुड़ी न्यायिक जांच रिपोर्ट को सरकार तत्काल संज्ञान में लेते हुए गोलीबारी में मारे गए निर्दोष आदिवासियों के परिजनों को एक-एक करोड़ और घायलों को 50-50 लाख रूपए का मुआवजा दें। वही इस नरसंहार के लिए जिम्मेदार अफसर-जवानों को न्यायोचित दंड भी दिया जाए, इसके अलावा गंगालूर समेत अन्य स्थानों पर प्रस्तावित सुरक्षा बलों के कैम्प का निर्णय भी सरकार वापस लें। ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित किए बिना यह संभव नहीं हैं, बावजूद गंगालूर समेत कई स्थानों पर नए कैम्प खोलकर आदिवासियों को नक्सलियों के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है, जिस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
प्रदर्षनकारियों की मानें तो मांगों को लेकर वे आर-पार की लड़ाई को तैयार है। जिसका आगाज हो चुका है, सैकड़ों आदिवासी दो दिनों से आंदोलन पर डटे हुए हैं। बता दें कि 17 मई 2013 को गंगालूर के एड़समेटा गांव में बीज पंडुम के दौरान सुरक्षा बलों की कार्रवाई में आदिवासी मारे गए थे। जस्टिस वीके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली कमेटी की जांच में पाया गया कि मारे गए लोग नक्सली नहीं थे बल्कि आदिवासी थे। रिपोर्ट के आने के बाद से गंगालूर इलाके मंे उक्त मांगों को लेकर दर्जनों गांवों के हजारों आदिवासियों का आंदोलन जारी है।
गंगालूर इलाके में आयोजित प्रदर्षन के मद्देनजर पुलिस पहले से ही मुस्तैद नजर आ रही थी। बीजापुर से गंगालूर मार्ग पर अर्द्ध सैन्य बल के जवान आने-जाने वालों पर लगातार नजर बनाए हुए थे। प्रदर्षन दो दिनों से जारी है। गुरूवार को प्रदर्षन स्थल पर जुटे ग्रामीणों के बीच आम आदमी पार्टी से जुड़े पदाधिकारी-कार्यकर्ता भी पहुंचे हुए थे।
नारेबाजी और लोकनृत्य के बीच प्रदर्षन आंदोलन के नेतृत्व कर्ताओं ने कहा कि उनकी मांगें जायज हैं, बावजूद सरकार इस ओर गंभीर नहीं हैं। मांगें जब तक पूरी नहीं हो जाती उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।
एड़समेटा के साथ-साथ सारकेगुड़ा गोलीकांड का जिक्र करते नेतृत्वकर्ताओं ने मंच से उन्हें भी न्याय देने की मांग रखी, इसके अलावा गंगालूर इलाके में प्रस्तावित सुरक्षा बलों के कैम्प का पुरजोर विरोध भी प्रदर्षन में देखने को मिला।