Dabi juban seState News

छत्तीसगढ़ में ‘भांचा’ राम राज्य… भाजपा के ‘राजा राम’ की राजनीतिक बुनियाद पर ‘माता कौशल्या’ के सहारे #भूपेश कांग्रेस की चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी…

Getting your Trinity Audio player ready...

दबी जुबां से… सुरेश महापात्र।

बीते आठ अप्रेल को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात के लिए रवाना होने से पहले मीडिया से चर्चा में कहा था कि छत्तीसगढ़ की सरकार रामराज्य की दिशा में आगे बढ़ रही है। गृहमंत्री अमित शाह टीवी इंटरव्यू में कहा कि देश अंबेडकर के संविधान के अनुसार चल रहा है। जितने लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं, उन राज्य की बात महात्मा गांधी ने कही थी। बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि राम राज्य आना चाहिए। एक आदर्श स्थिति है राम राज्य की और छत्तीसगढ़ सरकार उस दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके बाद से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के दौरान राम राज्य को लेकर नई बहस चल पड़ी है।

राम के मसले को यदि सीधे तौर पर देखें तो सीएम भूपेश बघेल दूरदर्शी कांग्रेसी राजनेता साबित हुए हैं। उन्होंने पहले ही भांप लिया था कि आने वाले समय में राम के नाम पर छत्तीसगढ़ में भाजपा एक बार फिर राजनीति करेगी। 22 दिसंबर 2019 को छत्तीसगढ़ के चंद्रखुरी में माता कौशल्या के मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण के लिए भूमिपूजन किया। संभवत: तब तक इसे लेकर वृहद कार्ययोजना तैयार नहीं थी।

दरअसल 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राममंदिर के भूमिपूजन के साथ शुरूआत करने की तैयारी थी। तो 1 अगस्त 2020 को भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ और माता कौशल्या की जन्मस्थली चंद्रखुरी को राजनीति का केंद्र बना दिया। उन्होंने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि

‘प्रभु श्री राम के ननिहाल चंदखुरी का सौंदर्य अब पौराणिक कथाओं के नगरों जैसा ही आकर्षक होगा। राजधानी रायपुर के निकट स्थित इस गांव के प्राचीन कौशल्या मंदिर के मूल स्वरूप को यथावत रखते हुए, पूरे परिसर के सौंदर्यीकरण की रूपरेखा तैयार कर ली गई है।’ हमारी महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ विकास परियोजना में शामिल चंदखुरी में यह पूरा कार्य 15 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से किया जाएगा। योजना के मुताबिक चंदखुरी में मंदिर के सौंदर्यीकरण तथा परिसर विकास का कार्य दो चरणों में कार्य पूरा किया जाएगा। योजना के मुताबिक चंदखुरी को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जाना है, इसलिए वहां स्थित प्राचीन कौशल्या माता मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ नागरिक सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा।

।।जय सिया राम।।

अपने इस ट्वीट थ्रेड में उन्होंने यह याद दिलाया कि ‘बीते 22 दिसंबर को चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए भूमि-पूजन किया गया था। इसके साथ ही राम वन गमन पथ पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थलों के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की परियोजना की भी शुरुआत कर दी गई थी।’

इसका साफ आशय यही था कि कोई यह ना समझे कि राम के अयोध्या के जवाब में माता कौशल्या के मंदिर को नया केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इसके बाद यह तथ्य सबके सामने प्रमुखता के साथ आया कि छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में ही राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या का मंदिर है, जो राम की माता भी हैं। इस हिसाब से इसे राम का ननिहाल भी माना जाता है।

भगवान राम के ननिहाल में माता कौशल्या का भव्य मंदिर स्थापित करने के साथ—साथ छत्तीसगढ़ में रामायण से जुड़े 9 स्थलों के विकास के लिए 134 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ सरकार ने स्वीकृत किया। इसके तहत हरचौकी सीतामढ़ी (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर-चंपा), तुरतुरिया (बलौदा बाजार), चंदखुरी (रायपुर) राजिम (गरियाबन्द), सिहावा-सप्तर्षि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामराम (सुकमा) शामिल किया गया। अगस्त के तीसरे हफ्ते के बाद से ही चंदखुरी में माता कौशल्या के मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ सौंदर्यीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया गया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि ‘राम वन गमन मार्ग’ योजना के अंतर्गत पूरे राज्य में भगवान राम की वनवास यात्रा के मार्गों को चिह्नित कर उन्हें एक बड़े पर्यटन स्थल नेटवर्क में तब्दील किया जाएगा।

ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कौशल के रूप में जाना जाता था और ये दण्डकारण्य का एक भाग था। त्रेता युग में भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में 4 महीने बीता कर वहाँ से लंका के लिए प्रस्थान किया था। उन्होंने हरचौका सीतामढ़ी के माध्यम से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया। वो गवाई नदी में कोरिया जिले फिर उन्होंने सुकमा स्थित रामराम पहुँचने से पहले 75 जगहों पर डेरा डाला था। इनमें से 9 जगहों को ‘राम वेब गमन पर्यटन परिपथ’ के रूप में चिह्नित कर पहले फेज में पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया गया है।

अब छत्तीसगढ़ में साफ दिखाई दे रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के राजनीति के केंद्र अयोध्या के राजा राम की जगह यहां भांचा राम के सहारे भूपेश ने भाजपा को राजनीति करने से रोक दिया है। यह एक ऐसा मसला है कि अब छत्तीसगढ़ में भाजपा को यह कहने की स्थिति नहीं है कि कौशल्या मंदिर को लेकर 15 बरस तक रमन सरकार ने किसी तरह का कोई प्रयास क्यों नहीं किया? जबकि इस दौरान करीब छह बरस तक केंद्र और राज्य दोनों में भारतीय जनता पार्टी ही शासन में रही! दरअसल भाजपा अपने अंदरखाने यह महसूस भी कर रही है कि चूक तो हुई है! यदि भाजपा ने माता कौशल्या के मंदिर को लेकर पहले ही किसी प्रकार का ताना—बाना बुन दिया होता तो आज कम से कम जवाबी हमला करने की स्थिति में होती।

यह तो साफ है कि छत्तीसगढ़ में राम को लेकर भाजपा की सियासत को कांग्रेस ने कमजोर कर दिया है। यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल घोषित कर रह हैं कि यहां राम राज्य है। यानी सब कुछ ठीक—ठाक है। कहीं कोई कमी नहीं है। लोग खुश हैं और शांति के साथ राज्य विकास कर रहा है। अब एक से तीन जून तक रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का वृहद कार्यक्रम आयोजित है। इसमें देश के सभी राज्यों को न्योता भेजा गया है। इसकी घोषणा 18 मई को सीएम भूपेश बघेल ने करते बताया कि ‘सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रमुखों को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में पहली बार आयोजित हो रहे राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के रामायण ‘झांकी प्रदर्शन समूह’ को आमंत्रित किया है।’

ऐसा करते हुए कांग्रेस ने एक बार फिर बड़ी लकीर खींच दी है। जिसका जवाब फिलहाल भाजपाई खेमे के पास नहीं है। यदि ​सीधे तौर पर सरकार राम के आसरे चल रही है तो उसकी खिलाफत कहीं भाजपा को ही नुकसान ना पहुंचा दे। छत्तीसगढ़ में ‘द केरला स्टोरी’ और कश्मीर फाइल्स रिलीज हुई और शांतिपूर्वक दर्शक सिनेमा हॉल से सिनेमा देखकर निकल गए। ‘द केरला स्टोरी’ जो सीधे तौर पर लव जिहाद की स्क्रिप्ट पर तैयार की गई है। उसे लेकर सरकार ने एक भी मौका भाजपा को नहीं दिया कि वह यहां इस सिनेमा के सहारे राजनीति कर पाए। यह भी राज्य सरकार की सफलता ही माना जाना चाहिए। उल्टे सरकार ने राम राज्य को लेकर जिस तरह से माहौल को पिरोया है वह भाजपा की उस राजनीति का तोड़ है जिसके सहारे वह आसानी से हिंदु मतों को पोलराइज करने में सफल हो जाती है।

अब जून के महीने में जब अगले विधानसभा चुनाव की राजनीतिक तैयारियों को जमीन पर उतारने का दौर शुरू होगा तब छत्तीसगढ़ कांग्रेस अपने ‘भांचा’ राम राज्य के मॉडल के साथ चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में लगी रहेगी। यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि आने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का हिंदुत्व मॉडल और कांग्रेस का साफ्ट हिंदुत्व एक साथ रंग में दिखाई देगा। जिसमें कम से कम हिंदुत्व के सहारे भाजपा मैदान मार पाने में सफल तो नहीं होगी!

error: Content is protected !!