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हिंदू जन आक्रोश सभा कार्यक्रम की करवाएं वीडियोग्राफी… हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्देश…

इम्पैक्ट डेस्क.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार को पांच फरवरी को मुंबई में होने वाले हिंदू जन आक्रोश सभा के कार्यक्रम की वीडियोग्राफी करवाने का निर्देश दिया है। साथ ही, उसकी एक कॉपी भी मांगी है। याचिकाकर्ता ने संगठन के खिलाफ आरोप लगाया था कि 29 जनवरी को हुए एक कार्यक्रम में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच का इस्तेमाल किया गया था। इसी को देखते हुए याचिकाकर्ता ने आगामी कार्यक्रम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल का बयान दर्ज किया कि उक्त कार्यक्रम को दी जाने वाली कोई भी अनुमति इस शर्त पर होगी कि किसी भी कानून को धता बताते हुए या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ते हुए कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार से 29 जनवरी की पूर्व की घटना के संबंध में की गई कार्रवाई पर निर्देश प्राप्त करने को कहा, जहां निलंबित भाजपा विधायक टी राजा सिंह द्वारा कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे।

गुरुवार को न्यायमूर्ति केएम जोसेफ, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की एक पीठ ने कहा कि कोई भी उसके आदेशों के बावजूद नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है, और कहा कि अगर अदालत को आगे भी ऐसे बयानों पर अंकुश लगाने के निर्देश देने होंगे तो ऐसे में उसे बार-बार शर्मिंदा होना पड़ेगा। इसके बाद पीठ शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील निजाम पाशा और रश्मि सिंह ने पिछली हिंदू जन आक्रोश सभा का जिक्र किया, जिसमें मुस्लिमों के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार की बात कही गई थी। इस रैली में दस हजार लोगों ने हिस्सा लिया था।

हेट स्पीच मामले पर सख्त रहा है कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट हेट स्पीच मामले पर लगातार सख्ती बरतता रहा है। पिछले साल इससे जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि यह 21वीं सदी है और धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए हैं? यह एक ऐसे देश के लिए चौंकाने वाली बात है, जिसे धर्म-तटस्थ माना जाता है। वहीं, पिछले महीने साल 2021 से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा था कि आपको एफआईआर दर्ज करने के लिए 5 महीने की आवश्यकता क्यों है। कितनी गिरफ्तारियां की गई हैं? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की बेंच ने कहा था कि जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। 

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