31 दलों के 37 नेता शामिल हुए अफगान संकट के सर्वदलीय मंथन में… सभी भारतीयों को निकालने का फैसला…
न्यूज डेस्क।
अफगानिस्तान के हालात पर केंद्र सरकार ने गुरुवार को ऑल पार्टी मीटिंग करीब साढ़े तीन घंटे चली। इसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदन के नेताओं को अफगानिस्तान के हालात और रेस्क्यू मिशन के बारे में बताया। सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के 37 नेता शामिल हुए।
विदेश मंत्री ने मीडिया को जानकारी देते कहा कि सभी दलों के साथ अच्छी बात हुई है। सरकार समेत सभी दलों की राय इस मसले पर एक जैसी है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत जिन लोगों को काबुल से निकाला है, उनमें ज्यादातर भारतीय हैं। अभी भी कुछ भारतीय काबुल में फंसे हैं। हम सभी को वापस लाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, जयशंकर ने अमेरिका और तालिबान के बीच 2020 में दोहा में हुए समझौते का जिक्र भी किया और कहा कि तालिबान दोहा में किए गए वादे पर खरा नहीं उतरा।
इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे, राकांपा नेता शरद पवार, DMK के टीआर बालू, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अनुप्रिया पटेल भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयशंकर को निर्देश दिए थे कि वे सभी दलों को अफगानिस्तान के हालात की जानकारी दें। विपक्षी दलों ने सरकार से यह भी कहा है कि वो अफगानिस्तान पर एक बयान भी जारी करें।
आज 35 लोगों को अफगानिस्तान से लेकर आया एयरफोर्स का विमान
आज 24 भारतीयों और 11 नेपालियों को काबुल से लेकर एयरफोर्स का विमान दिल्ली आ गया है। अफगानिस्तान से लोगों को एयरलिफ्ट करने के साथ ही सरकार वहां के हालात पर करीब से नजर रखे हुए है। अब तक अफगानिस्तान से 800 लोगों को भारत लाया गया है।
तालिबान पर भारत का रुख क्या है?
कुछ दिन पहले जयशंकर ने कहा था कि हम अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। वहां हालात अभी स्थिर हैं। हमारा फोकस केवल भारतीयों को बाहर निकालने और उनकी सुरक्षा पर है। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान के साथ हमारे ऐतिहासिक रिश्ते हैं। अफगानी लोगों के साथ हमारे रिश्ते निश्चित रूप से जारी रहेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था कि तालिबान हिंसा का रास्ता छोड़े और आतंकी संगठनों से रिश्ते खत्म करे।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अफगानिस्तान पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से करीब 45 मिनट तक फोन पर बातचीत की थी। भारत ने तो अफगानिस्तान में अपना दूतावास खाली कर दिया है, पर रूस ने अभी अपना मिशन बरकरार रखा है। माना जा रहा है कि वह तालिबानियों के साथ अपना कम्युनिकेशन स्थापित करना चाहता है।
भारत पर तालिबान का रुख क्या है?
तालिबानी प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि तालिबान भारत के साथ अच्छे रिश्ते बनाने का इच्छुक है। भारत महत्वपूर्ण है और हम चाहते हैं कि वह अफगानिस्तानी आवाम की ख्वाहिशों को देखते हुए अपनी राय बनाए। हम ये वादा करते हैं कि अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी मुल्क के खिलाफ नहीं होने देंगे।