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समग्र शिक्षा : बीते सत्र में #KILOL से डकारे साढ़े पांच करोड़… इस सत्र में #TLM से खेला की तैयारी…?

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इम्पेक्ट एक्सक्लूसिव। रायपुर।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के आला अफसर लगता है सारा दिन यही हिसाब लगाते रहते हैं कि शिक्षा के नाम पर किस तरह से खेल किया जाए और बरस दर बरस वे कामयाब भी होते रहे हैं। छत्तीसगढ़ में शिक्षा मंत्री बदलने के बाद लगा कि अंदर का सिस्टम भी बदलेगा पर फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। शिक्षा विभाग में केंद्र से मिलने वाली समग्र शिक्षा की राशि का तरह—तरह से बंदरबांट का खेल यहां आम है।

बीते वित्तीय सत्र में समग्र शिक्षा ने शिक्षा विभाग के आला अफसर के संरक्षण में चल रहे बाल पत्रिका किलोल के नाम पर साढ़े पांच करोड़ रुपए डकार लिए। महज दस रुपए की मासिक पत्रिका जिसकी सालाना कीमत 120 रुपए होती है इसकी आजीवन सदस्यता के नाम पर दस—दस हजार रुपए 5540 संकुलों से वसूल लिए गए। 

KOLOL की खरीदी पर cgimpact की रिपोर्ट

‘किलोल’ की फांस में शिक्षा विभाग के आला अफसर… विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर हुई जांच में विभाग ने माना आजीवन सदस्य बनाने का निर्देश गलत था!

इसमें भारत सरकार से मिलने वाली सीआरसी ग्रांट की राशि का उपयोग किया गया। इस मामले की जांच विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर हो रही है। इस सत्र में शिक्षा मंत्री और प्रबंध संचालक बदल गए पर अंदर ही अंदर एक बार फिर करोड़ों का खेला की तैयारी हो गई।

इस बार मौजूदा वित्तीय सत्र के लिए टीएलएम की राशि का खेल किया गया है। इसके लिए बीते 3 अगस्त 23 को पांच फर्मों को सप्लाई का आर्डर जारी किया गया। इनसे सीएसआईडीसी के रेट पर सामान खरीदी कर किट तैयार कर भेजा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि बीते 29 अगस्त 2023 को सीआरसी अनुदान राशि की प्रशासकीय स्वीकृति का आदेश गाइड लाइन के साथ जारी किया गया। 

पूर्व मंत्री के समय जो सिंडिकेट ऐसे सप्लाई के दौरान सक्रिय रहा करता था वह अब बदल गया है। बताया जा रहा है इस बार प्रबंध संचालक और मंत्री के बदलने के बाद समग्र शिक्षा के ही एक अधिकारी के संरक्षण में पूरा खेल संचालित हो रहा है।

इस आदेश में भारत सरकार द्वारा सीआरसी अनुदान के तहत टीएलएम की राशि शामिल नही किया गया है। इसके एवज में टीएलएम यानी (टीचर्स लर्निंग मटेरियल) की राज्य स्तर से खरीदी कर केंद्रीय सप्लाई करवाई जा रही है। जबकि नियमानुसार यह राशि सीधे सीआरसी के खाते में दी जानी चाहिए थी। भारत सरकार की गाइड लाइन यही कहती है।

जिस राशि से गांव—कस्बों के छोटे स्टेशनरी दुकानदारों का व्यापार बढ़ता उसकी हजामत राज्य कार्यालय के आला अफसरों ने कर ली है। इससे उन्हें मिलने वाले कमीशन का रास्ता साफ है जिसे पकड़ पाना अब शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे के बस की बात भी नहीं है। दरअसल भारत सरकार यह राशि स्कूलों में स्थानीय स्तर पर शैक्षणिक उपयोग के लिए देती है। ताकि शिक्षा की जरूरत के हिसाब से इसका उपयोग किया जा सके।

इस वर्ष समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्ययोजना से प्राप्त स्वीकृति के अनुसार सीआरसी अनुदान राशि के अंर्तगत मेंटनेंस ग्राट 15 हजार, मीटिंग टीए 10 हजार, कंटेंजेंसी ग्रांट 30 हजार एवं सीआरसी मोबिलिटी सपोर्ट के लिए एक हजार रुपए प्रति संकुल केंद्र की दर से 5540 संकुल केंद्र हेतु कुल 31 करोड़ दो लाख रुपए बीते 29 अगस्त को जारी किया गया। जबकि यह राशि 36 करोड़ 52 लाख रुपए होनी थी। देखें सूची

सीआरसी-अनुदान-2023-24-प्रशासकीय-एवं-वित्तीय-स्वीकृति-आदेश।-जावक-क्रमांक-2757-दिनांक-29.08.2023

इस राशि का भुगतान पीएफएमएस के माध्यम से संकुल स्तर पर आहरण की सीमा प्रदान कर दी गई। उक्त राशि सीआरसी अुनदान मद में विकलनीय बताया गया। इस राशि को वर्तमान वित्तीय वर्ष में व्यय उपरांत उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने की जवाबदेही भी तय की गई है।

