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जिस स्टेडियम में भारत को विश्व कप जिताने वाला लगा था छक्का, उस जगह को दिया जाएगा धोनी का नाम…

इम्पैक्ट डेस्क.

भारत के महान क्रिकेटरों में से एक महेंद्र सिंह धोनी के नाम एक और उपलब्धि जुड़ने जा रही है। दो अप्रैल को भारत के वनडे विश्व कप जीत के 12 साल पूरे हुए। दो अप्रैल 2011 को भारत ने मुंबई के वानखेड़े में श्रीलंका को हराकर वर्ल्ड कप ट्रॉफी अपने नाम की थी। अब 12 साल बाद मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (MCA) के अध्यक्ष ने बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, धोनी ने छक्का लगाकर भारत को जीत दिलाई थी। जिस सीट पर जाकर गेंद गिरी थी अब एमसीए प्रेसिडेंट ने उस जगह का नाम धोनी के नाम पर रखने का फैसला लिया है।

MCA अध्यक्ष अमोल काले ने कहा कि नुवान कुलसेखरा की बॉल पर जिस जगह धोनी के छक्के की गेंद गिरी थी, स्टेडियम के उस जगह को धोनी का नाम दिया जाएगा। एमसीए ने आज (सोमवार) फैसला किया कि एमएस धोनी के नाम पर स्टेडियम के अंदर एक सीट का नाम रखा जाए। वह जगह होगी जहां 2011 विश्व कप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ उनका मैच जीतने वाला छक्का लगा था। हम एमएस धोनी से अनुरोध करेंगे कि वह उद्घाटन के लिए स्टेडियम आएं, जहां उन्हें एक स्मृति चिन्ह भी भेंट किया जाएगा।

वानखेड़े स्टेडियम में पहले से ही सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर और विजय मर्चेंट जैसे महान खिलाड़ियों के नाम पर स्टैंड हैं। पोली उमरीगर और वीनू मांकड़ के नाम पर भी गेट हैं। 2011 में भारत की वनडे विश्व कप जीत की 12वीं वर्षगांठ के अवसर पर, धोनी ने फाइनल के कुछ किस्से भी साझा किए थे।

धोनी ने वर्ल्ड कप के खास पल के बारे में क्या बताया?
धोनी ने कहा- हमें बहुत ज्यादा रनों की जरूरत नहीं थी। हमारे बल्लेबाजों ने अच्छी और मजबूत साझेदारियां की थी। इसके बाद स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने वंदे मातरम गाना शुरू कर दिया। मुझे लगता है कि उस माहौल को फिर से बनाना बहुत मुश्किल है – शायद इस साल भारत में होने वाले विश्व कप में भी ऐसा ही नजारा हो। आप जानते हैं, उस माहौल को दोहराना बहुत कठिन है, लेकिन इसे केवल तभी दोहराया जा सकता है जब वैसा ही अवसर हो जैसा 2011 में था। तब जब 40, 50 या 60 हजार लोग साथ गा रहे हों।

धोनी ने कहा- मेरे लिए जीत का क्षण सबसे खास नहीं था, मेरे लिए खास पल मैच खत्म होने से 15-20 मिनट पहले शुरू हो चुका था, जब मैं पूरी तरह भावुक हो गया था। मैं उस मैच को खत्म करना चाहता था। हम जानते थे कि हम उस मैच को उस क्षण से जीत ही लेंगे और हमारे लिए हारना तब बहुत मुश्किल था। यह एक संतुष्ट करने वाला अहसास था कि काम हो गया। अब आगे का रास्ता देखते हैं।

विश्व कप फाइनल में क्या हुआ था?
श्रीलंका के खिलाफ फाइनल में टीम इंडिया ने गौतम गंभीर के 97 रन और महेंद्र सिंह धोनी के नाबाद 91 रन की बदौलत जीत हासिल की। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 274/6 का स्कोर खड़ा किया। महेला जयवर्धने (103 *) के नाबाद शतक, कप्तान कुमार संगकारा (48), नुवान कुलसेखरा (32) और थिसारा परेरा (22 *) की शानदाक पारियों ने श्रीलंका को अच्छे स्कोर तक पहुंचाया। युवराज सिंह और जहीर खान ने दो-दो और हरभजन सिंह ने एक विकेट लिया।

275 रनों का पीछा करते हुए भारत ने सहवाग (0) और तेंदुलकर (18) का विकेट जल्दी खो दिया था। इसके बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली (35) के बीच 83 रनों की साझेदारी ने भारत की संभावनाओं को जीवित कर दिया था। गंभीर ने 122 गेंदों में 97 रन बनाए और कप्तान एमएस धोनी के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन की साझेदारी की। धोनी और युवराज (21 *) ने पांचवें विकेट के लिए नाबाद 54 रनों की साझेदारी की, जिसने टीम इंडिया को 28 वर्षों में अपना पहला विश्व कप खिताब दिलाया। धोनी 79 गेंदों में 91 रन बनाकर नाबाद रहे।

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