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तीन साल में चार समितियां नहीं तय कर पाई स्काई वाक की उपयोगिता? सरकारी खजाने के 45 करोड़ लगा चुकी है सरकार!

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भाजपा सरकार की वापसी से मूणत मॉडल के स्काई वॉक का भविष्य तय होगा

इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर।

निर्माणाधीन स्काई वॉक राजधानी के हृदय स्थल पर पांच साल बाद भी मुंह ताक रहा है। डा. रमन सिंह के कार्यकाल में प्रारंभ के बाद निर्माणाधीन स्काई वाक भूपेश सरकार के लिए भी गले की हड्डी बना रहा। इस बीच एक बार फिर राजधानी में स्काई वॉक परियोजना की संकल्पना करने वाले तत्कालीन पीडब्लूडी मंत्री राजेश मूणत एक बार फिर चुनाव जीत चुके हैं। उम्मीद है ‘मूणत मॉडल आफ स्काई वॉक’ अब बहुमत के साथ लौटी भाजपा सरकार में पूरी हो जाए।

हालात ऐसे हैं कि पिछली रमन सरकार में इसके निर्माण के लिए 2017 में कार्यादेश जारी किया गया। इसके बाद दो साल में 70 प्रतिशत से ज्यादा कार्य पूरा हुआ। इस बीच 2018 में राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार काबिज हो गई। इसके बाद इस पर रोक लगा दी गई।

वहीं 2019 में इस पर रोक लगने के बाद तीन वर्ष में चार समितियां बनाई गईं और लगातार बैठकें करने के साथ ही लोगों से सुझाव भी लिए गए। लेकिन कोई भी समिति इस निर्माण का क्या किया जाए, इस पर सहमति ही नहीं बना पाई। इसकी वजह से इसका निर्माण आधे में ही रोक दिया गया।

इस निर्माण की जांच करने का जिम्मा ईओडब्ल्यू व एसीबी को दे दिया गया। कहा गया कि इस निर्माण में हुई गड़बड़ी की बारीकी से जांच की जाएगी। पर एक बार फिर सरकार बदल गई है। ऐसे में अब एसीबी से लेकर ईओडब्ल्यू एजेंसी भी भाजपा सरकार के इशारे पर काम करेंगी। संभव है जांच की फाइल बंद कर दी जाए।

इसके बाद अधूरे पड़े इस स्काई वॉक को पूरा कर भाजपा सरकार यह साबित करे कि एक सही निर्माण कांग्रेस ने किस प्रकार से बाधित किया। स्काई वॉक का यह प्रोजेक्ट देखा जाए तो भाजपा सरकार के लिए गले की फांस जैसा भी साबित हो सकता है। क्योंकि इस निर्माण पर अब सभी की नजर लगी रहेगी। इसका प्रभाव आने वाले नगर निगम चुनाव के दौरान भी पड़ सकता है।

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