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कांग्रेस में गुटबाजी आई खुलकर सामने, डॉ महंत के सबसे करीबी ने ठोकी ताल,,, मनहरण राठौर को लेकर नगर में चर्चा जोरों पर, किस करवट बैठेगी सक्ती चुनाव 2023 कांग्रेस के लिए, क्या कांग्रेस से मनहरण इस्तीफा भी दे सकते हैं?

न्यूज़ इम्पैक्ट, सक्ती 27 अगस्त 23।

सक्ती। कांग्रेस में जिस तरह से ब्लॉक स्तर से प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया 2023 विस चुनाव के लिए देखने को मिल रही है उससे कहीं ना कहीं पार्टी पर तो लोगों का भरोसा बढ़ा है, लेकिन इससे आपसी मनमुटाव भी देखने को मिल रहा है, या यूं कहें कि दावेदारी के लिए नजदीकियां मायने नहीं रख रहीं हैं।

बता दें कि 1998 के बाद से सक्ती विधानसभा क्षेत्र में साहू और राठौर समाज का दबदबा रहा है वहीं विगत 4 विधानसभा चुनाव में इन्हीं समाज का प्रतिनिधित्व रहा, वहीं 2018 में प्रदेश के कद्दावर नेता मानें जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ चरणदास महंत को सक्ती क्षेत्र के लोगों ने अपना प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया और कांग्रेस की सरकार बनी जिसका सीधा फायदा सक्ती को जिला के रूप में मिला, साथ ही डॉ महंत के कद अनुरूप कांग्रेस ने उन्हें विस अध्यक्ष बनाया। बता दें कि डॉ महंत के विधायकी कार्यालय में एक नाम जो सबसे ज्यादा पॉवरफुल था वो था पूर्व विधायक श्रीमती सरोजा राठौर के पति मनहरण राठौर का। उनके पास विधायक पद तो नहीं था लेकिन क्षेत्र सहित कोरबा लोकसभा के कुछ क्षेत्रों में उनका दखल पूरा था। बता दें कि सक्ती में विधानसभा चुनाव को देखते हुए जहां राठौर समाज से कई लोगों ने कॉग्रेस पार्टी में अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है, वहीं अब राठौर समाज के एकजुटता पर भी कई प्रश्न उठाए जा रहें हैं।  विधानसभा क्षेत्र सक्ती में समाज के कद्दावर नेताओं में लगभग सभी छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष से जुड़े हैं, डॉ महन्त ने भी विधान सभा मे निवासरत राठौर समाज के लोगों को सबसे ज्यादा सम्मानित पद देने में कही कोई कमी नहीं की, चाहे एल्डरमैन, सोसाइटी अध्यक्ष, विधायक प्रतिनिधि का हो या फिर संगठन के पदों के लिए भी समाज के लोगों के नामों को हमेशा आगे बढ़ाया। वहीं अब जब सक्ती विधानसभा क्षेत्र से डॉ महंत ने फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर करते हुए ब्लॉक अध्यक्ष को अपना आवेदन दिया है, उसके ठीक बाद उनके सबसे करीबी और उनके टीम के मुख्य सेनापति मनहरण राठौर और पूर्व विधायक श्रीमती सरोजा राठौर ने भी उम्मीदवारी के लिए ताल ठोक दी है। जिसे अब क्षेत्र के लोग मनहरण राठौर का बागवाती तेवर मान रहें हैं। जबकि उम्र के लिहाज से डॉ महन्त का यह अंतिम चुनाव माना जा रहा है इसके बाद वे चुनावी राजनीति से दूर हो सकते हैं। लोगों का कहना है कि गत पूरे पाँच साल मनहरण राठौर विधानसभा के विकास कार्यों सहित ट्रांसफर, पोस्टिंग, ठेकेदारी का लाभ लेते रहे। जबकि उनकी पत्नी के विधायकी कार्यालय में उन्हें इतना लाभ नहीं मिला। वहीं डॉ महन्त ने दीपक बैज प्रदेश अध्यक्ष के नए टीम में शामिल करने   मनहरण राठौर  का नाम बहुत आगे पहले ही कर दिया था। अब ऐसी स्थिति में दोनों के बीच में कुंआ नहीं खाई जैसी स्थिति निर्मित होते दिख रही है, वहीं जिस तरह से मनहरण ने ताल ठोकी है उससे यही लगता है कि अब उनका डॉ महंत के करीबी बना रहना भी सवाल खड़ा कर रहा है। कुछ का यह भी कहना है कि अगर कांग्रेस से मनहरण को टिकट नहीं मिला तो वे बगावत भी कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस द्वारा संगठन में महामंत्री के पद से जो मनहरण को नवाजा गया है क्या उसपर भी वे खरे उतर पाएंगे, या फिर कांग्रेस से दूरी बना क्या किसी अन्य दल या स्वतंत्र उम्मीदवारी करेंगे यह चर्चा भी आम है। वहीं वर्तमान में डॉ महंत के विरोधी के रूप में सक्ती राजमहल को भी देखा जा रहा है, वहीं गत कुछ दिनों से महल और मनहरण की नजदीकियां भी देखने को मिल रहीं हैं। साथ ही जिस तरह से एक विरोध महल और मनहरण का डॉ महंत के प्रति दिख रहा है ऐसी स्थिति में डॉ महंत प्रत्याशी घोषित हो जाते हैं तो इनका समर्थन मिलेगा या ये विरोध करेंगे इस पर भी चर्चाओं का बाजार लगातार गर्म है। वैसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की वापसी की बात लगातार हो रही है साथ ही सक्ती के विधायक डॉ महंत भी नवीन जिले में लगातार विकास के लिए काम कर रहें हैं, लेकिन चुनावी सरगर्मी और गुटबाजी से कहीं कांग्रेस को स्थानीय स्तर पर बड़ा नुकसान ना हो जाए यह भी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।

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