किसान योजनाएं कांग्रेस को दिलाएंगी सत्ता या बीजेपी को मिलेगा मौका?… चुनाव में होगा बघेल का “लिटमस टेस्ट”
इंपैक्ट डेस्क.
कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में दोबारा सरकार बनाने की उम्मीद है। वहीं बीजेपी सत्ता पर काबिज होने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के लिए एक परीक्षा की तरह होंगे। दरअसल, बघेल ने पिछले पांच सालों में बहुत सारी किसान हितैषी योजनाएं बनाई हैं। अब देखना यह होगा कि उन्हें चुनाव में इसका राजनीतिक लाभ मिलता है या नहीं। कांग्रेस ने डायरेक्ट फंड ट्रांसफर, उच्च एमएसपी और अन्य लाभों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी प्रमुख किसान समर्थक योजनाओं के साथ जरिए ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं के साथ जुड़ाव को मजबूत करने की कोशिश की है।
इन योजनाओं से कांग्रेस ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में अपनी पकड़ बनाने में सफल होती दिख रही है। पहली और प्रमुख योजना राजीव गांधी किसान न्याय योजना थी, जिसके तहत भूपेश बघेल सरकार ने खरीफ धान उगाने वाले लगभग 23 लाख किसानों को 21,912 करोड़ रुपये की इनपुट सब्सिडी दी है। इस योजना के तहत जो किसान चिन्हित 14 फसलों में से कोई एक फसल उगाते हैं उन्हें 9000 रुपये तक की इनपुट सब्सिडी दी जाती है।
यदि कोई किसान धान की फसल के अलावा 13 अन्य फसलों के साथ केला, पपीता या कोई फलदार पेड़ लगाता है, तो उन्हें प्रति एकड़ 10,000 रुपये की इनपुट सब्सिडी मिलती है। इस योजना के तहत लाभ की पहली किस्त जुलाई 2022 में ट्रांसफर की गई थी। एक अन्य प्रमुख योजना गोधन न्याय योजना (गोबर खरीद योजना) है। सरकार ने पशु मालिकों, गौठान समितियों और महिला स्वयं सहायता समूहों को कुल 580 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
गोबर गैस योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना और जैविक खेती को बढ़ावा देना है। योजना के आंकड़े और कार्यान्वयन विवादास्पद हैं। इसकी वजह कुछ जिलों में खरीदे गए गोबर से बने वर्मी कंपोस्ट की मात्रा, संभावित गोबर के वर्मी कंपोस्ट के अनुपात में ज्यादा है। हालांकि, सरकार ने गाय के गोबर के लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए गौठान केंद्रों (गौशालाओं) में गोमूत्र (गौ मूत्र) की खरीद को भी शामिल कर लिया है।
कांग्रेस सरकार का एक और बड़ा कदम राजीव गांधी ग्रामीण भूमि हीन कृषि मजदूर न्याय योजना है जो ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत लगभग 3.55 लाख लाभार्थियों को 7,000 रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है। बघेल सरकार ने यह भी घोषणा की है कि वह चालू खरीफ सीजन के दौरान पहले के 15 क्विंटल धान की तुलना में 20 क्विंटल धान खरीदेगी। इन योजनाओं का डायरेक्ट कैश लाभ का छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और यह भाजपा की सत्ता में वापसी की आकांक्षाओं के लिए गेम चेंजर हो सकता है।
राजनीतिक टिप्पणीकारों का मानना है कि 2023 का विधानसभा चुनाव भूपेश बघेल सरकार की इन किसान समर्थक योजनाओं के परिणामों का आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।
छत्तीसगढ़ स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार हर्ष दुबे ने कहा, ‘पिछले पांच सालों से, भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार कृषि पर प्राथमिक ध्यान दे रही है। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी (एनजीजीबी) कार्यक्रम के तहत ऋण माफी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, ग्रामीण औद्योगिक पार्क (आरआईपीए), भूमिहिन किसान न्याय योजना और ऐसी कई योजनाएं लागू कर रही है। छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में सरकार ने धान किसानों को लाभ देने पर जोर दिया है, जबकि आदिवासी इलाकों में लघु वन उपज पर ध्यान केंद्रित किया है। यह सच है कि इन योजनाओं से राज्य के किसानों को सीधा लाभ हुआ, लेकिन ये लाभ चुनाव में मिलेंगे या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। मेरा मानना है कि कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से मध्य क्षेत्र में, जहां लगभग 55 सीटें हैं, यह काम करेगा।’
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि छत्तीसगढ़ की ज्यादातर सीटों पर किसानों का दबदबा है और इसलिए छत्तीसगढ़ की किसान हितैषी योजनाएं निश्चित रूप से उन्हें परिणाम देंगी। कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, ‘राज्य में हर कोई जानता है कि कांग्रेस सरकार किसानों, आदिवासियों और गरीबों के लिए काम कर रही है। प्रदेश के धान किसानों को सर्वाधिक बोनस देकर हमने देश में एक मिसाल कायम की है। योजनाएं निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देंगी।’