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निजी शालाओं की मुसीबत को लेकर प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन ने डीईओ से मुलाकात कर मुसीबतें गिनाई

इम्पेक्ट न्यूज. जगदलपुर।

प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के के पदाधिकारियों ने अध्यक्ष हनीफ बारबटिया के साथ निजी विद्यालय के विद्यार्थीयों के पालकों से प्राप्त की जा रही ‘फीस’ एवं आनलाइन क्लासेस व फीस लेने की फर्जी शिकायतों के संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए जिला शिक्षाधिकारी से मुलाकात कर निजी विद्यालयों की मुसीबतें गिनाई।

श्री बारबटिया ने कहा कि ‘निजी विद्यालयों एवं उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के आर्थिक सहयोग हेतु सरकारी योजना कुछ भी नहीं है।

एसोसिएशन ने उन बिन्दुओं पर चर्चा की कि अशासकीय स्कूल के द्वारा फीस क्यों न लिया जाए, जबकि उन्होंने विगत शिक्षा सत्र 2019-20 में पूरा शालेय कार्य किया है। सत्र 2019-20 की पूरी फीस का भुगतान प्राप्त करना आवश्यक ही है। फीस के अभाव में कर्मचारी एवं शिक्षकों का वेतन कहाॅं से दिया जावेगा? यदि इस संबंध में कोई शासकीय आर्थिक सहायता दी जा रही है, तो उसके बारे में जानकारी एवं सहयोग दिया जाये।

साथ ही यह भी चर्चा की गई कि आनलाइन पढ़ाई शासकीय स्कूलों में हो रही है तो अशासकीय स्कूलों पर ऊॅंगली क्यों उठाई जा रही है। अशासकीय स्कूल में भी एडमिशन की प्रक्रिया पर आक्रोश क्यों? जबकि 15 जून से शासकीय स्कूल एडमिशन ले रहें है।

श्री बारबटिया ने कहा कि अशासकीय स्कूल गरीब बच्चों की आरटीई शिक्षा के लिए जो सेवा दे रही है, उसकेे तहत भुगतान पर दो वर्षों से रोक क्यों है।

विशेषकर छात्र संगठनों का निजी स्कूलों पर आक्रामक रूख अपनाने को लेकर एसोसिएशन ने असंतोष प्रकट किया है। उनका कहना है कि जब हम सारे नियम कानून के तहत कार्य कर रहे हैं तब छात्र संगठनों का आक्रामक रूख हमारे प्रति नहीं होना चाहिए।

एसोसिएशन के अनुसार चर्चाओं के बीच जिला शिक्षा अधिकारी ने सकारात्मक रूख रखा और चर्चा से यह बात सामने आई कि ‘कोविड-19’ के कारण शालेय फीस स्थगित है माफ नहीं अर्थात् शालेय फीस देना अनिवार्य होगा।

परन्तु जिन पालकों को ‘कोविड-19’ के दौरान आर्थिक परेशानी है उन पर तात्कालीक रूप से दबाव नहीं बनाई जाएगी। परन्तु जो सक्षम है व शासकीय कर्मचारी हैं, जो कि अपना वेतन ले रहें हैं, उनकों फीस जमा करनी चाहिए। जिसके माध्यम से शाला प्रबंधन अपने कर्मचारियों को वेतन प्रदान कर सकें।

श्री बारबटिया ने जारी बयान में कहा कि ‘निजी स्कूलों के कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन देने के लिए ‘कोविड-19′ के दौरान शासकीय सहयोग उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अकारण छात्र संगठनों के आक्रामक रूख पर रोक लगाना चाहिए।’

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