प्रबंध संचालक समग्र शिक्षा के आदेश से जारी किए गए गाइड लाइन के अनुसार मैंटेनेंस ग्रांट मद की राशि जिसे प्रति संकुल मान से 15 हजार रुपए प्रदान किया गया है उसका उपयोग संकुल स्त्रोत केंद्र भवन के रख—रखाव, रंग रोगन, शौचालय मरम्मत, सफाई आदि में किया जाना है।

मीटिंग टीए के तहत जारी की गई राशि 10 हजार समग्र शिक्षा की आयोजित बैठकों में उपस्थिति व शाला व संकुल केंद्र की मानिटरिंग के दौरान यात्रा देयकों के भुगतान के लिए सुनिश्चित की गई।

आकस्मिक व्यय मद में 30 हजार रुपए प्रति संकुल के दर से जारी किए गए जिसका उपयोग स्टेशनरी, विद्युत देयक, मरम्मत, कंप्यूटर सामग्री व अन्य आवश्यक कार्यालयनी उपयोग के लिए तय किया गया।

इसके अलावा सीआरसी के लिए मोबिलिटी सपोर्ट के तहत प्रति संकुल एक हजार रुपए दिए गए हैं जिसका उद्देश्य संकुल के अंतर्गत संस्थाओं के बीच समन्वय, सहयोग, सूचना आदान—प्रदान, संसाधन साझाकरण व क्षमता निर्माण आदि के लिए किया जाना है।

सीआरसी अनुदान मद की राशि जारी किए जाने से तीन सप्ताह पहले ही राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा ने गोयल फर्नीचर पता कपिल काम्प्लेक्स, गुरूनानक चौक रायपुर को करीब एक करोड़ 86 लाख रुपए और सनराइज इंटर प्राइजेस को करीब 53 लाख रुपए का सप्लाई आर्डर दिया गया है।

गोयल फर्नीचर को बालोद, बलौदा बाजार, बलरामपुर, बस्तर, बेमेतरा, बीजापुर, बिलासपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी, दुर्ग, गरियाबंद, गोरेला पेंड्रा मरवाही, जांजगीर चांपा, जशपुर और कांकेर, कवर्धा, कबीरधाम, खैरागढ़, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया, महासमुंद जिले में टीएलएम किट की सप्लाई का आर्डर है।

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वहीं सनराइज इंटरप्राइजेस को महासमुंद, मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, मोहला मानपुर चौकी, मुंगेली, नारायणपुर, रायगढ़, रायपुर और राजनांदगांव जिले में सप्लाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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मजेदार बात तो यह है कि जिन सामग्री को इस सूची में शामिल किया गया है यह हर गांव, कस्बे की दुकान में आसानी से उपलब्ध है। जिसे संबंधित संकुल स्वयं ले सकते हैं। सामग्री की सूची देखें… 

और तो और जितनी मात्रा में यह सामग्री संकुल को टीएलएम किट के रूप में प्रदान की जा रही है उससे किसी भी एक स्कूल का काम ही चल सकता है। जबकि एक संकुल के भीतर करीब दस शालाओं का समूह है।

इसी तरह से हंसराज साइ्रटिफिक मेटल वर्क को टिफरा तहसील बिलासपुर को एक करोड़ 70 लाख रुपए लैब्जू ग्लासवेयर इंडस्ट्री भक्तमाता परिसर, राजेंद्र नगर रायपुर को 21 लाख रुपए और एनआर एसोसिएट्स बिलासपुर को करीब 42 लाख रुपए की सप्लाई का आर्डर है। इनकी लिस्ट में समान तौर पर चार सामग्री सप्लाई के लिए आदेश प्रदान किया गया है। देखें सूची…

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उल्लेखनीय तथ्य तो यह है कि बीते सत्र में जब समग्र शिक्षा के प्रबंध संचालक नरेंद्र दुग्गा रहे उनके कार्यकाल में सभी संकुलों से दस—दस हजार रुपए किलोल पत्रिका की आजीवन सदस्यता के नाम पर वसूला गया था। इस मामले के उजागर होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष के निर्देश पर जांच भी चल रही है। 

इसमें विधायक अजय चंद्राकर ने शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डा. आलोक शुक्ला की भूमिका को लेकर सवाल भी उठाया था। बीते सत्र में कंटेंजेंसी की राशि से ‘किलोल’ का खेल किया गया। इसके अलावा टीएलएम की केंद्रीय सप्लाई करवा दी गई थी। 

मौजूदा सत्र में भी कंटेंजेंसी की राशि में 10 हजार रुपए कम भेजा गया है। इसमें भी करीब साढ़े पांच करोड़ का खेला तय है। मौजूदा सत्र में टीएलएम यानी टीचर्स लर्निंग मटेरियल के नाम पर किट सप्लाई का खेला समग्र शिक्षा के अफसरों ने कर दिया है। 

अब देखना होगा कि वर्तमान में शिक्षा विभाग में सफाई कार्यक्रम चला रहे शिक्षा मंत्री रविंद्र चौबे इस मामले को लेकर क्या रुख अपनाते हैं? संभव है कि इस मामले को बिना मंत्री के संज्ञान में दिए समग्र शिक्षा ने अपना खेल कर दिया है।

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