District Bastar (Jagdalpur)

आजादी के बाद पहली बार नक्सल प्रभावित बस्तर के 120 से अधिक गांवों में बनेंगे मतदात केंद्र…

इंपैक्ट डेस्क.

आजादी के बाद पहली बार ऐसा होगा जब छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के 120 से ज्यादा गांवों के लोगों को इन विधानसभा चुनाव में अपनी बस्तियों में ही मतदान करने का मौका मिलेगा। अधिकारियों ने कहा कि दुर्गम क्षेत्र के इन गांवों में नए मतदान केंद्र बनाए जाएंगे जो पहले नक्सलियों के गढ़ थे। अधिकारी इस उपलब्धि को ‘बुलेट पर बैलेट’ की जीत मान रहे हैं। पहले इनमें से अधिकांश गांवों के मतदाताओं को मतदान के लिए 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। लोगों को अपना वोट डालने के लिए पहाड़ और नालों को पार करना पड़ता था। इससे मतदान प्रतिशत पर असर पड़ता था। 

अधिकारियों का कहना है कि बस्तर क्षेत्र के जिन इलाकों को कभी नक्सली गढ़ माना जाता था, उनमें मतदान केंद्रों की स्थापना सुरक्षा परिदृश्य में सुधार और लोकतांत्रिक व्यवस्था में मजबूती का संकेत है। मालूम हो कि सूबे में दो चरणों में मतदान होगा। सात जिलों वाले बस्तर संभाग में 12 विधानसभा क्षेत्र हैं। बस्तर संभाग में 7 नवंबर को पहले चरण के तहत मतदान होगा।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) सुंदरराज पी ने बताया कि सात नवंबर को मतदान के लिए बस्तर क्षेत्र में 126 से अधिक नए मतदान केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इनमें से अधिकांश नए मतदान केंद्र होंगे जो नक्सल प्रभावित दुर्गम इलाकों में स्थित हैं। ये नए मतदान केंद्र बस्तर क्षेत्र में नई पीढी को ‘बुलेट पर बैलेट’ की जीत का यकीन दिलाएंगे। 

क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पहले इन क्षेत्रों में कठिन भौगोलिक स्थितियों और माओवादी खतरों के कारण मतदान केंद्र स्थापित नहीं किए गए थे। चांदामेटा गांव की एक आदिवासी महिला पालो मरकाम ने कहा कि पहले उन्हें वोट देने के लिए आठ किलोमीटर की दूरी तय कर छिंदगुर गांव पहुंचना पड़ता था, लेकिन अब वह खुश हैं कि अपने गांव में ही मतदान कर पाएंगी।
चांदामेटा जगदलपुर निर्वाचन क्षेत्र के उन चार गांवों में से एक है जहां पहली बार मतदान केंद्र बनेगा। कभी उग्रवाद का गढ़ माना जाने वाले चांदामेटा बस्तर जिले के मुख्यालय जगदलपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़-उड़ीसा सीमा पर तुलसी डोंगरी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। मरकाम ने कहा कि सड़क नहीं होने के कारण कच्चे रास्तों से होकर छिंदगुर जाना पड़ता था। अब हम अपने गांव में मतदान केंद्र बनने से बहुत खुश हैं।

मरकाम ने कहा कि हम उसे वोट देंगे जो हमारे विकास के लिए काम करेगा। गांव के एक अन्य निवासी श्याम कवासी ने कहा कि उनके गांव के मतदाता पहले मतदान में दिलचस्पी नहीं लेते थे, क्योंकि आठ किलोमीटर दूर जाना पड़ता था और वहां पहुंचने के लिए भी कोई सड़क नहीं थी। उन्होंने कहा कि इस बार पूरा गांव लोकतंत्र के उत्सव में भाग लेने के लिए उत्साहित है।
बस्तर जिले के कलेक्टर विजय दयाराम के ने बताया कि चांदामेटा के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से उनके गांव में एक मतदान केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया था। पिछले साल सुरक्षाबलों के गांव में शिविर स्थापित करने के बाद जिला प्रशासन ने वहां विकास कार्यों को तेजी से आगे बढ़ाया। गांव को जोड़ने वाली सड़क, स्कूल और एक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया। गांव का विद्युतीकरण कार्य प्रगति पर है। 

बस्तर जिले के कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि 432 लोगों की आबादी वाले चांदामेटा गांव के अधिकांश परिवारों में से एक सदस्य पुलिस शिविर स्थापित होने से पहले नक्सलियों से जुड़ा था। कलेक्टर ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार पिछले साल 15 अगस्त को गांव में तिरंगा फहराया गया था। अब ग्रामीण आजादी के बाद पहली बार अपने गांव में वोट डालेंगे।

बस्तर जिले के कलेक्टर विजय दयाराम ने बताया कि गांव में 290 मतदाता हैं, जिनमें 148 पुरुष और 142 महिलाएं हैं। हम शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक चुनाव कराने के लिए तैयार हैं। नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग बस्तर में आने वाले 12 विधानसभा क्षेत्र और राज्य के मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, राजनांदगांव, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कबीरधाम जिले के आठ विधानसभा क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान होगा। शेष 70 निर्वाचन क्षेत्रों में 17 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होगा। 

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