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मरकज में तबलिगी जमात पर विदेश, गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार की अनदेखी… हिंदुस्तान के लिए बना खतरा… 23 मार्च के विडियो ने खोल दी पोल…

न्यूज डेस्क. नई दिल्ली।

चैनल आजतक ने सोमवार रात 10 बजे दस्तक के कार्यक्रम में एक ऐसी खबर दिखाई कि नई दिल्ली की निजामुद्दीन की दरगाज में स्थित मरकज में तबलिगी जमात के मामले में नया मोड़ आ गया है। इस रिपोर्ट में निजामुद्दीन इलाके के एसएचओ की ही विडियो रिकार्डिंग बाहर आई है। जिसे 23 मार्च को जनता कर्फ्यू के दूसरे दिन अपने दफ्तर में स्वयं एसएचओ ने रिकार्डिंग करवाई थी।

क्या है इस रिकार्डिंग में…

इस रिकार्डिंग के अगर देखें तो साफ दिखाई दे रहा है कि 23 मार्च को तबलिगी जमात के साथ बैठक करते हुए एसएचओ साफ कह रहे हैं कि हमें पता है कि आपके मरकज में डेढ़ हजार से ज्यादा लोगों का जमावाड़ा है। वे पूछते हैं कि वे कहां के हैं? तो जमाती जानकारी देते हुए देश के विभिन्न इलाकों का नाम भी बताते हैं। इसमें विदेशियों की जानकारी भी शामिल है। जमाती बताते हैं कि जाने के रास्ते सील किए गए हैं सभी लौटना चाहते हैं। जमाती एसएचओ से एसडीएम का नंबर मांगते हैं तो पूरे एटिट्यूड के साथ एसएचओ धमकाते हुए भी दिखे।

इसी रिकार्डिंग में एसएचओ इस बात पर भी जोर देकर कहते हैं कि उन्हें पूरी जानकारी उपर देनी है। जहां से पूछा जा रहा है। यानी पूरे सिस्टम को इस बात की जानकारी थी कि नई दिल्ली के मरकज में डेढ़ हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं। यदि 23 मार्च को ही इस बारे में कोई बड़ा फैसला ले लिया गया होता तो संभवत: हालात इतने भी नहीं बिगड़ते जितने बिगड़ गए।

यदि रिपोर्ट की मानें तो पूरे सिस्टम को पहले से ही इस जमावाड़े की जानकारी थी। ऐसे में सभी की जांच उसी दौरान क्यों नहीं करवाई गई। क्यों क्वैंरटाइन में कोताही की गई।

विदेश मंत्रालय को पहले से ही पता था कि जो लोग आए हैं वे किस जगह के लिए और कितने समय के लिए पहुंचे हैं। इसका रिकार्ड समय रहते क्यों नहीं खंगाला गया?

जब दिल्ली पुलिस के आला अफसरों को जारी जानकारी थी जो एसएचओ ने विडियो में स्वयं कहा है तो उन्होंने ऐहतियाती कदम उठाने में विलंब क्यों किया? ये ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब जब मिलेगा तब मिलेगा पर तब तक बहुत कुछ बदल चुका होगा।

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