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दंतेवाड़ा में विकास परियोजनाओं को लेकर बड़ा सवाल… टेंडर प्रक्रिया और सांसद प्रतिनिधि को लेकर मीडिया में सुर्खियां…

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इम्पेक्ट न्यूज। रायपुर/दंतेवाड़ा।

बस्तर लोक सभा क्षेत्र के सांसद दीपक बैज अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के संगठन प्रमुख बन चुके हैं। उन्होंने बुधवार को दंतेवाड़ा में माता के मं​दिर में पहुंचकर आशीर्वाद लिया। जोश से भरे कांग्रेसियों ने उनका जोर शोर से स्वागत किया। इस समय दंतेवाड़ा जिले में डीएमएफ मद से जबरदस्त विकास कार्य किए जा रहे हैं।

ऐसे में सांसद और अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष को लेकर विपक्ष हमलावर होगा यह सुनिश्चित है। दंतेवाड़ा में कथित तौर पर सांसद प्रतिनिधि को करोड़ों का काम ठेके पर मिला है। आरोप यह है कि सांसद प्रतिनिधि के पास डी श्रेणी के ठेकेदार का लाइसेंस है और नियमानुसार इतनी राशि का काम अकेले उसे नहीं मिलना चाहिए पर टेंडर की प्रक्रिया के अनुसार करोड़ों की लागत के ढेर सारे काम उसे हासिल हो चुके हैं। तो स्वाभाविक है कि टेंडर की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाए ही जाएंगे।

बस्तर संभाग में इन दिनों जमकर बारिश हो रही है। ऐसे समय में डंकनी नदी के रिवर फ्रंट पर भारी बारिश में कांक्रीट के काम को पूरा किए जाने का एक विडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इस विडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि बारिश के समय रैन कोट पहनकर कांक्रीट डाला जा रहा है। इससे निर्माण की गुणवत्ता सीधे तौर पर प्रभावित होगी। इसे लेकर निर्माण एजेंसी पर सवाल उठना तय हो गया।

इससे जुड़ा एक सवाल पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से मीडिया ने पूछ लिया। जिसके जवाब में उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर कर दी। पर मसला जब स्वयं उनके प्रतिनिधि से जुड़ा हो तो विपक्ष का हमलावर होना स्वाभाविक हो गया। भाजपा के जिला अध्यक्ष चैतराम अटामी ने मीडिया के सवाल के जवाब में साफ कहा कि इसे लेकर घेराबंदी की जाएगी।

दंतेवाड़ा में विधायक देवती महेंद्र कर्मा और कलेक्टर विनीत नंदनवार को लेकर पहले भी कई सुर्खियों ने अपनी जगह बनाई है। अब मामला सत्ता पक्ष के विधायक से हटकर विपक्ष के हमलावर होने तक पहुंच गया वह भी भारी बारिश में मिट्टी और कांक्रीट के काम को लेकर।

इस मामले को लेकर इम्पेक्ट ने जिला कलेक्टर विनीत नंदनवार से चर्चा की तो उन्होंने साफ कहा कि वे सभी फाइलों की जांच करवाएंगे और यदि नोडल एजेंसी ने किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की है तो सारे टेंडर निरस्त कर दिए जाएंगे। उन्होंने साफ कहा कि विकास कार्यों के लिए समय ​सीमा के साथ—साथ प्रक्रिया का पालन करना भी अनिवार्य है। ऐसे में जिस तरह की गड़बड़ी की शिकायत की जा रही है वे स्वयं इसकी जांच करेंगे।

इसमें एक बड़ा काम बारसूर के पुरातात्विक धरोहर तालाब के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण का है जिसमें बारिश के मौसम में जेसीबी से काम करवाया जा रहा है। इसे लेकर जलसंसाधन विभाग ने साफ कह दिया है कि इसमें उनसे किसी प्रकार की सहमति नहीं ली गई है। इस काम को लेकर विवाद की बड़ी वजह यही है कि ऐसे समय में जब किसानों के लिए जरूरत के अनुसार सिंचाई तालाब की जरूरत होती है तब यदि विकास काम के चलते सिंचाई प्रभावित हुई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

आरोप लगाया जा रहा है कि जिला खनिज न्यास के काम जिला निर्माण समिति के माध्यम से करवाए जा रहे हैं। जिसके माध्यम से नोडल एजेंसी तय कर टेंडर की प्रक्रिया पूरी करवाई गई है। जिला कलेक्टर द्वारा एएस यानी प्रशासकीय स्वीकृति के पश्चात ही एजेंसी के माध्यम से टेंडर की प्रक्रिया पूरी करवाई जा सकती है। प्रत्येक काम के लिए एएस एक मुश्त किया गया। इसके बाद एक ही काम के कई टुकड़े कर पृथक निविदा पद्धति से प्रक्रिया पूरी की गई। सबसे मजेदार बात तो यही है कि यदि एक ही काम के कई टुकड़े किए गए तो एक ही व्यक्ति को सारे काम के टेंडर कैसे जारी हो सकते हैं। बड़ी बात तो यही है कि ठेकेदार के मामले में सरकार की सभी गाइड लाइन को दरकिनार करने का आरोप लगाया जा रहा है।

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