Big newsDistrict Beejapur

आदिवासियों पर अत्याचार की आड़ में खनिज संपदाओं की लूट, माओवादियों की पश्चिम बस्तर कमेटी का आरोप… दो माह के भीतर बीजापुर-दंतेवाड़ा जिले में फर्जी हत्या, गिरफतारियों का लगाया आरोप…
सूबे की कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना…

इंपैक्ट डेस्क.

बीजापुर। बढ़ती महंगाई, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, वनोपज के दामों समेत कई मुद्दों को लेकर माओवादियों की पश्चिम बस्तर डिवीजनल कमेटी ने सूबे की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। माओवादी संगठन का आरोप है कि आदिवासियों के विकास की बात करने वाली कांग्रेस बस्तर की अकूत खनिज संपदाओं को कॉरपोरेट घरानों को सौंप रही है। जनकल्याण के नाम पर करोड़ रूपयों का भ्रष्टाचार अफसर-ठेकेदार कर रहे हैं। मूलवासियों को जल,जंगल,जमीन से बेदखल कर पलायन के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है।गांवों में पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उस पर जनता पर पुलिस के जरिए अत्याचार, हत्या, गिरफतारी, लूट पाट की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।

माओवादी संगठन का आरोप है कि गत 2 अप्रैल को एड़समेटा गांव के कडती मंगू, कारम लकमा, कारम लक्ष्मान, मड़काम हिड़मा समेत पुसनार गांव के लगभग 10 लोगांे को तेलंगाना के चेरला से नक्सल समर्थक के आरोप में गिरफतार किया गया। इसी तरह बचेली, किरंदुल समेत बस्तर के अन्य हिस्सों में पुलिस कुली करने वाले मजदूरों को माओवादियों के नाम से गिरफतार कर रही है। नक्सल उन्मूलन के नाम पर गांवों के उपर बमबारी की जा रही है।

5 मार्च को पुसनार गांव में निर्दोष आदिवासियों पर 12 टू इंच मोर्टार दागे गए। बुरजी में पुलिस कैम्प, एड़समेटा नरसंहार के विरोध में धरना पर बैठी जनता पर लाठी चार्ज करने के साथ दो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसी तरह ताड़बल्ला नरसंहार के खिलाफ धरने पर बैठे पांच ग्रामीणों को गिरफतार कर दो लोगों को जेल में ठूंस दिया गया।
माओवादी संगठन का यह भी कहना है कि 11 मार्च को गंगालूर, किकलेर का पुनेम सन्नू जो मोसला गांव में मामा-मामी का पालन पोषण कर रहा था, निहत्थे पकड़कर उसकी निर्मम हत्या कर दी गई। 24 फरवरी को रेगड़गट्टा गांव में कोरसा सन्नू , कोरसा सोनू, कोरसा मंगल, कोरसा मुन्ना, हप्पका सानू नामक ग्रामीणों को घर से पकड़कर वारंटी नक्सली बता जेल में डाल दिया गया। नक्सलियों का आरोप है कि पुलिसिया बर्बरता, कार्रवाई से आदिवासी हाट-बाजार, सगे संबंधियों यहां तक की अस्पताल जाने से डर रहे हैं। आदिवासियों पर सरकारी दमन से बस्तर के गांवों में आदिवासी रीति रिवाज, संस्कृति विलुप्त हो रही है।

error: Content is protected !!