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मोहनजोदड़ो में खुदाई के दौरान मजदूरों को मिला ‘खजाना’… कई रहस्यों से उठेगा पर्दा…

इम्पैक्ट डेस्क.

दुनियाभर की सबसे पुरानी सभ्याताओं में गिनी जाने वाली सिंधु घाटी सभ्यता के वैश्विक धरोहर स्थल मोहनजोदड़ो में खुदाई के दौरान एक दीवार से तांबे के सिक्कों से भरा बर्तन मिला है। एक साइट के संरक्षण के दौरान पाकिस्तानी मजदूर एक दीवार पर काम कर रहे थे। संरक्षण विभाग के निदेशक सैयद शाकिर शाह के मुताबिक दीवार ढह गई थी और इसी की खुदाई की जा रही थी। तभी मजदूरों की नजर एक बर्तन पर पड़ी। इसे निकाला गया तो इसमें तांबे के सिक्के निकले। इसका बाद संरक्षण विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई। जांट टीम ने इन सिक्कों को लैब भेज दिया है। बताया जा रहा कि लंबे समय के बाद मोहनजोदड़ो से कोई ऐसी चीज मिली है जो कि किसी बड़े रहस्य से पर्दा उठा सकती है। 

शाकिर शाह के मुताबिक इन सिक्कों पर किसी भाषा में कुछ अंकित किया गया है। पहले तो सिक्कों को निकालना ही बड़ी चुनौती थी। लंबे समय से दबे होने की वजह से वे क्षरित भी हुए हैं। जांच के बाद पता चलेगा कि ये सिक्के किस जमाने के हैं और इनमें क्या लिखा है। उन्होंने कहा कि इन सिक्कों से कई बातें सामने आ  सकती हैं जिससे पुरानी दुनिया के बारे में कई बातें पता चलेंगी। मोहनजोदड़ो 500 साल पुरानी विरासत है। इस जगह से मिले अवशेष बताते हैं कि यहां कभी बहुत ही विकसित शहर हुआ करता था। 
1980 में मोहनजोदड़ो को विश्व धरोह स्थल में शामिल किया गया था। यहां से मिले पुरातात्विक खंडहर तीसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूराव के बताए जाता हैं। यहां मिट्टी की कच्ची ईंटें पाई गई थीं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो दोनों सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण शहर हैं। सिंधु घाटी सभ्यता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और भारत में फैली हुई है मोहनजोदाड़ो सिंधी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है मुर्दों का टीला। 

मोहनजोदाड़ो से एक नृत्यांगना की मूर्ति भी मिली थी। यहां से प्राप्त अवशेषों के हिसाब से कहा जाता है कि यहां भगवान शिव की पूजा हुआ करती थी। इसके अलावा सिंधु सभ्यता की खुदाई में मुहरें मिली थीं जिनमें शिव की आकृति बनी थी। वहीं कई जानकारों का कहना है कि जो मूर्ति मिली थी वह देवी पार्वती की मूर्ति है। 

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